बिलासपुर। राउत नाचा में हुए विवाद के बाद लकड़ी की पटिया से मारकर महिला की हत्या के आरोपी की अपील हाईकोर्ट से खारिज हो गई। हाईकोर्ट ने डॉक्टर के अभिमत और साक्ष्यों को देखते हुए निचली अदालत द्वारा दिए गए उम्र कैद की फैसले को बरकरार रखा। रायपुर के खरोरा निवासी मेहेत्तर उर्फ नानू धीवर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रायपुर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा 2 मई 2014 को हत्या के मामले में दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा दिए जाने को चुनौती दी।
सुनवाई के दौरान बताया गया कि अपीलकर्ता के खिलाफ संतोष धीवर ने अपराध दर्ज कराया है कि उसके पास के गांव के राउत समाज के लोग नाचने आए थे। इस दौरान संतोष व मेहेत्तर का विवाद हो गया। संतोष इसकी रिपोर्ट दर्ज कराने जा रहा था तो उसकी मां मोतिन बाई ने उसे नहीं रोका। इसके कारण गुस्से में मेहेत्तर ने मोतिन बाई के सिर में लकड़ी के बट्टा से सिर में हमला कर दिया जिससे खून बहने लगा और वह बेहोश हो गई। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मामले में खरोरा थाना प्रभारी ने अपीलकर्ता के खिलाफ धारा 302 के तहत अपराध दर्ज किया। पीएम रिपोर्ट में डॉक्टर ने बताया कि हमले से सिर की हड्डी टूट गई थी, हमले की प्रकृति हत्यात्मक थी। इसके कारण मृत्यु हो गई। निचली अदालत में मेहेत्तर के खिलाफ 11 गवाह पेश किए गए थे। मामले की सुनवाई के बाद निचली अदालत ने उम्र कैद की सजा व अर्थदंड की सजा दी।
मृतिका ने न तो उसे कोई उकसाया और न ही अचानक उसके साथ लड़ाई हुई थी। इसके बाद भी अपीलकर्ता ने बेरहमी से मृतिका के सिर के पिछले हिस्से पर हमला किया। इसलिए आईपीसी की धारा 300 के लिए प्रदान किए गए अपवादों में से कोई भी अपवाद लागू नहीं होगा। दोषसिद्धि के धारा को 304 में नहीं बदला जा सकता।