छत्तीसगढ़

जनजातीय एटलस जारी करने वाला देश का तीसरा राज्य बना छत्तीसगढ़

Admin2
9 Aug 2021 12:54 PM GMT
जनजातीय एटलस जारी करने वाला देश का तीसरा राज्य बना छत्तीसगढ़
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रायपुर। विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज अपने निवास में आयोजित अर्चुअल कार्यक्रम में आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (ज्त्प्) द्वारा तैयार की गई जनजातीय एटलस का विमोचन किया। गौरतलब है कि जनजातीय एटलस तैयार करने के मामले में छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड के बाद देश का तीसरा राज्य बन गया है। इस जनजातीय एटलस में राज्य की जनजातियों की संस्कृति, रीति-रिवाज, बोलियों की जानकारी, जनजातीय आर्ट एवं क्रॉफ्ट, तीज-त्यौहार, नृत्य, जनजातीय पर्यटन, राज्य की विशेष पिछड़ी जनजातियों के साथ-साथ राज्य के अनुसूचित क्षेत्र, आदिवासी उपयोजना क्षेत्र, जनजातीय आश्रम शालाएं/छात्रावास, एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, प्रयास विद्यालय जैसे आधारभूत शैक्षणिक संस्थाओं की जानकारी, राज्य में प्रशासनिक इकाइयां, समुदायवार जनजातीय जनसंख्या, लिंगानुपात, शैक्षणिक स्थिति एवं राज्य में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं के संबंध में जानकारी का समावेश किया गया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री निवास में गृहमंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, खाद्य मंत्री श्री अमरजीत भगत, अनुसूचित जाति एवं जनजाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर, संसदीय सचिव श्री द्वारिकाधीश यादव, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री राजेश तिवारी, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री राकेश चतुर्वेदी सहित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी उपस्थिति थे।

एटलस में राज्य की 42 जनजातियों के संबंध में संक्षिप्त विवरण जिलेवार पर्यावास रूप रेखा इंसेट मैप के माध्यम से किया गया है। पर्यावास रूप रेखा के साथ-साथ जिलेवार प्रमुखता से निवासरत् जनजाति, वनक्षेत्र एवं विभिन्न परिस्थितिकी जानकारी प्रस्तुत की गई है। इसे चिप्स द्वारा तैयार किया गया है। एटलस में विकासखंडवार, आईटीडीपी, माडा एवं क्लस्टर्स के मानचित्र एवं तालिकाओं के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। एटलस में जनगणना 2011 संस्थान द्वारा किए गए विशेष पिछड़ी जनजातियों के आधारभूत सर्वेक्षण एवं आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग की सूचनाओं को भी शामिल किया गया है।

उल्लेखनीय है कि उपरोक्त सभी बुकलैट्स के संपादन का कार्य आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान की संचालक एवं आदिम जाति विभाग की आयुक्त श्रीमती शम्मी आबिदी के मार्गदर्शन में किया गया है। श्री जी.आर. शोरी उप संचालक, डॉ. अनिल विरूलकर के मार्गदर्शन में श्री ईश्वर साहू, श्रीमती दीपा साईन, सुश्री अंकिता कुंजाम, श्री अमरदास, श्री निर्मल बघेल और श्री योगेन्द्र निषाद द्वारा प्रस्तुतिकरण किया गया। इसके अलावा बैगा, गोंड, अगरिया, कंवर एवं हल्बा जनजाति से संबंधित फोटो हैण्डबुक्स के अंग्रेजी रूपांतरण का कार्य लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी, आधुनिक एवं यूरोपियन लैग्वेज विभाग के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ प्राध्यापक लैंग्वेज एवं डीन विभाग इंटिग्रल विश्वविद्यालय लखनऊ डॉ. एस.जैड.एच.आबिदी के सहयोग से किया गया है।

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