छत्तीसगढ़ राज्य में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार महज दो वर्षों के सीमित अंतराल में 'गढ़बो नवा छत्तीसगढ़' की राह पर तेजी से बढ़ने लगी है। प्रदेश के आकांक्षी जिलों में जहाँ एक और औद्योगिक विस्तार की नवीन संभावनाएं तलाशी जा रही है, वहीं छत्तीगसढ़ राज्य के आदिवासियों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से वनोपज के व्यापार को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए सरकार ने अपने प्रयास तेज कर दिए है। नवीन वनोपज नीति के तहत सरकार ने निजी मार्केटिंग कंपनियों को छत्तीसगढ़ राज्य के वनोपज को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मार्केटिंग का काम सौंपा है, जिसके बेहतर परिणाम सामने आ रहे है। हाल ही में दुबई में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हर्बल प्रोडक्ट व्यापार मेले में छत्तीसगढ़ के वनोपज उत्पाद की मार्केटिंग कंपनी अवनीस हर्बल ने प्रदर्शनी के माध्यम से प्रदर्शित किया। जिसके निकट भविष्य में बेहतर परिणाम आने की संभावनाएं निर्मित हुई है।
वनोपज के इस कारोबार के जरिए प्रदेश के वनांचल क्षेत्र के हजारों आदिवासियों के लिए न केवल रोजगार का सृजन किया है, बल्कि उनके आत्मविश्वास में भी वृद्धि की है। दरअसल छत्तीसगढ़ राज्य का 44 प्रतिशत क्षेत्र वनाच्छादित है। राज्य की सुरम्य वनांचल इलाकों में लगभग सभी प्रकार की जैव विविध वनस्पति एवं आयुर्वेदिक जड़ी-बुटिया उपलब्ध है। श्री भूपेश बघेल की सरकार इन सम्पदाओं का व्यवस्थित व्यावसायिक दोहन की कारगर रणनीति तैयार करने में सफल रही। वनसम्पदाओं की उपयोगिता और व्यावसायिक लाभ को सरकार की नीतियों से जोड़कर आदिवासियों को समृद्ध बनाने की दिशा में उठाया गया छत्तीसगढ़ सरकार का यह कदम, अब विश्व स्तर पर सुर्खियां बटोर रहा है। वहीं वैश्विक स्तर पर बाजार उपलब्ध होने से न केवल इन उत्पादों की मांग बढ़ रही है, बल्कि जमीनी स्तर पर स्व-सहायता समूहों के जरिए आदिवासियों तक सीधा लाभ भी पहुंच रहा है।
वन्य एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन और छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के निर्देशन में संचालित वनोपज उत्पादों की ईकाइयों में विश्वस्तरीय प्रोडक्ट का उत्पादन किया जा रहा है। राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक श्री संजय शुक्ला ने बताया कि इन प्रोडक्ट्स में स्वास्थ्यवर्धक अश्वगंधा, त्रिफला पावडर, च्यवनप्राश, शहद से लेकर फेसपैक पाउडर तक की विशाल श्रृंखला मौजूद है। स्वादिष्ट एवं शुद्ध मुरब्बा और अचार भी स्व-सहायता समूहों द्वारा बनाया जा रहा है। लगभग 90 से अधिक प्रोडक्ट की पैकेजिंग और प्रोसेसिंग के जरिए छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासियों की समृद्धि की दिशा में एक नए लक्ष्य की और सतत अग्रसर हो रही है।
बाजारवाद के इस युग में निजी कंपनियों के उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठना लाजमी है, लेकिन सरकार के निर्देशन में स्व-सहायता समूहों द्वारा संचालित छत्तीसगढ़ वनोपज उत्पादों की निर्माण ईकाइयां में शुद्धता और गुणवत्ता का पूर्ण रूप से ध्यान रखा गया है। जड़ी-बूटियों से लेकर अन्य उत्पादों का संकलन से लेकर प्रसंस्करण सबकुछ विशेषज्ञों की निगरानी में संचालित है। यही वजह है की हर्बल प्रोडक्ट की गुणवत्ता और शुद्धता ने बाजार में अपनी जगह बनाना शुरू कर दिया है।