रायपुर। राज्य स्तरीय युवा महोत्सव का आज अंतिम दिन है. परदेशी राम वर्मा ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा कि इस सत्र में मार्मिक और जागरूक करने वाली कहानी का वाचन किया गया। उन्होंने कहा की छत्तीसगढ़ी में जो रचना की गई है, वह काव्यात्मक है। परंतु वर्तमान में पिछले कई वर्षो से गद्य में रचना हो रही है,जो प्रशंसनीय है।
गांव में जो नाटक होता था वह छत्तीसगढ़ी में नही होता था,हिंदी में होता था। देश में सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ में महाभारत और रामायण का प्रभाव रहा है।जिंदगी है तो बहरहाल गुजर जाएगी, तू अगर साथ नही तो कोई बात नही। उन्होंने कहा कि आयोजन की अंतराष्ट्रीय स्तर से तुलना की जा सकती है।साहित्य के लिए छोटी नौकरी कीजिए,बड़ी नौकरी आपकी की कला को उदय नही होने देगी।छत्तीसगढ़ी भाषा को मजबूत करने के लिए सबको समन्वय से काम करना होगा। छत्तीसगढ़ की धरती में प्रथम कथाकार हुए।
प्रथम सत्र के समापन अवसर पर परदेशी राम वर्मा ने गोंदा उपन्यास का विमोचन किया गया। इसके लेखक श्री परमानंद वर्मा है। सरगुजिया में दिपलता देशमुख की बाल कहनी का भी विमोचन किया गया।