छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ : सतनाम पंथ के प्रणेता गुरु घासीदास को मुख्यमंत्री ने किया याद, 'मनखे मनखे एक समान'

Admin2
27 Dec 2020 1:04 PM GMT
छत्तीसगढ़ : सतनाम पंथ के प्रणेता गुरु घासीदास को मुख्यमंत्री ने किया याद, मनखे मनखे एक समान
x
'मनखे मनखे एक समान': भूपेश बघेल

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सिमगा। सतनाम पंथ के प्रणेता गुरु घासीदास को याद करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने, गुरु घासीदास के सूत्र वाक्य 'मनखे मनखे एक समान' का ज़िक्र करते हुए सरकार की योजनाओं का हवाला दिया और यह स्पष्ट किया कि, सरकार गुरु घासीदास के इस सूत्र वाक्य पर चल रही है। उन्होंने बताया कि सरकार की योजनाएं वस्तुतः व्यक्ति मूलत हैं, छत्तीसगढ़ के हर नागरिक के लिए और योजनाएं की नागरिक तक पहुँच सुनिश्चित हो, इसके लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।



मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा –

"गुरु घासीदास इकलौते संत जिन्होंने छत्तीसगढ़ी में बात रखी, उनका सूत्र वाक्य 'मनखे मनखे एक समान' छत्तीसगढ़ी भाषा का जादू बताता है, बेहद आसानी से यह बात कही जा सकी।इतने कम शब्दों में कोई दूसरी भाषा पूरा भाव नहीं रख पाएगी"
"विकास का मतलब पुल पुलिया सड़क बिल्डिंग नहीं है, विकास के मायने व्यक्ति मूलक विकास है, शिक्षा स्वास्थ्य रोज़गार यह वे काम है जो विकास के मायने है"
इसी संदर्भ के साथ छत्तीसगढ़ी में बोलते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सवाल किया –
"लईका मन रिंगी चिंगी होंही त कईसे बढही छत्तीसगढ़"

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कुपोषण से लड़ाई का ज़िक्र कर रहे थे। उन्होंने मुख्यमंत्री सुपोषण योजना का संदर्भ दिया। CM बघेल ने आह्वान किया –
"ज़मीनें सस्ती है, छत्तीसगढ़ की उद्योग नीति पूरे देश में सबसे बेहतर है..छत्तीसगढ़ियों को आगे आकर इसका लाभ उठाना चाहिए, वे खुद उद्योग लगाएँ, उद्योगपति बनें"

प्रदेश की बदलती पहचान का ज़िक्र करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा-

"संस्कृति में विविधता है, हमारी पहचान है रामनामी, गुरु घासीदास, संत कबीर, शहीद वीर नारायण सिंह, राम वन गमन पथ.. हम इस ग़ौरव को सामने ला रहे हैं और अब वो छवि छत्तीसगढ़ की नहीं है कि, प्रदेश का मतलब नक्सलवाद माना जाए"

छत्तीसगढ़ी को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने याद किया –
"बड़े बड़े अधिकारी भी अब छत्तीसगढ़ी बोलने की कोशिश करते है,नहीं आती तो अंग्रेज़ी में लिखकर छत्तीसगढ़ी में भाषण देने की कोशिश करते हैं"





Next Story