छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव: बीजेपी ने आरएसएस की पृष्ठभूमि वाले नेताओं को दी अहम जिम्मेदारी
वैसे तो भाजपा में आरएसएस की पृष्ठभूमि वाले नेताओं की भरमार है। आरएसएस से भाजपा में आने वाले कई नेता केंद्र में मंत्री हैं, कई राज्यों में मुख्यमंत्री और मंत्री है, सरकार से लेकर पार्टी संगठन में अहम पदों पर बैठे हैं। लेकिन, पार्टी संगठन में राष्ट्रीय संगठन महासचिव के पद पर नियुक्त नेता को भाजपा संगठन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच की कड़ी माना जाता है। वर्तमान में यह जिम्मेदारी बीएल संतोष निभा रहे हैं जो आरएसएस द्वारा बुलाई गई बैठक में भाजपा की तरफ से शामिल होकर भाजपा के कामकाज की रिपोर्ट सौंपते हैं। राज्य के स्तर पर प्रदेश संगठन महासचिव भी कुछ हद तक इसी तरह की भूमिका निभाते हैं।
छत्तीसगढ़ में होने वाले आगामी विधान सभा चुनाव की तैयारियों को लेकर भाजपा आलाकमान की गंभीरता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पार्टी ने अपने दो प्रदेशों के संगठन महासचिवों को छत्तीसगढ़ के अलग-अलग संभागों में तैनात कर दिया है। पार्टी आलाकमान ने झारखंड प्रदेश भाजपा के संगठन महासचिव कर्मवीर को छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग की जिम्मेदारी देकर इस क्षेत्र में आने वाले 7 जिलों की चुनावी कमान सौंप दी है। बस्तर संभाग में आने वाले 7 जिलों में छत्तीसगढ़ राज्य की 12 विधानसभा और 2 लोकसभा सीटें आती हैं।
इसके साथ ही पार्टी ने पश्चिम बंगाल प्रदेश भाजपा के संगठन महासचिव सतीश धोंड को बिलासपुर संभाग का दायित्व सौंपा है। बिलासपुर संभाग के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के 8 जिले आते हैं जिसमें 25 विधानसभा और 4 लोकसभा की सीटें आती हैं। इसके अलावा पार्टी ने बिहार भाजपा के कोषाध्यक्ष दिलीप जायसवाल को छत्तीसगढ़ के रायपुर संभाग का दायित्व देकर इस संभाग के अंतर्गत आने वाले राज्य के 6 जिलों के 19 विधानसभा और 2 लोकसभा सीटों पर चुनावी रणनीति को जमीनी धरातल पर सौंपने की जिम्मेदारी सौंपी है।
भाजपा ने बिहार के विधायक संजीव चौरसिया को दुर्ग संभाग का दायित्व सौंपा है। दुर्ग संभाग में आने वाले जिलों की संख्या 8, विधानसभा सीटों की संख्या 20 और लोकसभा सीटों की संख्या 2 है। भाजपा ने झारखंड के विधायक अनंत ओझा को सरगुजा संभाग का दायित्व सौंपा है। इस संभाग के अंतर्गत 6 जिले, प्रदेश की 14 विधानसभा और एक लोकसभा सीट आती है।