छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: प्रधान आरक्षक पर दैहिक शोषण करने का आरोप...पीड़िता ने महिला आयोग को बताई आपबीती

Admin2
29 Jan 2021 3:44 PM GMT
छत्तीसगढ़: प्रधान आरक्षक पर दैहिक शोषण करने का आरोप...पीड़िता ने  महिला आयोग को बताई आपबीती
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छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डाॅ. किरणमयी नायक द्वारा आज प्रार्थना भवन में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों की जनसुनवाई के दौरान एक आवेदिका द्वारा शिकायत की गई, कि जल संसाधन विभाग में कार्यरत् अनावेदक उसके पति शासकीय कर्मचारी है, जो उन्हें अपनी पत्नी मानने से इंकार कर रहे हैं। समस्त दस्तावेजों की जांच के उपरांत महिला आयोग द्वारा शासकीय कर्मचारी के विरूद्ध सिविल सेवा आचरण संहिता के तहत् विभागीय जांच के निर्देश दिए गए।

बिलासपुर जिले में पिछली सुनवाई में आवेदिका द्वारा अनावेदक प्रधान आरक्षक के विरूद्ध दैहिक शोषण का आरोप लगाया था। आयोग से निर्देश मिलने पर पुलिस विभाग द्वारा प्रधान आरक्षक पर एफआईआर दर्ज हुई है। न्याय मिलने से महिला ने आज स्वयं उपस्थित होेकर महिला आयोग अध्यक्ष एवं पूरी टीम को धन्यवाद दिया। दो दिवसीय सुनवाई में लगभग 44 प्रकरण रखे गये थे, जिनमें से 12 प्रकरण निरस्त किये गये हैं। 03 नये प्रकरण पंजीबद्ध किये गये है। शेष प्रकरणों की सुनवाई अगली जनसुनवाई में की जायेगी।
आज आयोजित सुनवाई में मारपीट, भरण-पोषण के मामले में आवेदिका ने अपने पति अनावेदक विरूद्ध शिकायत की, कि वह उसे कामवाली बता रहा है। अनावेदक जल संसाधन विभाग में शासकीय कर्मचारी है। आवेदिका ने स्टेट बैंक का पासबुक, आधार कार्ड, अपना वोटर आईडी कार्ड, राशन कार्ड एवं दाम्पत्य जीवन के कई फोटो प्रस्तुत किये। जिनमें आवेदिका एवं अनावेदक साथ खड़े हुए है। अनावेदक 14 वर्ष तक दाम्पत्य जीवन में आवेदिका के साथ रहा एवं वर्ष 2019 में उसे किराये के मकान पर छोड़कर चला गया। उभय पक्ष को सुनने के पश्चात् आयोग ने अनावेदक के मुख्य कार्यालय को समस्त दस्तावेज भेजते हुए अनावेदक के हस्ताक्षर फोरेंसिक जांच के लिए भेजने के निर्देश दिए। जांच की प्रति आयोग को उपलब्ध कराने कहा गया। साथ ही अनावेदक के विरूद्ध सिविल सेवा आचरण संहिता के तहत् कार्रवाई करने के निर्देश मुख्य अभियंता बांगो परियोजना को दिए। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका द्वारा अनावेदक अपने बच्चों एवं देवर के विरूद्ध मानसिक प्रताड़ना की शिकायत की गई। अध्यक्ष द्वारा उभय पक्ष को सुना गया एवं प्रकरण निरस्त करते हुए निर्णय लिया गया कि मां अपने बच्चों के विरूद्ध केस नहीं कर सकती।

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