Chhattisgarh: कोरोना महामारी के कारण युवा लौट रहे गांव, शहर के निजी संस्थानों के प्रति रुझान घटा
बिलासपुर, कोरोना महामारी व लाकडाउन ने शहर से लेकर गांव तक के लोगों की कमर तोड़कर रख दी है। अब पैसे नहीं हैं तो बच्चों की उच्च शिक्षा पर भी तलवार लटक गई है। इसका फायदा कस्बों व गांवों में स्थित कालेजों को मिलने लगा है। शिक्षण सत्र 2020-21 में दाखिले के लिए युवा शहर आकर पढ़ने के बजाय अपने घर के पास ग्रामीण अंचल के कालेजों को प्राथमिकता दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ के अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए जारी पंजीयन की प्रक्रिया में ही यह स्पष्ट होने लगा है। शहरी के साथ ग्रामीण अंचल के महाविद्यालयों के लिए रिकार्ड पंजीयन हो रहा है। जबकि दो साल पूर्व छात्र-छात्राएं पहले शहर के प्रमुख संस्थानों को प्राथमिकता देते थे। लेकिन, अब अपने गांव के आसपास संस्थानों को महत्व दे रहे हैं। शिक्षकों की मानें तो महामारी के बीच छात्र-छात्राएं बाहर जाने से बच रहे हैं। गुणवत्तायुक्त शिक्षा भी एक प्रमुख कारण है। पिछले साल भी लगभग इसी तरह की स्थिति थी। इसके कारण निजी कालेजों को तगड़ा झटका लगा था। 15 हजार से अधिक सीटें खाली रह गई थीं।