छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय वित्त मंत्री से की मांग, छत्तीसगढ़ को धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति दी जाए

Nilmani Pal
15 Nov 2021 1:47 PM GMT
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय वित्त मंत्री से की मांग, छत्तीसगढ़ को धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति दी जाए
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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज यहां अपने निवास कार्यालय से केंद्रीय वित्तमंत्री डॉ. निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित देश के सभी राज्यो के मुख्यमंत्रियों की बैठक में वर्चुअल रूप से शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय वित्त मंत्री से राज्य के कई वित्तीय मामलों पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य ने केन्द्र सरकार द्वारा प्रथम एवं द्वितीय तिमाही में निर्धारित पूंजीगत व्यय के 35 प्रतिशत लक्ष्य को पूरा कर लिया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य धान का कटोरा कहा जाता है, यहां विपुल मात्रा में धान का उत्पादन होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते दो-तीन वर्षों से राज्य सरकार द्वारा धान से बॉयो एथेनॉल निर्माण की अनुमति देने का आग्रह किया जा रहा है। उन्होंने केन्द्रीय वित्त मंत्री से आग्रह किया कि यदि केन्द्र सरकार अनुमति दे दे तो राज्य सरकार सरप्लस धान का उपयोग एथेनॉल बनाने में कर सकेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे राज्य को और किसानों को लाभ होने के साथ ही पेट्रोलियम पदार्थों के आयात पर भारत सरकार द्वारा खर्च की जाने वाली विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने केन्द्रीय वित्त मंत्री को बताया कि राज्य में धान से एथेनॉल बनाने की तैयारी राज्य सरकार द्वारा कर ली गई है। धान से एथेनॉल प्लांट लगाने के लिए 12 कम्पनियों से एमओयू भी किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में गन्ना और मक्का से एथेनॉल बनाने की अनुमति मिली है। धान से एथेनॉल के निर्माण की अनुमति दिलाए जाने का आग्रह उन्होंने केन्द्रीय वित्त मंत्री से किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार के खाद्य मंत्रालय द्वारा वर्ष 2021-22 में छत्तीसगढ़ राज्य से 61.65 लाख मीटरिक टन चावल लेने की सहमति दी गई है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य से उसना चावल न लेने का निर्णय केन्द्र सरकार ने लिया है। केन्द्र सरकार का यह निर्णय राज्य, यहां के मिलर्स और श्रमिकों के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य में लगभग 500 उसना मिलें है, जिनकी उत्पादन क्षमता 5 लाख मीटरिक टन प्रति माह है। इस निर्णय से मिलें बंद हो जाएंगी। मिलों में काम करने वाले मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे पूर्व केन्द्र सरकार द्वारा राज्य से उसना चावल लिया जाता रहा है। उन्होंने केन्द्रीय वित्त मंत्री से केन्द्र सरकार के उक्त निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह भी किया।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने बैठक में केन्द्रीय वित्त मंत्री का ध्यान केन्द्र सरकार के सेन्ट्रल पूल में जमा छत्तीसगढ़ राज्य के हिस्से की कोल पेनॉल्टी की राशि 4140 करोड़ रूपए की ओर आकर्षित किया और छत्तीसगढ़ राज्य को इस राशि को लौटाएं जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि कोल पेनाल्टी की इस राशि को लौटाए जाने के संबंध में केन्द्रीय कोयला मंत्री ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। छत्तीसगढ़ के हिस्से की इस राशि को लौटाने की कार्यवाही भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा की जानी है। मुख्यमंत्री ने पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले सेस को कम करने का सुझाव भी दिया, ताकि इनकी कीमतों में और कमी हो तथा इसका लाभ आम जनता को मिले। श्री बघेल ने बताया कि पेट्रोल-डीजल की एक्साइज ड्यूटी में कमी करने से छत्तीसगढ़ राज्य को प्रतिवर्ष लगभग 500 करोड़ रूपए का घाटा हो रहा है।

मुख्यमंत्री ने इस मौके पर 15वें वित्त आयोग के राजस्व घाटे को अनुदान के रूप में परिवर्तित करने का अनुरोध करते हुए कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में 17 राज्यों को एक लाख 18 हजार 552 करोड़ रूपए का अनुदान पिछले वर्षों में राजस्व घाटे की पूर्ति के लिए दिया जा रहा है। यह अनुदान कोविड-19 के पश्चात राज्यों की प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहायता देने के लिए वर्ष 2021-22 से 2024-25 तक राजस्व घाटे को आधार मानकर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोविड के कारण जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई इससे नहीं होगी। पिछले वर्षों में जो घाटा हुआ, उसका अनुदान दिया जा रहा है। बेहतर होता कि कोविड-19 के कारण से जो राज्य प्रभावित हुए है, उनको अनुदान दिया जाता तो इससे कोविड-19 महामारी से हुई क्षति की भरपाई होती। उन्होंने कहा कि जो राज्य वित्तीय व्यवस्था ठीक से नहीं रख पाए, उनको अनुदान मिलेगा और जिन राज्यों में वित्तीय व्यवस्था बनाकर रखी है, उनको कुछ नहीं मिलेगा, यह स्थिति उचित नहीं है। इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।

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