जब एस.पी. साहब स्वयं बच्चों को संघर्ष का सबक सिखाए तो, बच्चे बनेंगे ही संर्घषशील। जीवन एक संघर्ष है, इस सत्यता को हमें स्वीकारना और जीतना होगा। गरियाबंद जिले के पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने इस आशय के विचार स्कूल शिक्षा विभाग के 'पढ़ई तुंहर दुआर' के साप्ताहिक वेबिनार में स्वयं के जीवन संघर्ष के वृतांत बच्चों को सुनाया। उन्होंने कहा कि हर बच्चा अपने सपनों को पूरा कर सकता है, बशर्तें की इसके लिए हमें पूरे मनोयोग से अपने सपने को पूरा करने के लिए सच्चे मन से परिश्रम करना चाहिए।
पटेल ने हवाई जहाज का उदाहरण देते हुए बताया कि इसके आविष्कारक ने पक्षियों को उड़ते हुये देखा, तो उनके मन में विचार आया कि जब पक्षी उड़ सकता है तो क्यों न किसी चीज को भी उड़ाया जाये। कल्पना शक्ति को आगे बढ़ाते हुए विज्ञान के प्रयोग के जरिए हवाई जहाज हमारे बीच आया। कल्पना करने से एक दृश्य उभर कर हमारे सामने आता है। दृश्य और कल्पना को मिलाकर एक सोच बनती है। इसी सोच को जब हकीकत में बदलने के लिए जब व्यक्ति परिश्रम करता है, तब उसे कामयाबी मिलती है। श्री पटेल ने बच्चों आगे कहा कि सकारात्मक चीजों को देखकर, विचार, कल्पना शक्ति और परिश्रम से मंजिल पा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई आगे बढ़ा है एवं बहुत कुछ अपने जीवन में हासिल किया है तो मैं क्यों नहीं कर सकता। यही सोच हम सबके दिलों-दिमाग में होनी चाहिए। सोच को पूरा करने के लिए हमें छोटे-छोटे लक्ष्य बनाने होंगे। जिस तरह छोटे-छोटे कदमों से बच्चे अपने लक्ष्य तक पहुंचते है। उसी तरह हमें भी अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए रणनीति बनानी चाहिए। उन्होंने धनुर्धारी अर्जुन के अचूक लक्ष्य का उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि सुभाषितानी श्लोक ने मुझे जीवन में काफी कुछ सिखाया है। प्रत्येक बच्चा दिन के चैबीस घंटे को पढ़ाई, मनोरंजन, परिवार, खेल जैसे गतिविधियों पर विभाजित करें और इन निर्धारित समय पर अपने कार्य पूर्ण करें, जिससे न सिर्फ उसे संतुष्टि मिलेगी बल्कि उसे लक्ष्य भी प्राप्त होगा।
गौरतलब है कि गरियाबंद के पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल पुलिस अधीक्षक बनने से पहले शिक्षाकर्मी के तौर पर बच्चों को पढ़ाने का कार्य किया। एस.पी. साहब अपने कार्य को पूरा करने के बाद शेष समय में वेबिनार के माध्यम से स्कूल बच्चों का मार्गदर्शन एवं उनकी हौसला अफजाई कर रहे है।