छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: महिला स्व-सहायता समूह ने किया बेहतरीन कार्य, प्रतिमाह 12-15 हजार तक हो रही आमदनी, जानिए कैसे?

HARRY
14 Sep 2021 12:07 PM GMT
छत्तीसगढ़: महिला स्व-सहायता समूह ने किया बेहतरीन कार्य, प्रतिमाह 12-15 हजार तक हो रही आमदनी, जानिए कैसे?
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आय का जरिया बनाने के लिए किसी ने छत्तीसगढ़ी व्यंजन का रास्ता अपनाया तो किसी ने सिलाई का किया चयन.

- प्रतिमाह 12 से 15 हजार तक हो रही है आमदनी, शासन की योजना से मिली मदद

दुर्ग: शासन द्वारा संचालित दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के माध्यम से गठित सृष्टि एवं मां परमेश्वरी महिला स्व-सहायता समूह ने आत्म निर्भर बनने की दिशा में बेहतरीन कार्य किया है। इस बात का अनुमान इनके प्रति माह के आय से लगाया जा सकता है। सृष्टि स्व-सहायता महिला समूह ने सेक्टर-7 वार्ड 66 में 13 सदस्यों को मिलाकर समूह का गठन किया है। समूह के सदस्यों ने आत्मनिर्भर बनने के लिए और आर्थिक रूप से सशक्त होने के लिए प्रारंभिक तौर पर ही लक्ष्य लेकर कार्य करना प्रारंभ किया था। उन्होंने बैंकिंग व्यवहार को प्राथमिकता से अपनाया। प्रतिमाह समूह के सदस्यों ने 100 रुपए प्रति सदस्य जमा करना प्रारंभ किया। समूह की बैठक लेकर बैंकिंग लेनदेन को बढ़ावा देने और आपसी समन्वय से समूह की सहभागिता सुनिश्चित करने का निरंतर प्रयास इन्होंने किया है। महिला सशक्तिकरण की दिशा में तथा स्वावलंबी बनने के लिए समूह द्वारा स्वयं का रोजगार प्रारंभ किया गया। समूह को निगम ने सहयोग करते हुए केंद्र शासन की योजना अनुसार 10 हजार रुपए आवर्ती निधि उपलब्ध कराई। महिलाओं द्वारा संकलित जमा राशि से छत्तीसगढ़ी व्यंजन अनरसा बना कर घर-घर बेचने का कार्य प्रारंभ किया गया। धीरे-धीरे इस व्यंजन की इतनी प्रसिद्धि मिली कि सेक्टर-06 भिलाई स्थित आंध्रा बेकरी में उन्हें अपने उत्पाद बेचने की सहमति मिल गई और प्रतिमाह 12 से 15 हजार तक आय उन्हें प्राप्त हो रही है। जिससे परिवार के प्रत्येक सदस्य को रोजगार के साथ-साथ जीविकोपार्जन में सहायता मिल रही हैं। इसी तरह से वार्ड क्रमांक 9 कोहका पुरानी बस्ती की मां परमेश्वरी महिला स्व-सहायता समूह ने 12 सदस्यों को मिलाकर समूह का गठन कियां। प्रारंभिक तौर पर महिलाओं ने प्रति माह 2 सौ रुपए की राशि प्रत्येक सदस्य आपस में एकत्रित कर बैंक में जमा करना प्रारंभ किया। प्रतिमाह बैंकिंग लेनदेन को बढ़ावा देते हुए उन्होंने स्वयं का रोजगार मूलक कार्य करने प्रतिबद्ध होकर सिलाई के कार्य को तवज्जो दी। धीरे-धीरे सिलाई कार्य में बढ़ोतरी होती गई और भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन के श्रमिकों के लिए पैंट, शर्ट, जैकेट इत्यादि के सिलाई का कार्य इन्हें मिलना प्रारंभ हो गया। इस सिलाई कार्य से प्रत्येक सदस्य को प्रतिमाह 10 हजार रुपये से अधिक आय प्राप्त हो रहा है। स्व-सहायता समूह के बैंकिंग लेनदेन मजबूत होने से प्रत्येक सदस्य अपनी संकलित राशि से दैनंदिनी की वस्तुओं को खरीदने तथा अपने परिवार के भरण-पोषण व आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए आत्मनिर्भर हो रहे है।



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