बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में मिली सजा रद्द करते हुए पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि आत्महत्या और इसके लिए उकसावे के बीच सीधा संबंध होना जरूरी है।
याचिकाकर्ता लभोराम का पहला विवाह विफल हो गया था। पहली पत्नी के मायके चले जाने के बाद उसने दूसरा विवाह किया था। दूसरी पत्नी ने सन् 1999 में आत्महत्या कर ली। ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई के बाद उसे 7 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। इस फैसले को उसने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचिकाकर्ता की ओर से हवाला दिया गया कि नरेश कुमार बनाम हरियाणा राज्य सहित कई अन्य मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी सजा के विरुद्ध निर्णय दिए हैं। आत्महत्या का घरेलू कलह या प्रताड़ना के साथ सीधा संबंध स्थापित होना चाहिए।
हाईकोर्ट में जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की बेंच ने पाया कि आरोपी ने ऐसा कोई कृत्य नहीं किया है, जिसका आत्महत्या से सीधा संबंध हो। प्रस्तुत साक्ष्य उसे दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।