रायपुर। छत्तीसगढ़ के लब्ध प्रतिष्ठत गज़लकार रामेश्वर वैष्णव की17वीं कृति "भुंइया मं अकास"का विमोचन एक होटल के सभाकक्ष में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध गीतकार जिला शिक्षा अधिकारी अशोक नारायण बंजारा मुख्य आतिथि,वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर शर्मा अध्यक्ष एवं डॉ माणिक विश्वकर्मा 'नवरंग' विशिष्ट आतिथि की आसंदी से मंचासीन थे।
इस अवसर पर बंजारा ने वैष्णव की ग़ज़लों की विशेषता का उल्लेख करते हुए छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल में उनका अतिविशिष्ट स्थान बताया। शर्मा ने वैष्णव जी को छत्तीसगढ़ी का प्रथम गज़लकार सप्रमाण निरुपित किया।मुख्य वक्ता डा.नवरंग ने छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल में 'भुंइया मं अकास' को ऐतिहासिक कृति बताया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए कवि संजय कबीर शर्मा ने वैष्णव की दीर्घ साधना पर प्रकाश डाला। छत्तीसगढ़ पावर कंपनी कंपनी के पूर्व अतिरिक्त महाप्रबंधक,वरिष्ठ रंगकर्मी विजय मिश्रा 'अमित' ने वैष्णव की साहित्य यात्रा पर रोचक बातचीत की। उन्होंने बताया वर्ष 1967 से श्री वैष्णव की कलम चल रही है।अब तक गद्य,पद्य में प्रकाशित '17 किताबों के ददा' वे बन गए है।ऐसी उर्वरा लेखन क्षमता को बनाए रखने कामना है। विमोचन समारोह में सर्वश्री राहुल सिंह, बंधु राजेश्वर खरे,अमित शुक्ला,शशांक खरे,अनिरुद्ध दुबे, गौरव शुक्ला,शेष शुभ वैष्णव,ध्रुव कुमार शुक्ल, महेंद्र अजनबी सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।