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छत्तीसगढ़ चेम्बर चुनाव: कहीं 'इवेंट कंपनी' न बन जाए व्यापारियों की सबसे बड़ी संस्था

Admin2
20 Nov 2020 5:47 AM GMT
छत्तीसगढ़ चेम्बर चुनाव: कहीं इवेंट कंपनी न बन जाए व्यापारियों की सबसे बड़ी संस्था
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चेंबर चुनाव में इवेंट आयोजक की सक्रियता...

व्यापारियों को यह करना चाहिए सुनिश्चित

चेंबर में व्यापारी हितों के लिए संवेदनशील लोग प्रतिनिधि बने इस पर हो जोर

चंदाखोरों-कमीशनखोरों को सबसे बड़ी व्यापारिक संस्था पर कब्जा करने से रोका जाना चाहिए

चेंबर के बैनर तले गैर-जरूरी इवेंट के आयोजन और इससे लाभ कमाने वालों पर लगे रोक

चेंबर का उद्देश्य व्यापारियों को अधिकाधिक सुविधा दिलाना है, जो इसके लिए काम करे ऐसे प्रधिनिधियों को मिले अवसर

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। छत्तीसगढ़ चेंबर के चुनाव में धनबल के साथ मसल्स पावर का भी जमकर इस्तेमाल होने वाला है। चुनाव को ऐसे लोग प्रभावित करने में जुटे हुए हैं जो चेंबर की आड़ में अपना हित साधते रहे हैं और व्यापारी हित को ताक पर रखते रहे हैं। लेकिन धनबल और मसल्स पावर के दम पर ये व्यापारियों को साधने में सफल रहते हैं। चुनाव में अपना वर्चस्व बनाने के लिए अब ऐसे लोग चुनाव में व्यापारी पेनलों को सब्ज बाग दिखाकर अपना उल्लू सीधा करने की तैयारी कर रहे हैं। पाला बदलने के लिए ऐसे व्यापारी नेता जमकर डिमांड भी रख रहे हैं और पेनल के लोग ज्यादा से ज्यादा व्यापारियों का समर्थन हासिल करने की चाह में इनकी डिमांड भी पूरा कर रहे हैं। इसका फायदा चेंबर के बैनर के तले तरह-तरह की इवेंट आयोजित कर चेंबर की छवि खराब करने वाले लोग भी उठा रहे हैं। चेंबर के बैनर तले इंवेट आयोजित कर निजी हित साधने वाले ऐसे ही एक इंवेट आर्गनाइजर चुनाव को लेकर काफी सक्रिय बताया जा रहा है। चर्चा है कि जब वह छत्तीसगढ़ आया था तो एक 800कार भी रखने की स्थिति में नहीं था लेकिन आज कई लक्जरी कार मेंटेन कर रहा है। इवेंट की आड़ में करोंड़ो की प्रापर्टी खड़ी कर अव वह चेंबर में भी धनबल और मसल्स पावर से अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए रात-दिन एक कर व्यापारियों को रिझाने में लगा है।

धनबल और बाहुबल का उपयोग

गैर राजनीतिक समूह वाले इस संगठन के चुनाव में हर सदस्य राजनीतिक पृष्ठ भूमि से जुड़े होने के कारण अब यह चुनाव प्रतिष्ठापूर्ण हो चुका है, जिसमें काबिज होने के लिए दावेदार हर तरह के पैंतरे आजमाएंगे। साम, दाम, दंड, भेद की चाणक्य नीति अपना कर हर हाल में व्यापारी पेनल ऐड़ी चोटी का जोर लगाते नजर आएंगे। चेंबर की सत्ता से जुड़े लोगों की मानें तो यह चुनाव लोकसभा-विधानसभा की तरह ही होने वाला है क्योंकि सभी जिला मुख्यालयों में मतदान होगा और गिनती रायपुर में होगी। इस प्रक्रिया में सक्सेस होने के लिए हर पेनल जमकर धनबल और बाहुबल का प्रयोग करने से भी नहीं हिचकेंगे। क्योंकि यह भले ही राजनीतिक नहीं हो लेकिन इसे राजनीतिक बनाकर प्रतिष्ठापूर्ण बना दिया गया है। जो पूरे प्रदेश के व्यापारियों के हित में पूरे तीन साल तक काम करेगा।

जातिय समीकरण और नए सदस्य भी करेगा प्रभावित

चेंबर चुनाव को जातिय समीकरण और नए सदस्य भी काफी हद तक प्रभावित करेगा। व्यापारी समूह में सिंधी व्यापारियों की संख्या सर्वाधिक है। चेंबर में इस वर्ग का लंबे समय से प्रभूत्व रहा है। जैन, मारवाड़ी और अग्रवाल कारोबारियों को भी मिलाकर इनकी संख्या भी सिंधी व्यापारियों के आसपास ही है। जाति समीकरण के अनुसार 4 से 5 हजार के बीच में सिंधी समाज के वोट होने की बात कही जा रही है, वहीं जैन, मारवाड़ी अग्रवाल समाजकी सदस्य संख्या लगभग 5500 से 6000 की आंकी जा रही है, बाकि समाज की गिनती 500 के अंदर ही है, प्राय: प्राय: यह माना जा रहा है ऐसे में इन वर्गो के व्यापारियों की गुटबंदी और किसी एक पेनल के समर्थन में आने से चुनाव नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं। खबर है कि चुनाव में मुख्य पेनलों से अध्यक्ष उम्मीदवार घोषित होने के बाद विभिन्न वर्ग के व्यापारी अब एकजूट होने लगे हैं हालाकि समर्थन को लेकर फिलहाल सभी चुप्पी साधे हुए है लेकिन बताया जा रहा है कि जिस पेनल से उनका हित पूरा करने का आश्वासन मिलेगा उसे ही समर्थन दिया जाएगा। इधर चुनाव का समय आगे बढऩे से व्यापारी पेनलों को व्यापारी संगठनों और व्यापारियों को साधने के लिए भी पर्याप्त समय भी मिल गया है। इस बीच नए सदस्य भी बनाए जाएँगे, जो पेनल जातिय आधार पर और नए सदस्यों को एकजुट कर उनका समर्थन हासिल करेगा, वही चुनाव को अपने पक्ष में मोड़ पाएगा।

योगेश-अमर की प्रतिष्ठा दांव पर

चुनाव टलने के बाद भी व्यापारी एकता पैनल और जय व्यापर पैनल के लोगों ने पसीना बहाना प्राम्भ कर दिया है। एक तरफ भाजपा के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के छोटे भाई योगेश अग्रवाल हैं, तो दूसरी तरफ कैट के अमर पारवानी किस्मत आजमा रहे हैं। इससे चुनाव की रोचकता और बढ़ गई है। व्यापारी एकता पैनल और जय व्यापारी पैनल दोनों की पृष्ठभूमि व्यापारिक होने के अलावा सामाजिक और राजनीतिक बैक ग्राउंड से भी वे ताल्लुक रखते हैं। इन सबको देखते हुए चुनाव में घमासान होने का अंदेशा बढ़ गया है। पिछले चुनाव प्रगति पैनल से अमर गिडवानी ने चुनाव लड़ा था, जिसको वर्तमान जय व्यापार पैनल के मुख्य कर्ताधर्ता अमर पारवानी ने ही अपने सपोर्ट से परदे के पीछे रहकर लड़वाया था, उस चुनाव में जितेन्द्र बरलोटा ने विजय हासिल किया था, तभी यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि आने वाले चुनाव में अमर पारवानी अपनी दावेदारी पेश करेंगे। श्रीचंद सुंदरानी ग्रुप ने पिछले 25 सालों से छत्तीसगढ़ चैम्बर्स ऑफ कामर्स को अपना कार्यक्षेत्र बनाकर रखा था और भाजपा के के नेता रूप में रायपुर शहर में वो अपनी छवि बनाने में कामयाब भी रहे, इसी छवि के कारण भाजपा ने उन्हें शहर अध्य्क्ष भी बनाया। माहिर राजनीतिक खिलाड़ी का परिचय देते हुए श्रीचंद सुंदरानी आगे बढ़े गए है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ चैम्बर्स आफ कामर्स जातिकरण-जातिवाद से अछूता नहीं ह,ै इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए तत्काल चतुर खिलाड़ी का परिचय देते हुए छत्तीसगढ़ के वरिष्ठतम भाजपा नेता के भाई को व्यापारी एकता पैनल के अध्यक्ष के रूप में घोषणा कर दी और शतरंज की चाल चलते हुए कोषाध्यक्ष, महामंत्री और बचे हुए बाकी पदाधिकारी का खेमे से मजबूत दावेदारी की हैसियत रखने वालों को अपने पैनल में शामिल कर लिया। चैम्बर के पुराने और वरिष्ठ सदस्य कमोबेश एक ही सामाजिक समूह होने के कारण चेम्बर चुनाव की रोचकता दिन प्रतिदिन बढऩे वाली है।

हाई प्रोफाइल होगा चुनाव

जनता से रिश्ता ने पहले ही यह अंदेशा जता दिया था कि 2020 का चेंबर चुनाव हाइप्रोफाइल होगा। जिसमें धनबल, बाहुबल और छलकपट बहुत बड़े पैमाने पर देखने को मिलेगा। हालांकि व्यापारी खामोश हैं, लेकिन दावेदारों के उत्साह से साफ पता चलता है कि अब यह वर्चस्व का चुनाव साबित होने वाला है। जिसमें साम, दाम, दंड, भेद की नीति से हर हाल में चुनाव जीतने का तिकड़म भिड़ाया जाएगा। अपने पैनल को चेम्बर में काबिज करवाने के लिए व्यापारी नेता काफी प्रयास कर रहे हैं। देखा जाये तो चुनाव प्रचार का एक दौर खत्म हो चुका है। व्यापारिक नेता ये जरुर कह रहे हैं कि चेम्बर से राजनीति हटा देंगे, लेकिन बिना राजनीति के भला चुनाव कैसे होगा यह समझ से परे है।


मेंबर बनाने में चुनाव अधिकारियों की भूमिका नहीं

नए सदस्य बनाने में चुनाव अधिकारियों की कोई भूमिका नहीं हैं, चेंबर के अध्यक्ष और पदाधिकारी ही मिलकर नया सदस्य बनाते हैं। हमारा कार्य सिर्फ निष्पक्ष चुनाव कराना है।

विजय जैन

उपचुनाव अधिकारी

व्यापारियों के लिए पेज-थ्री पार्टी का आयोजन

इवेंट कर्ताधर्ता व्दारा लगातार व्यापारियों के लिए हर तरह की पार्टी का आयोजन शुरू किया जा चुका है। अब पेज-थ्री पार्टी का भी आयोजन शनिवार और रविवार के दिन जब तक चेंबर चुनाव समाप्त नहीं हो जाते चुनिंदा फार्म हाऊस में जोर शोर से तैयारी की जा रही है। जबलपुर से फरारी काट रहा अपराधी अलग-अलग संस्थाओं का आयोजन कर्ता बनकर छत्तीसगढ़ की कई सामाजिक संस्थाओं का वार्षिक आयोजन और आवार्ड समारोह के आड़ में हर प्रकार की पार्टी करने में माहिर है। और छत्तीसगढ़ चेंबर आफ कामर्स के बैनर को को-प्रायोजक और प्रायोजक के नाम से करने कई बार हिमाकत कर चुका है। पूरे छत्तीसगढ़ में सभी सामाजिक संगठन छग चेंबर के आड़ में पेज-थ्री पार्टी तथा नशे की पार्टी का आयोजन करने के लिए प्रख्यात हो चला है। कुछ सोशल वर्कर सामाजिक संगठन की आड़ में इवेंट कर्ताधर्ता के साथ सभी पार्टियों में अपनी हिस्सेदारी रखते और पुलिस को दबाव बनाने के लिए अपने संगठन के बैनर का इस्तेमाल करते है। इश तरह की पार्टी से प्रदेश के युवा नशे के लत के आदी और नाइट लाइफ पार्टी के आदी हो चुके है।

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