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छत्तीसगढ़: फैक्ट्री के स्थापना दिवस में ग्रामीणों ने किया विरोध प्रदर्शन, जूते-चप्पलों से की मारपीट

Admin2
13 April 2021 5:17 AM GMT
छत्तीसगढ़: फैक्ट्री के स्थापना दिवस में ग्रामीणों ने किया विरोध प्रदर्शन, जूते-चप्पलों से की मारपीट
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सरगुजा। जिले के बतौली विकासखंड के चिरंगा गांव में एल्युमिनियम रिफाइनरी फैक्ट्री स्थापित होने वाली है. पर्यावरण की स्वीकृति के लिए आज जनसुनवाई का आयोजन किया गया था. इस दौरान स्थानीय ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखने को मिला. यही नहीं फैक्ट्री स्थापना के विरोध में जनसुनवाई के दौरान ग्रामीणों ने फैक्ट्री प्रबंधक की जूते-चप्पल से बेदम पिटाई कर दी. इस घटना की तस्वीरें कैमरे में कैद हो गई.

दरअसल मां कुदरगढ़ी एल्युमिनियम रिफाइनरी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने एल्युमिनियम रिफाइनरी फैक्ट्री के स्थापना की योजना बनाई गई है. फैक्ट्री की स्थापना के लिए क्रियान्वयन जारी है. लेकिन बतौली ब्लॉक के कई गांव के ग्रामीण फैक्ट्री की स्थापना को लेकर विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्री की स्थापना होने के बाद उनके क्षेत्र में पर्यावरण दूषित होगा. जबकि स्थानीय युवाओं को मां कुदरगढ़ी एल्युमिनियम रिफाइनरी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के द्वारा रोजगार भी नहीं दिया जाएगा.
ग्रामीणों के विरोध के बावजूद प्राइवेट कंपनी ने ग्राम चिरंगा में पर्यावरण की स्वीकृति के लिए सोमवार को जनसुनवाई का आयोजन किया. जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखने को मिला. वहीं कई गांव के ग्रामीणों ने जनसुनवाई का जमकर विरोध किया. नौबत मारपीट तक आ गई.
ग्रामीणों का आरोप है कि मां कुदरगढ़ी एल्युमिनियम रिफाइनरी कंपनी प्रशासन से सांठगांठ कर गांव में फैक्ट्री की स्थापना करना चाहती है. यही नहीं ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि जनसुनवाई सुबह 9 बजे शुरू हुई और दोपहर 12 बजे खत्म हो गई. इस दौरान चंद ग्रामीणों को बोलने का मौका दिया गया. कंपनी प्रबंधन ने जानबूझकर जनसुनवाई को चंद घंटों में खत्म कर दिया. जिससे ग्रामीणों को जनसुनवाई के दौरान अपनी बात रखने का मौका न मिल सके. इसी बात से आक्रोशित ग्रामीणों ने भरी जनसभा में मां कुदरगढ़ी एल्युमिनियम रिफाइनरी प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधक की जूते-चप्पल से बेदम पिटाई कर दी. जिसकी तस्वीर कैमरे में कैद हुई है. इधर ग्रामीणों के आक्रोश को देख मौके पर मौजूद पुलिस बल भी मुख दर्शक बनकर तमाशा देखती रही. हालांकि पुलिस बल ने जैसे तैसे बीच-बचाव कर कंपनी के प्रबंधक को और पीटने से बचा लिया. लेकिन फैक्ट्री की स्थापना को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा ज्वालामुखी की तरह भड़का हुआ है.
स्थानीय ग्रामीण निजी कंपनी पर बार-बार आरोप लगा रहे हैं कि कंपनी सिर्फ अपने फायदे के लिए ग्रामीणों का नुकसान करना चाहती है. ग्रामीणों से फैक्ट्री के विरोध में सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह तो ट्रेलर है पिक्चर अभी बाकी है. यदि कंपनी जन सुनवाई के लिए दोबारा चिरंगा गांव पहुंचती है, तो कंपनी के कर्मचारियों का इससे भी बुरा हाल किया जाएगा. ग्रामीणों के आक्रोश को देख समझा जा सकता है कि गांव में स्थापित होने वाली एल्युमिनियम रिफाइनरी फैक्ट्री का किस कदर स्थानीय लोग विरोध कर रहे है.
अब इस बात को भी समझिए की निजी कंपनी अपने फायदे के लिए किस तरह ग्रामीणों को मौत के मुंह में धकेल रही है. सरगुजा जिले में कोरोना बेकाबू हो चुका है. कलेक्टर ने जिले को कंटेनमेंट जोन घोषित कर 10 दिनों के लिए लॉकडाउन लगा दिया है. बावजूद इसके कंपनी ने कोविड-19 के खतरे के बीच हजारों की संख्या में कई गांव के ग्रामीणों को एकत्रित कर जनसुनवाई का आयोजन रखा. यदि इस आयोजन से बतौली क्षेत्र में कोरोना विस्फोट होता है, तो क्या निधि कंपनी इसकी जिम्मेदार होगी ? बहरहाल प्रशासन को भी ऐसे आयोजनों और जनसुनवाई पर रोक लगानी चाहिए. कोरोना के सामुदायिक संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है.
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