रायपुर (जसेरि)। छत्तीसगढ़ में दोबारा खुले स्कूलों पर कोरोना संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। पिछले दो दिनों में तीन स्कूलों में विद्यार्थियों और स्कूल स्टाफ के संक्रमण का मामला सामने आया है। इसको लेकर पालक डरे हुए हैं। अब सरकार ऐसे स्कूलों को बंद करने पर विचार कर रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज कहा, जिन क्षेत्रों में ऐसे मामले सामने आए हैं, वहां स्कूलों को बंद रखा जाएगा। असम के तीन दिनी दौरे से लौटे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, विद्यार्थियों के हित को ध्यान में रखते हुए स्कूलों को खोलने का फैसला हुआ है। खासकर के ऐसे विद्यार्थी जिनके पाठ्यक्रम में प्रैक्टिकल है। अब बिना क्लास अटेंड किए ऑनलाइन प्रैक्टिकल तो होगा नहीं। मुख्यमंत्री ने कहा, बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर ही स्कूल खोलने का फैसला लिया गया था। अब देखते हैं कि कहां-कहां से ऐसे मामले आ रहे हैं। जिन क्षेत्रों में मामले आ रहे हैं, उन स्कूलों को बंद तो रखा ही जाएगा।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी कहा, बच्चों के भविष्य को देखते हुए स्कूल खोलने का रिस्क लेना पड़ा। अभी जहां-जहां संक्रमण के मामले आये हैं, वहां जांच के आदेश दिए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने पालकों से कहा है कि बच्चों को कोरोना की जांच कराने के बाद ही स्कूल भेजें। फिलहाल कोरोना को रोकने के तीन ही उपाय हैं। मास्क पहने, हाथ धोते रहे और भीड़भाड़ में जाने से बचें। छत्तीसगढ़ में मार्च से बंद स्कूलों को अभी 15 फरवरी से खोला गया है। फिलहाल केवल 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं ही संचालित की जा रही हैं। इस बीच राजनादगांव के निजी स्कूल, सूरजपुर के शासकीय स्कूल और अम्बिकापुर के सैनिक स्कूल में बच्चों और स्टाफ में संक्रमण का मामला सामने आया है। इन स्कूलों को बंद कर सैनिटाइजेशन कराया गया है।
शिक्षा विभाग ने भी जारी किया निर्देश: स्कूलों में संक्रमण का मामला सामने आने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग भी सक्रिय हुआ है। लोक शिक्षण संचालनालय ने कलेक्टरों और जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर स्कूलों को जरूरी सावधानी बरतने का निर्देश दिया है। जिला शिक्षा अधिकारियों को कहा गया है कि स्कूलों में कोरोना से बचने के उपायों को लागू कराएं।
सर्दी, खांसी वालों को प्रवेश देने की मनाही : लोक शिक्षण संचालनालय ने निर्देश दिए हैं कि स्कूलों को उचित तरीके से सैनेटाइज किया जाए, सोशल डिस्टेंसिंग आदि का कड़ाई से पालन किया जाए। सर्दी, खांसी और बुखार से पीडि़त छात्रों और शिक्षकों को स्कूल में प्रवेश न दिया जाए। सभी कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा गया है कि जिन परिवारों में कोरोना पीडि़त शिक्षक - छात्र पाए गए हैं, उन्हें कंटेनमेंट जोन घोषित कर आवश्यक उपचार उपलब्ध कराया जाए।