छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: आरटीओ में हर काम ठेके पर...दलालों का कब्जा...लोग परेशान

Admin2
1 Dec 2020 6:26 AM GMT
छत्तीसगढ़: आरटीओ में हर काम ठेके पर...दलालों का कब्जा...लोग परेशान
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आरटीओ बैरियर में दलालों की अवैध वसूली का ठेका छुटभैया नेताओं के संरक्षण में

पोटेकोहरा सबसे बदनाम बैरियर, जहां दलाल मचाते है आतंक, तीन दलाल गिरफ्तार, 11 लठैतों पर कार्रवाई

रायपुर (जसेरि)। आरटीओ का नाम लेते ही सबसे पहले जेहन में यहींसवाल उठता है यहां बिना दलाली के कोई काम संभव नहीं है। खबर तो यहां तक है कि अधिकारी से मिलीभगत कर छुटभैया नेता बौरियर खरीद लेते है, फिर अवैध वसूली पूरी रंगदारी के साथ करते है। हाल ही में एक मामला सामने आया है जिसमें पाटेकोहरा स्थित बैरियर में ट्रक चालकों को 3 सौ रुपए में टोकन बेचने के साथ ही आरटीओ अफसर बनकर गाडिय़ों को पार कराने वाले तीन दलालों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

वहीं बैरियर में लठैत का काम कर रहे 11 लोगों के खिलाफ 151 की धारा के तहत कार्रवाई की गई। इस कार्रवाई से परिवहन विभाग में बवाल मचा हुआ है। पुलिस के अनुसार बीती रात छुरिया मोड़ पर बापूटोला के पास कुछ अज्ञात लोगों ने आरटीओ बैरियर पाटेकोहरा को पार कराने के नाम पर अवैध वसूली किए जाने की शिकायत मिली सूचना पर चिचोला पुलिस ने मौके पर पहुंच कर तीन लोगों को गिरफ्तार किया । इस तरह प्रदेश के हर बैरियर में दलाल और लठैत तैनात है जो ट्रक पार कराने का ठेका लेते है।

विधायक के करीबियों पर नहीं हुई कार्रवाई : प्रदेश के सबसे बदनाम बैरियर पाटेकोहरा के ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि पाटेकोहरा बैरियर में खुज्जी विधायक छन्नी साहू और डोंगरगढ़ विधायक भुवनेश्वर बघेल के रिश्तेेदारों को भी काम पर रखा गया है, ग्रामीणों ने उनके नाम भी सार्वजनिक किए है। विधायकों और नेताओं के कुल 45 रिश्तेदारों को बैरियर में काम पर रखा गया, लेकिन चिचोला पुलिस ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की है। जबकि यहीं लोग ट्रकों को पास कराने के नाम पर वसूली कर रहे थे।

यहां भी ठेकेदार-वहां भी ठेकेदार : आरटीओ कार्यालय के अधिकारी कितने भी पारदर्शी होने की बात कहे लेकिन सच यहीं है कि बैरियर से लेकर आरटीओ कार्यालय का काम कराना है तो दलालों की शरण में जाना ही पड़ेगा। आरटीओ में सारा काम ठेके पर चल रहा है। सिर्फ लर्निंग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन के चलते ही सामान्य फीस में काम होता है। मगर उसी लर्निंग लाइसेंस को परमानेंट करवाने से लेकर आर टी ओ सम्बंधित अन्य कामों के किये दुगने पैसे वसूले जा रहे है। आरटीओ का जो काम 2 दिन में ख़त्म हो जाता है उसके लिए लोगों को 2 से 3 हफ़्तों परेशान होना पद रहा है। एक तरफ देखा जाए तो परिवहन विभाग सरकार के लिए आय का सबसे बड़ा माध्यम है। आरटीओ दफ्तर के बाहर पहुंचते ही दलाली का खेल शुरू हो जाता है। परेशानी से बचने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने, वाहन का पंजीयन कराने, परमिट लेने वाले अधिकांश लोग दलाल के पास रुक जाते हैं। वहीं आफिस के अंदर सरकारी कर्मचारी से अधिक निजी लोग कुर्सी संभाले हैं। यह लोग सरकारी कर्मचारी की तरह फाइल का निपटारा करते हैं। यहां हर काम के लिए सुविधा शुल्क निर्धारित है। ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए तीन सौ रुपये के बजाए 15 सौ रुपये वसूले जाते हैं। जो लोग सीधे ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने जाते हैं और सुविधा शुल्क नहीं अदा करते तो उन्हें कई दिनों तक टहलाया जाता है।

अधिकारियों से शिकायत करने पर उसका आवेदन पत्र खो जाने की बात कही जाती है। परिवहन मुख्यालय द्वारा चालू आनलाइन शिकायत कक्ष को इस तरह की कई शिकायत मिल चुकी हैं। इसी तरह परमिट, टैक्स जमा करने, वाहनों का फिटनेस प्रमाण पत्र लेने का सुविधा शुल्क अलग-अलग तय है। इनसे संबंधित कर्मियों की कुर्सी पर निजी लोगों का कब्जा है। विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक सरकारी कुर्सी खरीदने वाले दलालों को प्रतिमाह अफसरों व स्थायी कर्मियों को 20 से 25 हजार रुपये देने पड़ते हैं।

आरटीओ में दलाल सक्रिय

आरटीओ कार्यालय में दलाल अब सक्रिय हैं। उनके बिना लोगों के काम नहीं हो रहे हैं। परिवहन विभाग शुरू से दलालों के चंगुल में रहा है। काम कराने के लिए नाम आवेदकों से मनमर्जी वसूली करते हैं। इतना ही नहीं रुपया लेने के बाद काम समय पर नहीं कराते हैं। आए दिन आवेदक दलालों के पीछे घूमते नजर आते हैं। कई आवेदकों द्वारा शिकायतें भी की गईं। ऑनलाइन ड्राइविंग लाइसेंस के फार्म को डाउनलोड कर उनका प्रिंट निकलवाना पड़ता है। इतना ही नही प्रिंट के बाद उसमें फोटो तथा सभी जानकारी की कॉपी पेस्ट की जाती है। डॉक्टर के फिटनेस सर्टिफिकेट जैसी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद फार्म के साथ इन्हें पूरा कर लाइनों में खड़े होकर फीस जमा करवानी पड़ती है। इससे ऑनलाइन प्रक्रिया और जटिल हो जाती है। सब कुछ ऑनलाइन होने से लोगों व ट्रांसपोर्टरों को कोई परेशान नहीं होगी। लेकिन समय गुजरने के साथ दावे हवा हो गए हैं। ड्राइविंग लाइसेंस, वाहनों के पंजीकरण और वाहनों की फिटनेस के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है लेकिन फीस की अदायगी नहीं होने से सभी को परेशान होना पड़ रहा है।

'जनता से रिश्ता के संवाददाता ने आरटीओ रायपुर से बात करने की कोशिश की मगर उनकी फोन कॉल में कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखी।

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