रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने रविवार को प्रकरणों की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में डीएनए टेस्ट और एक अन्य केस में एफआईआर के निर्देश दिए हैं। एक प्रकरण में अनावेदक ने अपने आवेदिका पत्नी और बेटी को पहचानने से इंकार कर दिया। अनावेदक ने कहा कि यह न मेरी पत्नी है और न तो यह मेरी बेटी है। इस प्रकरण में अध्यक्ष डॉ नायक ने आगामी सुनवाई शिकायत के आधार पर जारी रखे जाने के पूर्व आवेदिका बेटी और अनावेदक का डीएनए टेस्ट कर रिपार्ट प्रस्तुत करने कहा। दरअसल आवेदिका पत्नी ने बताया कि सन 1980 में विवाह अनावेदक से हुआ था। ग्रामीण परिवेश में विवाह हुआ है और 5 साल तक अपने ससुराल में रही है। इस संबंध में डॉक्टरों से चर्चा के बाद थाना प्रभारी सिविल लाइन के माध्यम से सुपरिटेंडेंट मेडिकल कॉलेज को डीएनए टेस्ट के लिए भेजा गया है। डीएनए टेस्ट लेते तक आवेदिका मां और बेटी को सखी सेंटर में सुरक्षित रखा गया है। इस प्रकरण की समस्त जानकारी के लिए आयोग के समक्ष शासकीय कार्यावधि समय मे जानकारी को थाना प्रभारी, एसआई के माध्यम से आयोग को अवगत कराने कहा गया है।
एक अन्य प्रकरण में जिला जांजगीर से एसआई के माध्यम से अनावेदक को उपस्थित कराया गया। अनावेदक पिछले दिसंबर माह की सुनवाई में उपस्थित हुआ था, तब भी दुधमुंही बच्ची को लेकर नहीं आया था। आज सुनवाई में भी बच्ची को लेकर उपस्थित नहीं हुआ और आज आयोग के समक्ष उपस्थित होकर उच्चतम न्यायालय में लगाए पिटीशन को कॉपी दिखाकर कहा कि मामला कोर्ट में चल रहा है। साथ ही आयोग की अधिकारिता को मानने से इंकार किया। चूंकि अनावेदक का रवैया बार-बार बच्ची को लेकर ताला बंद कर घर के सदस्यों सहित फरार हो जाने का है। आज भी उसकी नियत बच्ची को देने की नहीं है। ऐसी स्थिति में आवेदिका को आयोग से सीधा सिविल लाइन थाना भेजा गया। थाना सिविल लाइन ने अनावेदक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।