छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: मछलीपालन और मुर्गीपालन शुरू कर ले रही अच्छी आमदनी...अरसनारा की पूर्णिमा पेंड्रा ने मेहनत से कमाया नाम और सम्मान

Admin2
29 Dec 2020 5:28 AM GMT
छत्तीसगढ़: मछलीपालन और मुर्गीपालन शुरू कर ले रही अच्छी आमदनी...अरसनारा की पूर्णिमा पेंड्रा ने मेहनत से कमाया नाम और सम्मान
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हम सबने ये तो सुना ही है कि इंसान का काम बोलता है! या अंग्रेजी में कहेंगे तो ''वर्क हार्ड इन साइलेंस लेट योर सक्सेस बी योर नॉइज'' यानि कि शांति से कड़ी मेहनत कीजिये,एक दिन आपकी कामयाबी आपकी आवाज बनेगी। यह बात अरसनारा की पूर्णिमा पेंडरिया पर भी लागू होती है जिन्होंने अपने काम और अपनी मेहनत से अपने गांव में अपनी एक पहचान बनाई। पूर्णिमा बताती हैं उनकी मन में बहुत दिनों से विचार था अपना खुद का काम शुरु करें। छोटी-छोटी बचत शुरू की। पूर्णिमा की इच्छा थी कि पोल्ट्री का व्यवसाय शुरू करें लेकिन अकेले यह मुश्किल था इसलिए उन्होंने अपने गांव के महिलाओं को मनाने और समझाने का सोचा। कुछ महिलाओं को जोड़कर समूह भी बनाया नाम रखा भगवती स्व-सहायता समूह। जब गांव की महिलाओं को उन्होंने बताया कि पोल्ट्री के व्यवसाय में अच्छा फायदा है, तो शुरुआत में कोई मान नहीं रहा था। लेकिन पूर्णिमा अपना मन बना चुकी थी उनको खुद का काम शुरु करना है इसलिए शुरुआत में अपनी छोटी-छोटी बचत से बचाए रुपयों से उन्होंने कड़कनाथ वेराइटी और वनराज वेरायटी के चूजे खरीदे। एक दिन उनको सीआरपी यानि कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन सरिता साहू से बिहान योजना के बारे में पता चला कि इसके माध्यम से आजीविका स्थापित करने के लिए उनको अच्छा लोन मिल सकता है। जब उन्होंने अपने इस विचार के बारे में बताया तो जनपद पंचायत की ओर से उनको मदद मिली। समूह को 1 लाख रुपए का लोन भी मिला। लगातार समझा बुझा कर कुछ महिलाओं को राजी भी कर लिया। इसके बाद 30 हजार की लागत से मुर्गी शेड और 20 हजार की लागत से मछली पालन के लिए टंकी बनवाई। अगस्त 2020 में 12 हजार रुपये का मोंगरी मछली का बीज व 5000 रुपये का दाना खर्च किया गया, जिससे 2 महीने बाद 5 हजार रुपए की आमदनी हुई तथा कुल आमदनी अबतक 15000 रुपए हो चुकी है। इसी तरह मुर्गीपालन में मुर्गी चूजा व दाना पानी हेतु कुल 10000 रुपये खर्च किया गया और 3 महीने में 16000 रुपये की आमदनी हुई है।

बैंक लिंकेज से मिला 1 लाख और बिहान से 60 हजार रिवॉल्विंग फंड, 15 हजार का अनुदान भी दूसरी महिलाएं भी हो रही हैं प्रेरित- पूर्णिमा बताती है कि शुरुआत में थोड़ी दिक्कत हुई लेकिन धीरे-धीरे मेहनत और लगन से सक्रिय महिला के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बना ली थी। पूर्णिमा बताती है कि जो महिलाएं पहले उनकी घर नहीं आती थी, वह भी उनके घर आने लगी और बातचीत भी करने लगी। इतना ही नहीं महिलाओं को प्रेरणा भी मिली कि किस तरह से अपना खुद का काम शुरू कर के कामयाबी मिल सकती है। लगातार दूसरी महिलाओं को प्रेरित करती रहती हैं कि अपनी आजीविका शुरू कीजिए इसके लिए शासन की ओर से बहुत सी योजनाएं चलाई जा रही हैं इतना ही नहीं जनपद पंचायत द्वारा बैंक लिंकेज के माध्यम से महिला समूह को 100000 रुपये का ऋण भी उपलब्ध कराया जाता है। पूर्णिमा बताती हैं कि उनको बिहान योजना के तहत 60 हजार रुपए का रिवाल्विंग फंड और सक्रिय महिला समूह होने के नाते 15 हजार रुपए का अनुदान भी मिला है। मछली पालन और मुर्गी पालन से हो रही आमदनी समूह के खाते में जमा कर रहे हैं ताकि इस व्यवसाय को और बड़ा रूप दे सकें।
बिहान योजना से महिलाएँ बन रही आत्मनिर्भर
पंदर की महिलाओं ने भी शुरू किया कड़कनाथ पालन
पोल्ट्री व्यवसाय से तीन माह में कमाए 50 हजार रुपए
पाटन ब्लॉक के पंदर गांव की महिलाओं ने डेढ़ साल पहले

जुलाई 2019 में स्वामी आत्मानंद स्व-सहायता समूह का गठन किया। अध्यक्ष इन्दिरा वर्मा बताती हैं कि शासन की ओर से महिलाओं को आजीविका स्थापना के लिए काफी मदद उपलब्ध कराई जा रही ही इसलिए उन्होंने भी सोचा कि कुछ व्यवसाय शुरू करें।उन्होंने बताया कि सी आर पी राउण्ड के दौरान बिहान योजना के बारे में जानकारी मिली तो जुलाई 2019 को महिलाओं ने मिलकर स्वामी आत्मानंद स्व सहायता समूह का गठन किया।पहले सभी महिलाएं खेती और मजदूरी करके जीवन यापन करती थी।
इसके बाद समूह के 11 सदस्यों के द्वारा साप्ताहिक बचत 20 रुपये करते हुए निरन्तर समूह का संचालन जारी था।इसके बाद हमारे द्वारा आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आजीविका कार्य आरम्भ की सोची। इसके बाद कड़क नाथ व ब्रायलर मुर्गी पालन शुरू किया। जुलाई 2020 से आजीविका शुरू की जिसमें चूजा खरीदी, शेड निर्माण व दाना पानी हेतु एक लाख रुपये का खर्च हुआ। काम शुरू होने के 2 माह बाद प्रति माह 10 हजार रुपये की आय प्राप्त हो रही है अब तक कुल 50 हजार रुपये की आय हो चुकी है। सचिव शकुन वर्मा बताती है कि इस आजीविका गतिविधि को प्रारम्भ कर हम सभी सदस्य आत्मनिर्भर हो रहे है व दूसरे समूह भी इससे प्रेरित हो रहे है।
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए शासन प्रशासन है संकल्पित-जिला पंचायत के सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि तीनों जनपद पंचायतों के माध्यम से महिलाओं को बिहान योजना के तहत जोड़ा जा रहा है छत्तीसगढ़ सरकार गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है उन्होंने बताया कि कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरंेद्र भूरे के निरंतर मार्गदर्शन में ग्रामीण अंचल को फोकस करते हुए शासन की योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है कि आलोक ने कहा कि महिलाओं के पास यदि रुपए बचते हैं तो उनसे परिवार की आर्थिक सुदृढ़ता मिलती है इसलिए हमारा फोकस महिलाओं के स्वावलंबन पर रहता है।
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