छत्तीसगढ़ी कोल्डड्रिंक, सबसे ज्यादा यहां के स्थानीय लोग करते हैं सेवन
कांकेर/पखांजूर। इन दिनों गर्मी अपने चरम पर है। अप्रैल, मई,जून की भीषण गर्मी दिन के बढ़ते तापमान व लू के थपेड़े ने लोगों को बेहाल कर रखा है। इस कारण घर से बाहर निकलने में लू लगने का खतरा अधिक रहता है। इतनी गर्मी होने के बावजूद भी यहां के स्थानीय ग्रामीण तेंदूपत्ता तोड़ाई जिसे छत्तीसगढ़ में हरा सोना के नाम से जाना जाता है और अमचूर बीनने जैसे कई प्रकार के वनोवजो के संग्रहण में व्यस्त हैं ।ऐसे में इन्हें लू लगने का सबसे अधिक खतरा रहता है।
दरअसल मंडिया, क्षेत्र में पैदा होने वाला एक मोटा अनाज होता है, जिसके आटा को मिट्टी के बर्तन में रात भर भीगा कर रखते हैं। सुबह पानी में चावल डालकर पकाते हैं। चावल पकने पर उबलते हुए पानी में मडिया के भीगाए हुए आटे को घोलते हैं। स्थानीय हलबी बोली में इसे पेज कहते हैं। पकने पर उतारकर ठंडा करके 24 घंटे तक इसका सेवन करते हैं। इससे शरीर को ठंडकता मिलती है और भूख भी शांत होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी करने वाले महिला और पुरुषों के लिए मंडिया पेज किसी लस्सी और कोल्डड्रिंक से कम नहीं होती।शरीर में ठंडक पहुंचाने के साथ ही यह कैल्शियम और डायबिटीज मरीजों के लिए रामबाण है।सेहत के लिए काफी फायदेमंद होने की वजह से गर्मी के मौसम में अधिकतर ग्रामीण मंडिया पेज ही पीते हैं।