छत्त्तीसगढ़। औसत कद काठी के मनोज भले साधारण दिखाई प्रतीत हों पर हौसला बहुत ऊँचा रखते हैं । बलौदा बाजार जिले के सिविल अस्पताल भाटापारा में मनोज कुमार साहू साल 2017 से राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम में मेडिको लैब टेक्नोलॉजिस्ट के पद पर कार्य कर रहे हैं । मनोज देश के लाखों कोरोना वारियर्स की तरह अपनी सेवा प्रथम पंक्ति में दे रहे हैं । मई जून की गर्मी में पीपीई किट पहन के गाँव- गाँव घूम कर क्वांरेंटाइन सेंटर पर लोगों का सैंपल लेना, साथ ही देर रात्रि रेलवे स्टेशन पर प्रवासियों को लेकर आती गाडी से उतरे नागरिकों की जांच में मनोज लगे रहे।
मनोज मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं । गत वर्ष जिस समय देश में कोरोना की लहर तेज होनी शुरू हुई उन्होनेे अपने कार्य और संक्रमण के खतरे को देखते हुए अपनी गर्भवती पत्नी को घर भेज दिया और खुद जुट गए कत्र्तव्य पालन में। गत वर्ष अप्रैल में मनोज के घर में एक नए मेहमान के रूप में बेटे का आगमन हुआ । अपने कर्तव्यों के निर्वहन को समर्पित मनोज अपने नवजात शिशु से अच्छे से मिल भी न सके।
अक्टूबर 2020 में मनोज स्वयं कोरोना पॉजिटिव हो गए लेकिन वृद्ध माता पिता और घर के लोगों की घबराहट को ध्यान में रख उन्होने यह बात पत्नी के अतिरिक्त घर में किसी को नहीं बताया 14 दिन घर पर रहे और ठीक होकर पुनः अपने काम पर लग गए । इस पेशे में खतरे की जब बात कही जाती है तब मनोज स्वयं को "खतरों का खिलाड़ी" कह कर जोर से हंस पड़ते हैं और उठ के पीपीई किट पहनने चल देते हैं। मनोज उन्हीं प्रथम पंक्ति कोरोना वारियर्स में से एक हैं जो निष्काम कर्म में लगे हुए हैं। हम सभी को मनोज पर गर्व है। सलाम है मनोज आप को।