छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: न्यूज पोर्टल की आड़ में छुटभैय्ये नेता असामाजिक तत्व चला रहे वसूली उद्योग

Admin2
18 Dec 2020 6:21 AM GMT
छत्तीसगढ़: न्यूज पोर्टल की आड़ में छुटभैय्ये नेता असामाजिक तत्व चला रहे वसूली उद्योग
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वेबसाइटों के विज्ञापन इंपैनलमेंट और अधिमान्यता की घोषणा के बाद मची है लूटमार

न्यूज वेबपोर्टल संचालक संगठन बनाकर सरकार को चुनौती देने लगे हैं

मापदंड और पात्रता नहीं होने के बाद भी सरकारी सुविधा पाने बना रहे दबाव

अधिकारी अपने नजदीकी और संबंधियों को न्यूज पोर्टल बनवाकर कर रहे उपकृत

पात्रता संबंधी नियम-कायदे के बगैर न्यूज पोर्टलों को जारी किया जा रहा विज्ञापन

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। प्रदेश में न्यूज़ वेबपोर्टल की बाढ़ सी आ गई है। शॉर्टकट से पैसा कमाने की कोशिश में लोग अब न्यूज़ वेब पोर्टल शुरू कर रहे है। राज्य सरकार द्वारा वेबसाइटों को विज्ञापन के लिए इंपैनलमेंट करने और न्यूज़ पोर्टल में काम करने वालों को पत्रकार अधिमान्यता घोषणा के बाद पत्रकार और गैर पत्रकार हर कोई न्यूज़ पोर्टल शुरू कर रहे है। इतना ही नहीं सरकारी सुविधा हासिल करने और किसी भी तरह की पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए वेबसाईट संचालकों ने अपना संगठन भी खड़ा कर लिया है। जिसके आड़ में उनकी दुकानदारी चलती है।

10 से 15 हज़ार में शुरू हो रहे वेबपोर्टल : आज कल धड़ल्ले से खुल रही न्यूज वेबसाईट और वेबपोर्टल खोलने वाले लोग 10 से 15 हज़ार में या और भी अलग-अलग दाम में अपना न्यूज़ वेबसाईट खोल लेते है। ऑनलाइन न्यूज़ वेबपोर्टल का चलन अब मार्केट में बढऩे लगा है जिसे देखो वो वेबसाईट खोलकर खुद को पत्रकार बताता है। जिससे कई न्यूज़ वेबपोर्टलों की शुरुआत होने लगी है। न्यूज वेबपोर्टल और वेबसाइट का कारोबार अब धड़ल्ले से चल निकला है। कोई भी आदमी अब एक डोमिन रजिस्टर कर वेब-पोर्टल और वेबसाइट चला सकता है। पत्रकारिता के गिरते स्तर और पत्रकारिता जगत में असामाजिक तत्वों के प्रवेश का दौर अब तेजी से शुरू हो गया है, जोकि एक खतरे की आहट है। आए दिन नई न्यूज पोर्टल्स अब कुकुरमुत्ते की तरह पनप रही हैं। इस तरह की पोर्टल्स केंद्र सरकार के लिए सिर दर्द बनी हुई हैं, बल्कि प्रशासनिक स्तर और सहीं पत्रकारों के कामकाज को प्रभावित कर रही हैं। यही वजह है कि अब न केवल फर्जी पत्रकारों पर, बल्कि अनाधिकृत वेब पोर्टल्स पर भी प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई करने का मन बना लिया गया है।

अधिकारी कर रहे उपकृत : सरकार में जो बड़े पदों पर है और संबंधित विभाग के अधिकारियों से नजदीकी और संबंधों का फायदा उठाकर न्यूज़पोर्टल की आड़ में अपनी दुकानदारी चला रहे है। उन लोगों ने भी अपने जान पहचान वालों को वेब पोर्टल बनाकर सरकारी विज्ञापन ले रहे है। देखा जाये तो न्यूज़ पोर्टल्स के कुछ तथाकथित पत्रकार और मालिक संचार विभाग के अधिकारियों के संबंधों का फायदा उठाकर सरकारी विज्ञापनों में मुहर लगवा लेते है। इसके कारण वास्तविक जो पत्रकार है और जिनकी रोजी रोटी भी पत्रकारिता पर निर्भर है ऐसे लोग सरकारी सुविधाओं से वंचित रह जाते है। यहां तक कि अधिकारियों से मिन्नतों और नाक रगडऩे पर भी उन्हें सरकारी विज्ञापन नहीं मिलते।

न्यूज़ पोर्टल के फर्जी पत्रकार बने कलमचोर दलाल : न्यूज पोर्टल्स के आने से वास्तविक पत्रकारों को ज्यादा फायदा नहीं हो पाया है। बल्कि न्यूज़ पोर्टल्स के चाटुकार पत्रकारों व भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों का अवैध व्यापार चलने लगा है। क्योंकि किसी विभाग की कमी, भ्रष्टाचार या किसी अवैध व्यापार की जानकारी किसी न्यूज़ पोर्टल के कलमचोर पत्रकार को हो जाती है तो वो खबर लिखने से पहले उस अधिकारी/व्यापारी से बात करके मोटी रकम वसूल लेते है। और अपने न्यूज़ वेब मीडिया में चलाई गलत खबर को भी गायब कर देते है। ऐसे न्यूज़ पोर्टल के पत्रकारों को कलमचोर पत्रकार के नाम से बुलाया जाए तो वो भी इनके लिए शर्मनाक ना हो !

न्यूज़ पोर्टल्स को लोग मानते फर्जी

पत्रकारों को अपने विचारों व अभिव्यक्ति को व्यक्त करने के लिए एक नया क्रान्तिकारी मंच मिला। जिसे आज हम च्च्न्यूज पोर्टलज्ज् के नाम से जानते है। दुनिया भर में न्यूज पोर्टल की शुरुआत बड़ी तेजी से हुई न्यूज पोर्टल्स की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए कई पुराने अख़बार व टीवी चैनलों ने भी अपना-अपना वेब पोर्टल चैनल शुरू किया । लेकिन जहाँ एक ओर न्यूज पोर्टल से पत्रकारिता में एक नई क्रांति आ रही है वही दूसरी ओर कई बार ये खबर आए दिन चर्चा में रहती है कि न्यूज पोर्टल फर्जी है और न्यूज पोर्टल पर काम करने वाले संवाददाताओं, रिपोर्टर कैमरामैन तथाकथित फर्जी है और आम जनता भी उनको पत्रकार नहीं मानती।

पत्रकारिता की आड़ में अवैध गतिविधि

न्यूज़ पोर्टल की आड़ में अपराधी, छुटभैय्ये नेता, असामाजिक गतिविधि वाले लोग अपने काले कारोबार को चला रहे है। सरकार में बैठे लोगों के नज़दीकी और संबंधों का फायदा उठा रहे है। छुटभैय्ये नेता, अवैध कारोबारियों, यहां तक बिल्डर और इंडस्ट्रलिस्ट के लिए भी यह धंधा फायदे का साबित हो रहा है। वेबपोर्टल शुरू कर पत्रकार का टैग लगाकर आसानी से अधिकारियों को धौंस दिखाकर सरकारी विज्ञापन हासिल करना, उगाही करना आसान हो गया है। वही सोशल मीडिया पर मज़ाक बनाकर रख दिया है। जिधर देखो उधर वेब मीडिया की आवश्यकता है। जिले में रिपोर्टर, कैमरामैन तो मोबाइल से ही रिपोर्टिंग करना जानते है। पत्रकारिता को आज के समय में न्यूज़ वेबपोर्टलों द्वारा मज़ाक बनाया जा रहा है। कुछ गुंडे-दादा लोग भी अपने सगे-संबंधों के नाम से फर्जी वेबपोर्टल का डोमिन खरीद कर रजिस्ट्रेशन करवा लेते है। और दो चार रिपोर्टर और कैमरामैन रखकर खुद को पत्रकार घोषित करते है। लेकिन इसकी आड़ में सभी गैर क़ानूनी गतिविधियों को अंजाम देते है। यहा तक कि बिल्डर और उद्योग के मालिक भी न्यूज वेबसाइट के माध्यम से खुद को पत्रकार बताकर अपने काम बना रहे हैं। सट्टे-जुए और नशे का धंधा करने वाले लोगों ने भी अपना वेबपोर्टल बना लिया है और संबंधित विभाग से महीने का पचास हजार का विज्ञापन ले रहे हैं। ऐसे लोग खुद को वेबपोर्टल का संचालक बताकर अधिमान्यता के लिए भी दावा ठोंक रहे हैं इससे आम और सालों से विशुद्ध पत्रकारिता करने वाले ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

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