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घर में बच्चों की किलकारियां माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को आनंदित कर देता है। परिवार के लिए बच्चा एक वरदान है। बच्चें के शरीर में कोई कमजोरी हो तो माता-पिता के लिए यह चिंता का कारण बन जाता है। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर बच्चों की इलाज सही ढ़ंग से नहीं करा पाना और भी चिन्तनीय हो जाता है। ऐसी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए लक्ष्य सुपोषण के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में बच्चों और महिलाओं की सेहत को ध्यान में रखते हुये अनेक योजनाएं लागू की गई हैै। लक्ष्य सुपोषण अभियान 2 अक्टूबर 2019 को लागू की गई जिसके अन्तर्गत पूरे जिले में चयनित लक्षित बच्चों हेतु बच्चे के घर पर सुपोषण किट रखा जाता है।
दैनिक मजदूरी करने वाले गुढ़ियारी अशोक नगर निवासी जयश्री रामटेके के यहां साल 2018 को पैदा हुई श्रेया रामटेके का वजन जन्म के समय एक किलो आठ सौ ग्राम था। श्रेया का वजन उम्र के अनुसार नहीं बढ़ने पर माता-पिता को चिंता सताने लगी। इस बच्ची की स्वास्थ्य में सुधार के लिए नजदीक के आंगनबाड़ी पर्यवेक्षक रीता चैधरी से संपर्क किया। बच्चे के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर सुपोषण अभियान के तहत एक सुपोषण किट दी गई जिसमें विभाग द्वारा प्रदाय की गई दूध, बिस्किट, लड्डू एवं चिक्की को रखा जाता है। कार्यकर्ता दीदी द्वारा प्रतिदिन सुबह बच्चे के घर जाकर नाश्ते मे दूध, केला और बिस्किट खाने को दिया जाता है और दोपहर मे घर मे बने दाल, चावल, सब्जी के साथ अंडा, चिक्की और लड्डू दिया जाता है। पर्यवेक्षक ने श्रेया के माता-पिता को बच्ची को एन.आर.सी. में बाल संदर्भ योजना अंतर्गत में भर्ती करने कहा।
एन.आर.सी. से छुट्टी के बाद पर्यवेक्षक द्वारा श्रेया रामटेके के घर लगातार गृह भ्रमण करके पोषण आहार एवं स्वच्छता संबंधित जानकारी दी जाती रही। इसके साथ ही जीवन आधार समूह की महिलाओं ने श्रेया के स्वास्थ्य में विशेष निगरानी रखी। श्रेया के लिए समूह द्वारा पैसे एकत्रित् करके प्रोटीन पाऊडर, मल्टीविटामिन, आयरन सीरप की दवा दी गई। श्रेया को समय पर खाना और दवा समय पर मिलने से वजन मे लगातार बढ़ोत्तरी होना शुरू हो गया। बच्ची का स्वास्थ्य कुपोषित से सामान्य श्रेणी में आने से माता-पिता की सभी चिंतायें खत्म हो गई। इस दौरान सुपरवाइजर मैडम जी के द्वारा भी बच्चे के घर जाकर महत्वपूर्ण दिशा दिये जाते हैं।
Admin2
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