छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: 19 दिन वेंटिलेटर सपोर्ट के बाद युवक ने कोरोना से जंग जीती, डॉक्टरों ने चुनौतीपूर्ण केस को सुलझाया सफलतापूर्वक

Admin2
7 Jun 2021 1:21 PM GMT
छत्तीसगढ़: 19 दिन वेंटिलेटर सपोर्ट के बाद युवक ने कोरोना से जंग जीती, डॉक्टरों ने चुनौतीपूर्ण केस को सुलझाया सफलतापूर्वक
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कोरोना का कहर

रायपुर। जीवन और मृत्यु के बीच जूझ रहे 31 वर्षीय दसमत बघेल को सहसा विश्वास नहीं हुआ कि वे वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट से पूरी तरह बाहर आ गए हैं। 23 दिनों से कोरोना से जंग लड़ते हुए एक समय ऐसा लगा कि वे जंग हार चुके हैं, लेकिन डॉक्टरों के दृढसंकल्प, बेहतर उपचार और मरीज के मनोबल को ऊंचा बनाये रखने के जतन से आखिरकार युवक ने जंग जीत ही लिया। विकासखंड मैनपुर अंतर्गत ग्राम के गुढीयारी रहने वाले 31 वर्षीय दसमत बघेल की कहानी कुछ इसी तरह है। वे 06 मई 2021 को कोरोना पॉजिटिव हुए थे, उस दौरान उनकी तबियत बिगड़ी और उन्हे सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। ऐसे वक्त में उन्हें साथ मिला डेडिकेटेड कोविड अस्पताल गरियाबंद के डॉक्टरो और उनकी परिश्रमी टीम का, जिनकी कड़ी मेहनत और सेवा के फलस्वरूप उन्होंने ये जंग सफलतापूर्वक जीत लिया।

लेकिन यह राह इतनी आसान नहीं थी, उनका आक्सीजन लेवल लगातार कम होता जा रहा था और उन्हें उपचार हेतु गरियाबंद के कोविड हॉस्पिटल रेफर किया गया। करीब 115-120 किलोमीटर का रास्ता तय करने बाद उन्हे कोविड हॉस्पिटल गरियाबंद मे भर्ती किया गया। भर्ती के दौरान उनकी स्थिति काफी नाजुक थी। उनका आक्सीजन लेवल महज 37 प्रतिशत था, उस दौरान ड्यूटी में डॉ गीतेश्वर बघेल और डॉ विभोर सक्सेना के साथ उनकी टीम मौजूद थी, उन्होंने दसमत को तुरंत आई. सी. यू. मे शिफ्ट किया और बिना देर करते हुए वेंटिलेटर सपोर्ट मे रखा। शुरूआती दिनों मे भी उनकी स्थिति काफी गंभीर बनी हुई थी, वे पूरी तरह वेंटिलेटर मशीन पर निर्भर थे। दसमत बघेल 07 मई को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में भर्ती हुए थे, उन्हे वेंटिलेटर सपोर्ट में रखा गया था, इस दौरान उन्होंने बिल्कुल हार नहीं मानी और अपना मनोबल बनाये रखा। वे करीब 19 दिनों तक वेंटिलेटर मशीन की सहायता से थे। 21 मई को उन्हे वेंटिलेटर से बाहर निकाला गया लेकिन आक्सीजन थेरेपी जारी था। वेंटिलेटर से बाहर निकलने के पश्चात दसमत ने बताया कि व्यक्तिगत रूप से उन्हे लगातार सुधार महसूस होने लगा। 03 दिवस उपरांत उन्हे जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया और आक्सीजन डिमांड भी लगातार कम होने लगा।

26 मई को वो पूर्ण रूप से आक्सीजन सपोर्ट से भी बाहर आ गए। यह सहसा विश्वास योग्य नहीं है, लेकिन यह किसी चमत्कार से कम नहीं कि वे अब मौत के मुँह से बाहर निकलकर 29 मई को सकुशल डिस्चार्ज होकर वापस घर लौट चुके हैं। दसमत बघेल के परिजनों ने इसके लिए डेडिकेटेड कोविड अस्पताल गरियाबंद के प्रभारी डॉ. जय कुमार पटेल और डॉ. नेमेश साहू सहित पूरे डॉक्टरों की टीम और सपोर्टिव स्टाफ का आभार व्यक्त किया है। डिस्चार्ज होने के पूर्व 31 वर्षीय दसमत बघेल ने अपना अनुभव साझा किया, वे इसको अपना पुनर्जन्म बताते हैं, उन्होंने सर्वप्रथम कोविड हॉस्पिटल के डॉक्टरो और नर्सिंग स्टाफ का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि मैं अब पूरी तरीके से स्वस्थ हूँ, अब मैं डिस्चार्ज होकर घर जाना चाहता हूँ, कोविड अस्पताल गरियाबंद यहाँ मरीजों को उत्कृष्ट सेवा दे रही हैं, यहां का इलाज उच्च स्तर का रहा है। मुझे यहां अच्छे से देखरेख करके इलाज किया गया, डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ और सफाईकर्मी ने भी अच्छे से देखभाल किया, मेरे खाने पीने का उचित रूप से ध्यान रखा गया। मैंने इस दौरान कोरोना की बीमारी से लडाई की और इसके लिए मैं अस्पताल के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ को दिल से धन्यवाद देता चाहता हूँ जिन्होंने मुझे नया जीवनदान दिया हैं।

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