रायपुर (जसेरि)। छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय ने सिंचाई विभाग के रिटायर्ड मुख्य अभियंता रामानंद दिव्य की 5.45 करोड़ की संपत्ति को कुर्क कर लिया है। इसमें खेती की जमीन के साथ-साथ आवासीय भूखंड भी हैं। यह संपत्ति रायपुर के अलावा बिलासपुर, कोरबा और जांजगीर-चांपा जिलों में हैं। रिटायर्ड मुख्य अभियंता के बैंक खातों में मिले 55 लाख 95 हजार रुपए भी कुर्की की जद में आए हैं। श्वष्ठ ने यह कार्रवाई मनी लांड्रिंग कानून के तहत की है। एंटी करप्शन ब्यूरो की तरफ से दर्ज स्नढ्ढक्र को आधार बनाते हुए श्वष्ठ ने मामले की जांच की थी। स्नढ्ढक्र में अफसर और उसके परिजनों की 5 करोड़ 45 लाख 46 हजार 381 रुपए की अनुपातहीन संपत्ति का खुलासा किया गया था। जांच में पता चला कि जल संसाधन विभाग के इस अफसर ने ज्यादातर संपत्ति अपनी पत्नी के नाम से खरीदी थी। यही नहीं, मनी लॉन्ड्रिंग के विभिन्न तरीकों के जरिए हासिल रकम से अफसर ने अपने नाम से भी प्रापर्टी खरीदी थी।
बताया गया कि कुछ मामलों में अफसर ने रिश्तेदारों के बैंक खातों में नगद पैसे जमा करवाए। फिर उसे उपहार या असुरक्षित ऋण के रूप में अपने खाते में जमा कर उससे नई संपत्ति खरीदी। कुछ संपत्तियों को खरीदने के लिए फर्जी बिक्री पत्र बनाकर उसके जरिए मिले पैसों को रिकार्ड में लिया। एजेंसियों को धोखा देने के लिए संपत्तियों की खरीदी-बिक्री थोड़े-थोड़े अंतराल पर करना दिखाया गया। ऐसा इसलिए कि पूंजी को ब्लैक मनी न बताया जा सके। जांच में पता चला, 2.13 करोड़ रुपए का भुगतान संपत्तियों की खरीदी के लिए नगद किया गया। इसके अलावा 66 लाख रुपए का भुगतान नगद करके विभिन्न संपत्तियों का पंजीयन कराने के लिए विक्रय दस्तावेजों में लिखी रकम के अतिरिक्त किया गया। इन संपत्तियों को फिर नया रायपुर विकास प्राधिकरण यानी हृक्रष्ठ्र ने मुआवजा देकर अधिग्रहीत किया गया। जांच में पोल खुल गई। नगद 66 लाख की स्रोत के बारे में रामानंद दिव्य और उसके परिवार के सदस्य कोई उचित जानकारी नहीं दे सके।