छत्तीसगढ़

छाऊ नृत्य लोगों के दिलो-दिमाग पर छाया रहा, मंच पर जीवन्त हो उठी पौराणिक कथाएं

Nilmani Pal
30 Oct 2021 12:33 PM GMT
छाऊ नृत्य लोगों के दिलो-दिमाग पर छाया रहा, मंच पर जीवन्त हो उठी पौराणिक कथाएं
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राजधानी रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान में चल रहे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव 2021 के तीसरे दिन झारखण्ड के जनजातीय के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत छाऊ नृत्य लोगों के दिलो-दिमाग पर छाया रहा। कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति के दौरान दर्शकों को पूरी तरह से बांधे रखा। छाऊ नृत्य के दौरान पंडाल में मौजूद लोग मंच पर कलाकारों के नृत्य करतब और उनके पद चपलता को टकटकी लगाए देखते रहे। छाऊ नृत्य दल के कलाकारों की साज-सज्जा उनके परिधान, मुखौटे लोगों के लिए आकर्षण बने रहे। कलाकरों की शानदार प्रस्तुति से रामायण, महाभारत काल से लेकर पौराणिक काल की कथाएं जीवन्त हो उठी। जिसे दर्शकों ने खूब सराहा और कार्यक्रम की प्रस्तुति के दौरान तालियां बजाकर उनका उत्साहवर्धन किया।

छाऊ नृत्य भारतवर्ष के तीन पूर्वी राज्यों में लोक और जनजातीय कलाकारों द्वारा किया जाने वाला एक लोकप्रिय नृत्यरूप है जिसमें मार्शल आर्ट और करतबों की भरमार रहा करती है। इस तीन राज्यों में छाऊ नृत्य संबंधित क्षेत्रों के आधार पर तीन नामों से जाने जाते हैं। पश्चिम बंगाल में पुरुलिया छाऊ, झारखंड में सराइकेला छाऊ, और उड़ीसा में मयूरभंज छाऊ, इसमें से पहले दो प्रकार के छाऊ नृत्यों में प्रस्तुति के अवसर पर मुखौटों का उपयोग किया जाता है जबकि तीसरे प्रकार में मुखौटे का प्रयोग नहीं होता।

छाऊ नृत्य में रामायण महाभारत और पुराण की कथाओं को कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। छाऊ अपनी ओजस्विता और शक्ति की परिपूर्णता के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है जिसमें नर्तकों द्वारा मार्शल आर्ट्स का बखूबी इस्तेमाल करते हुए अपने शरीर में विविध तरह की मुद्राओं और भंगिमाओं से दर्शकों को सम्मोहित करने में सफल रहता है। छाऊ नृत्य केवल पुरुष कलाकारों द्वारा ही किया जाता है। छाऊ ने अपने कथावस्तु कलाकारों की ओजस्विता और चपलता और संगीत के आधार पर न सिर्फ भारतवर्ष वरन विदेश में भी अपनी खास पहचान बनाई है।

Nilmani Pal

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