छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: कोरोना होम आइसोलेशन का पालन नहीं करने वालों पर लगाया जा सकता है 5000 हजार रूपए का जुर्माना

Kunti Dhruw
18 April 2021 9:21 AM GMT
छत्तीसगढ़: कोरोना होम आइसोलेशन का पालन नहीं करने वालों पर लगाया जा सकता है 5000 हजार रूपए का जुर्माना
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कोरोना का कहर

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: धमतरी : कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रख कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी जय प्रकाश मौर्य ने संक्रमण की श्रृंखला को रोकने के लिए जिले में व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण भीड़-भाड़ वाले स्थल, परिवार, बाजारों में संक्रमित व्यक्ति से उचित दूरी नहीं बनाने अथवा कोरोना संक्रमण से बचाव के उपायों का पालन नहीं करने की वजह से फैलता है। संक्रमण से बचने के लिए यह जरूरी है कि संक्रमित व्यक्ति से परिवार एवं पड़ोसी दूरी बनाएं और जागरूक रहें। इसके लिए व्यक्तिगत काउंसलिंग और सामूहिक जागरूकता पर कलेक्टर ने बल दिया है। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन तभी ठीक हो सकता है, जब संक्रमण की दर को कम किया जा सके। इसके लिए सभी ग्राम पंचायत, नगरीय निकाय, बाजार स्थल, मंडी, हाट-बाजार, बसों इत्यादि में गंभीर जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि जिले में आगामी 26 अप्रैल तक लाॅकडाउन लागू किया गया है। कलेक्टर ने कहा कि जागरूकता, सतर्कता एवं निगरानी से बिना लाॅकडाउन के भी कोरोना संक्रमण के प्रभाव को रोका जा सकता है। उन्होंने इसके लिए विभिन्न प्रयास किए जाने संबंधी उपाय सुझाए हैं-

व्यक्तिगत एवं पारिवारिक निगरानी-
समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति को समझना होगा कि वह कोरोना संक्रमण से बचने के लिए व्यवहार में परिवर्तन करे। यदि किसी व्यक्ति को कोरोना संबंधी लक्षण जैसे सर्दी-खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ हो, तो वह सबसे पहले मास्क पहनकर नजदीक के टीकाकरण केन्द्र पहुँचकर अपना सैम्पल दे। इसके बाद स्वयं को आइसोलेट करे और परिवार से तत्काल अलग रहे। यदि ऐसे व्यक्ति के घर अटैच लेटरीन-बाथरूमयुक्त अलग से कमरा नहीं हो, तो उसे तत्काल आइसोलेशन की आवश्यकता संबंधी सूचना ग्राम पंचायत के सचिव/सरपंच/ मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत/तहसीलदार/मुख्य नगरपालिका अधिकारी/खण्ड चिकित्सा अधिकारी/ए.एन.एम./आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अथवा जिले में संचालित 24×7 कंट्रोल रूम को देनी होगी। ऐसे व्यक्ति कोरोना जांच के परिणाम आने के पूर्व अपने आॅक्सीजन का स्तर जांच करते रहें, यदि आॅक्सीजन लेबल 93 प्रतिशत से कम पाया जाता है, तो उसकी सूचना तत्काल उपरोक्त अधिकारियों को दी जाए, जिससे कि डाॅक्टरी सलाह पर उचित उपचार प्रदाय किया जा सके। कलेक्टर ने कहा कि यदि लक्षण हो तो कोरोना टेस्ट का इंतजार नहीं किया जाए। व्यक्तिगत काउंसलिंग के साथ-साथ परिवार के सभी सदस्यों को भी सतर्क रहना होगा। परिवार के ऐसे व्यक्ति को घर से अलग करने में प्रेम का प्रदर्शन नहीं करें, क्योंकि परिवार का प्रत्येक सदस्य धनात्मक मरीज से संक्रमित हो सकता है। इसके लिए जिले के प्रत्येक नागरिक को व्यक्तिगत काउंसलिंग करने की आवश्यकता है। यह काउंसलिंग वृहद् स्तर पर आई.ई.सी. क्रियाकलाप से ही संभव है।
होम आइसोलेशन का समुदाय द्वारा निगरानी-
जिले में बहुत से मरीजों को होम आइसोलेशन की सुविधा प्रदाय की गई है, किन्तु बहुत से मरीज के परिवार वाले होम आइसोलेशन के कड़े नियमों के प्रति गंभीर नहीं हैं। बहुत से परिवार निगरानी दल को झूठी सूचना देते हैं, कि मरीज जिस कक्ष में रहता है, वहां अटैच बाथरूम-लेटरीन है। किन्तु आइसोलेशन की स्वीकृति के बाद जानकारी मिलती है, कि मरीज के घर पर अलग कमरा, शौचालय, बाथरूम इत्यादि नहीं है। साथ ही यह भी देखने को मिलता है, कि मरीज के आइसोलेशन कक्ष में घुसकर परिजन भोजन परोसते, कमरे की सफाई करते, मरीज के कपड़े-बर्तन धोते हैं और बाहर घूमते-फिरते अथवा दुकान खोल लेते हैं। कलेक्टर ने कहा कि मरीज और उनके परिजनों के लापरवाही की वजह से कोरोना का संक्रमण बहुत तेजी से समुदाय में फैल रहा है। अतः यह आवश्यक है कि परिवार के सदस्य एवं मरीज होम आइसोलेशन के नियमों का गंभीरता एवं कड़ाई से से पालन करें। यदि मरीज एवं उनके परिवार के पास होम आइसोलेशन की सुविधा नहीं है, तो तत्काल सूचित किया जाए। कलेक्टर ने साफ तौर पर निर्देशित किया कि यदि मरीज अथवा उसका परिवार होम आइसोलेशन के नियमों का पालन नहीं करता है, तो उनके ऊपर पांच हजार रूपए अर्थदण्ड लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रत्येक परिवार की निगरानी शासकीय कर्मचारियों द्वारा नहीं की जा सकती। प्रत्येक ग्राम पंचायतों में 15-20 वाॅलिंटियर्स का चिन्हांकन करने के निर्देश कलेक्टर ने दिए।
संदिग्ध व्यक्तियों पर निगरानी-
कलेक्टर ने पंचायत द्वारा चिन्हित निगरानी समिति के लोगों को निर्देशित किया है कि ऐसे व्यक्ति, जिन्हें कोरोना संक्रमित संबंधी लक्षण है अथवा जिनका परिवार होम आइसोलेशन में है, वे बाहर घूमता पाया जाता है तो इसकी सूचना नजदीक के प्रशासनिक अमले को दी जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्तियों पर स्थानीय प्रशासन पांच हजार रूपए का अर्थदण्ड लगा सकता है, नहीं देने की स्थिति में लापरवाह व्यक्तियों के विरूद्ध एफ.आई.आर. दर्ज कराई जा सकती है। उन्होंने कोरोना संक्रमण से संबंधित लक्षण वालों को सलाह दिया है कि संक्रमण संबंधी सूचना मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सचिव, निकाय के अधिकारी, कर्मचारियों को दी जा सकती है। संदिग्ध व्यक्तियों पर निगरानी का कार्य भी स्थानीय निकाय द्वारा चिन्हांकित वाॅलंटियर्स द्वारा किया जाना चाहिए।
व्यापारी/व्यावसायी अनाज मंडी/सब्जी मंडी/साप्ताहिक हाट-बाजार में कोरोना संबंधी व्यवहार-
लाॅकडाउन के बाद सभी दुकानें फिर से खुल जाएंगी और दुकानदार, उनके कर्मचारी तथा ग्राहकों के बीच शारीरिक सम्पर्क बढ़ेगा, जिससे कोरोना संक्रमण का फैलाव पुनः होने लगेगा। इसके मद्देनजर कलेक्टर ने कोरोना से बचने के लिए व्यवहार परिवर्तन पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन खुलने के बाद प्रत्येक व्यापारी संगठन की बैठक कर स्वयं निर्धारित करें कि कोरोना संक्रमण से बचने के उपायों का पालन करते हुए कैसे व्यापार एवं आर्थिक गतिविधियों का संचालन करेंगे? इसके लिए प्रत्येक दुकानदार, व्यापारी संगठन स्व उद्घोषणा पत्र भरे, जिसमें वह संकल्प ले कि दुकान संचालक अथवा व्यापारी कोरोना संक्रमण से बचने के उपायों का पालन करेंगे। कलेक्टर ने कहा कि प्रत्येक व्यापारी संगठन संकल्प पारित कर सकते हैं कि किस नियम का उल्लंघन करने पर कितना अर्थदण्ड दुकान संचालक द्वारा व्यापारी संगठन को देना होगा? उन्होंने कहा कि यदि कोरोना संक्रमण लम्बे अवधि तक चलता है, तो प्रशासनिक क्षमता इतनी नहीं होती कि प्रत्येक दिन उसी तीव्रता के साथ निगरानी कर सके। उन्होंने सभी व्यापारी संगठन से अपील की है कि वे स्व नियंत्रित व्यापार का ऐसा माॅडल बनाएं, जिससे कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके तथा बार-बार लाॅकडाउन की नौबत नहीं आए। उक्त संबंध में व्यापारी संगठन स्वयं अपनी बैठक लें, स्व नियंत्रित होकर स्वयं की निगरानी बढ़ाएं। कलेक्टर ने नगरीय निकाय के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे व्यापारी संगठन के साथ कई चरण की बैठक करें। यदि किसी व्यापारी संगठन द्वारा कोरोना संक्रमण से बचने के उपायों का पालन नहीं करते हुए व्यापार करते पाया जाता है, तो प्रशासन द्वारा नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
सामुदायिक सहयोग-
कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए विभिन्न सामाजिक, धार्मिक समुदाय के लोग अपने समुदाय के व्यक्तियों को जागरूक कर सकते हैं। इसके लिए वे फेसबुक, व्हाट्सएप, चौपाल, दीवार लेखन सहित घर-घर पहुंचकर लोगों को कोरोना संक्रमण से बचने के उपायों को अपनाने के लिए जागृत कर सकते हैं। ग्राम पंचायत एवं नगरीय निकायों में स्व सहायता समूह की दीदीयों, रेडक्राॅस के सदस्य, पढ़े-लिखे युवकों का उपयोग प्रत्येक वार्ड में निगरानी दल के गठन के साथ कर सकते हैं। प्रत्येक वार्ड में 5-10 स्वयं सेवक बनाए जा सकते हैं, जो निगरानी, सतर्कता इत्यादि के कार्यों को देख सकेंगे।
स्थानीय निकायों की भूमिका (ग्राम पंचायत/नगरीय निकाय)-
स्थानीय निकाय संक्रमण को रोकने के लिए संकल्प अथवा प्रस्ताव पारित कर सकता है। स्थानीय निकायों को अधिनियम की धाराओं के तहत अर्थदण्ड अधिरोपित करने का अधिकार प्रदत्त है। निकाय के चुने हुए जनप्रतिनिधि उक्त दिशा में प्रस्ताव अथवा संकल्प पारित कर संक्रमण को रोकने में अहम् भूमिका निभा सकते हैं।
टीकाकरण-
जिले में 45 साल से अधिक आयु के सभी लोगों का टीकाकरण चल रहा है। प्रशासन द्वारा इस दिशा में लगातार कार्य किया जा रहा है। कलेक्टर ने बिना भ्रम के सभी को टीकाकरण कराने पर जोर दिया है। नगरीय निकायों में इस संबंध में भ्रम की स्थिति बनी हुई है, कलेक्टर ने इस संबंध में प्रत्येक समुदाय के लोगों से अपील की है, कि वे टीकाकरण को मना करने वाले लोगों को व्यक्तिगत परामर्श और समझाईश दें कि टीका सुरक्षित है और टीकाकरण केन्द्र तक लाएं।
मुनादी/सोशल मीडिया-
प्रत्येक ग्राम तथा नगरीय निकाय में नियमित अंतराल में मुनादी की जानी चाहिए, जिसमें कोरोना संबंधी विषय शामिल हों। इसके अलावा सोशल मीडिया की भी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। व्यवहार परिवर्तन संबंधी सकारात्मक वीडियो संदेश भी विभिन्न ग्रुपों में भेजे जा सकते हैं । सकारात्मक संदेश किसी डाॅक्टर का ही होना चाहिए, क्योंकि सोशल मीडिया में बहुत से अज्ञानी व्यक्तियों द्वारा आधी-अधूरी, अवैज्ञानिक, झूठी, अतथ्यात्मक सूचना का प्रसारण किया जाता है, जिससे भ्रम की स्थिति पैदा होती है। कलेक्टर ने आम जनता से अनुरोध किया है कि केवल विशेषज्ञ डाॅक्टर की सलाह को ही मान्य करें, अन्य संदेशों को देखने से बचें।
इलेक्ट्राॅनिक और प्रिंट मीडिया-
कोरोना संक्रमण से बचाव, सतर्कता एवं निगरानी में प्रिंट एवं इलेक्ट्राॅनिक मीडिया की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। इसके मद्देनजर कलेक्टर ने मीडिया साथियों से निवेदन किया है कि वे कोरोना संक्रमण से बचने के उपाय व्यवहार परिवर्तन इत्यादि के संबंध में समुदाय को जागृत करें। विशेषज्ञ डाॅक्टरों की सलाह ही छापें अथवा दिखाएं। उन्होंने यह भी निवेदन किया है कि प्रतिदिन कोरोना संक्रमण से बचने के उपाय तथा व्यवहार परिवर्तन के संबंध में कुछ पन्ने अथवा समय डेडिकेट करें।
अपील-
कलेक्टर ने कोरोना संक्रमण से बचाव व्यवहार परिवर्तन इत्यादि के संबंध में जिले के सभी विशेषज्ञ डाॅक्टरों से अपील की है कि वे अपना साक्षात्कार, छोटी वीडियो क्लिप में बनाकर इलेक्ट्राॅनिक तथा प्रिंट मीडिया को प्रदाय करें। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से भी अपील की है कि वे अपने कार्यकर्ताओं के जरिए प्रिंट, इलेक्ट्राॅनिक तथा सोशल मीडिया में कोरोना संक्रमण से बचने के उपाय, कोरोना काल में व्यवहार परिवर्तन इत्यादि के संबंध में अपील और जनता को संबोधित इत्यादि करें।
सतर्कता निगरानी प्रचार-प्रसार अवधि-
कलेक्टर ने कहा कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए निगरानी, प्रचार-प्रसार की अवधि एक अथवा दो सप्ताह के लिए नहीं रहेगी। यह तब तक चलेगी जब तक संक्रमण का स्तर बहुत कम नहीं हो जाता। तब तक प्रशासनिक अमले, स्थानीय निकाय, डाॅक्टर्स, जनप्रतिनिधि, इलेक्ट्राॅनिक तथा प्रिंट मीडिया, व्यापारी संगठन और आम जनता से निवेदन है कि इस अभियान को लगातार चलाते रहें। स्वयं सचेत रहें तथा गलती करने वालों को गलती करने से रोकें। साथ ही कोरोना संक्रमण से बचने के लिए प्रशासनिक अमले तथा समुदाय के सभी लोग सहयोग कर कोरोना संक्रमण से बचने के उपायों का पालन करें। कलेक्टर ने कहा कि यह अभियान तब तक अपने मनःमस्तिष्क में चालू रखें, जब तक आपका परिवार तथा समाज कोरोना संक्रमण के दुष्प्रभाव से सुरक्षित नहीं हो जाता।


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