कलेक्टर एवं ज़िला दंडाधिकारी कार्तिकेया गोयल ने कहा कि महासमुंद ज़िले में आयातित पटाखे बेचना एवं उनका उपयोग प्रतिबंधित रहेगा। ऐसा करने पर "एक्सप्लोसिव एक्ट" की संबंधित धारा के विरूद्ध दण्डात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने ज़िले की जनता से अपील की है कि स्थानीय उत्पादों को खरीदा जाए। दीपावली के दौरान मिट्टी के दिये खरीदें, जिससे स्थानीय कुम्हारों को रोजगार मिले। कलेक्टर गोयल ने बताया कि विस्फोटक अधिनियम के अंतर्गत अवैध पटाखों के भंडारण,वितरण तथा विक्रय एवं उपयोग पर 2 साल की सजा का प्रावधान है। अत: कोई भी पटाखों का भंडारण, वितरण, विक्रय अथवा उपयोग न करें।
इस संबंध में भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने आयातित पटाखों के अवैधानिक क्रय -विक्रय पर रोक लगाए जाने के संबंध में निर्देश जारी किए है।पटाखों के विक्रय के संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा वर्ष 2018 में जारी गाईड लाइन के उपयोग किए जाने के संबंध में ज़ोर दिया गया है। जो कि न केवल अवैधानिक आयातित पटाखों के संबंध में, बल्कि देश में निर्मित पटाखों के उपयोग के संबंध में है। इसके तहत आयातित आतिशबाजी को बेचना या भंडारण करना गैरकानूनी है। यह आतिशबाजी संवदेनशील कैमिकल से बनी होती है और ध्वनि मानक के अनुरूप नहीं होती। ऐसी आतिशबाजी का उपयोग व्यक्ति की सेहत को खतरे में डाल सकता है। केमिकल्स इंसानों के लिए खतरनाक होने के साथ पर्यावरण के लिए भी हानिकारक हैं। अनाधिकृत आतिशबाजी क्रय-विक्रय करने पर संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध विस्फोटक नियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
कलेक्टर गोयल ने ज़िले के सभी पटाखों के विक्रेताओं से भी आग्रह किया कि वे कम उम्र के बच्चों को सीधे पटाखे न बेचे। बच्चों को अभिभावक की उपस्थिति में ही पटाखे दें । छोटे पटाखे जैसे फुलझड़ी, चकरी, अनार भी दुकानदार अभिभावक के सामने ही बच्चों को विक्रय करें ताकि किसी प्रकार की घटना, दुर्घटना न हो सके । किसी पटाखा दुकान पर 18 साल से कम उम्र के बच्चों को काम पर रखने वालों के खिलाफ भी प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जाएगी। नए निर्देशों के तहत प्रशासन और संबंधित थाना पुलिस पटाखा दुकान पर नजर रखेगी। जो विक्रेता नियमों का उल्लंघन करते मिलेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आयातित पटाखों से ध्वनि प्रदूषण अधिक होने के साथ सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।