छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: जेल में बंद बंदियों के आजीविका की जरिया बनेगी गोधन न्याय योजना

jantaserishta.com
29 Dec 2021 12:00 PM GMT
छत्तीसगढ़: जेल में बंद बंदियों के आजीविका की जरिया बनेगी गोधन न्याय योजना
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वर्मी कम्पोस्ट खाद उत्पादन का दिया जा रहा प्रशिक्षण।

महासमुंद: विभिन्न आपराधिक मामलों में महासमुंद जेल में बंद बंदियों की सजा पूरी कर जेल से रिहा होने वाले बंदियों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए गोधन न्याय योजना रोजगार का जरिया बनेगी। इस योजना के तहत बंदियों को वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन का प्रशिक्षण देने की शुरुआत जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन द्वारा की गई है। वहीं जेल में जरूरी व्यवस्थाएं, जेल अस्पताल में पलंग, पेयजल हेतु पाईप लाईन, नाली निर्माण आदि भी कराया गया है। इस जेेल में 417 बंदियां है।

महत्वाकांक्षी योजना गोधन न्याय योजना के तहत सजा पूरी करने जा रहे एवं अन्य प्रकरण में बंद बंदियों को वर्मी कम्पोस्ट खाद का प्रशिक्षण देकर प्रशिक्षित किया जा रहा है। जेल से बाहर आने के बाद बंदियों को स्वरोजगार और व्यवसाय में मदद मिलेगी। कलेक्टर डोमन सिंह ने बताया कि प्रशिक्षण लेने के बाद ये बंदी मास्टर ट्रेनर और जेल से बाहर आने के बाद बंदी अपना भविष्य संवार सकते है। उन्होंने कहा बंदियों को अपराध से दूर रखने और सामाजिक उत्थान को लेकर जिला और जेल प्रशासन की ओर से कई तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जायेंगे। हाल ही में महासमुंद जनपद पंचायत के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा प्रारंभिक तौर पर जेल में बंद 13 बंदियों को प्रशिक्षण दिया गया था।
सहायक जेल अधीक्षक मुकेश कुशवाह ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते पिछले लगभग पौने तीन साल से जेल में बंद कैदियों के लिए प्रशिक्षण की बाहरी गतिविधियां बंद थी। जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन आपसी सहयोग के जरिए अब बंदियों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए प्रशिक्षण दिए जाने की शुरूआत की गई है। जेल में बंद बंदी रिहा होते है तो उनके हाथों में हुनर नहीं रहता। इस कारण कई बंदी उन अपराध की ओर बढ़ जाते है या फिर मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पेट भरते है। जेल और जिला प्रशासन की पहल पर अब इन्हें राज्य सरकार की योजना के जरिए हुनरमंद बनाया जा रहा है। ताकि वे जेल से बाहर निकलते ही वे अपना रोजगार शुरू कर सके और अपराध से दूर हो जाए। उन बंदियों को चिन्हित किया गया है। जिनकी रिहाई हाल ही में होना है।

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