छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: बाल विवाह एक सामाजिक कुप्रथा, कलेक्टर ने नागरिकों को इससे बचनें की अपील की

Deepa Sahu
16 April 2021 12:08 PM GMT
छत्तीसगढ़: बाल विवाह एक सामाजिक कुप्रथा,  कलेक्टर ने नागरिकों को इससे बचनें की अपील की
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बाल विवाह

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: उत्तर बस्तर कांकेर के कलेक्टर चन्दन कुमार ने जिले के नागरिकों को बाल विवाह न करने और न ही बाल विवाह होने देने की अपील करते हुए कहा कि बाल विवाह एक सामाजिक कुप्रथा है, जिसे जड़ से खत्म करना होगा। बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का निर्मम उल्लंघन भी है। बाल विवाह के कारण बच्चों के पूर्ण और परिपक्व व्यक्ति के रूप में विकसित होने के अधिकार, इच्छा स्वास्थ्य, पोषण व शिक्षा पाने और हिंसा, उत्पीड़न व शोषण से बचाव के मूलभूत अधिकारों का हनन होता है। कम उम्र में विवाह से बालिका का शारीरिक विकास रूक जाता है तथा कम उम्र की मां के नवजात शिशुओं का वजन कम रह जाता है, साथ ही उनके सामने कुपोषण व खून की कमी की भी आशंका बनी रहती है। बाल विवाह की वजह से बहुत सारे बच्चे अनपढ़ और अकुशल रह जाते हैं जिससे उनके सामने अच्छा रोजगार पाने और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने की ज्यादा संभावना नहीं बचती है।

कलेक्टर ने कहा कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार 21 वर्ष से कम आयु के लड़के और 18 वर्ष से कम आयु की लडकी का विवाह प्रतिबंधित है। कोई व्यक्ति जो बाल विवाह करवाता है, करता है, उसमें सहायता करता है, बाल विवाह को बढ़ावा देता है, उसकी अनुमति देता है अथवा बाल विवाह में सम्मिलित होता है, उन्हें 2 वर्ष तक का कठोर करावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रूपए तक हो सकता है अथवा दोनो से दण्डित किया जा सकता है। बाल विवाह होने की सूचना ग्राम पंचायत के सरपंच, पंचायत सचिव, ग्राम के शिक्षक, कोटवार, आंगनबाडी कार्यकर्ता जो ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति के सदस्य भी होते हंै, के द्वारा तत्काल पहुॅचाई जा सकती है। बाल विवाह की सूचना बाल विकास परियोजना अधिकारी, जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारी, तहसीलदार, थाना प्रभारी, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) अथवा जिला प्रशासन के अधिकारियों को दी जा सकती है।


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