छत्तीसगढ़

रेलवे स्टेशन में अव्यवस्था और असामाजिक तत्वों का जमावड़ा

Nilmani Pal
30 March 2022 5:16 AM GMT
रेलवे स्टेशन में अव्यवस्था और असामाजिक तत्वों का जमावड़ा
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  1. कोविड की सख्ती खत्म होते ही रेल प्रशासन और सुरक्षा एजेंसी बरतने लगे ढिलाई
  2. पार्किंग में यात्रियों को बदसलूकी और अवैध वसूली से बचाने सुरक्षा जवान की नियमित तैनाती जरुरी

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राजधानी का रेलवे स्टेशन में इन दिनों काफी अव्यवस्था देखने को मिल रही है। स्टेशन का बाहर का नजारा किसी रैन बसेरा और साप्ताहिक बाजार सरीखे नजर आने लगा है। कोरोना काल की सख्ती खत्म होते ही व्यवस्था जैसे चरमरा गई है। स्टेशन परिसर लेट नाइट टाइम पास की जगह बन गई है। जहां लोग देर रात तक मजमा लगाए रहते हैं। स्टेशन के पार्किग स्थल से लेकर पार्सल कार्यालय के आगे प्लेटफार्म से लगी सड़क और परिसर में स्थित धार्मिक स्थलों के आसपास असमाजिक तत्वों का जमावड़ा भी रहता है जिससे आम यात्रियों को दिक्कत झेलनी पड़ती है। कोरोना काल के बाद टे्रेनों का परिचालन जैसे-जैसे सामान्य होते जा रहा है वैसे-वैसे यात्रियों की भीड़ भी बढ़ती जा रही है। स्टेशन के सभी प्लेटफार्म में हर वक्त भीड़ रहती है और यहां-वहां प्लेटफार्म पर यात्री पसरे नजर आते हैं। चेंकिग नहीं होने से गैर यात्री भी प्लेटफार्म में घूमते रहते हैं।

परिसर में गंदगी और अव्यवस्था

स्टेशन परिसर के बाहर अस्त-व्यस्त पार्किंग और गंदगी का आलम देखकर लगता ही नहीं की यह किसी राजधानी का रेलवे स्टेशन है। सफाई व्यवस्था का बूरा हाल है। पार्सल आफिस से लेकर प्लेटफार्म 7 के सामने से गुजरने वाली सड़क की गंदगी और बदबू से यात्री रोज दो-चार हो रहे हैं। यहां दोपहिया पार्किंग स्टेंड के पिछले रास्ते से लेकर तेलघानी नाका की ओर निकलने वाली सड़क में यत्र-तत्र असमाजिक तत्वों और नशेडिय़ों का डेरा रहता है। स्टेशन परिसर की दुकाने लेट नाइट तक खुलने से लोगों की भीड़ लगी रहती है। लोग टाइम पास करने के लिए भी स्टेशन परिसर के बाहर समूह में एकत्र रहते हैं।

अपराधियों का आरामगाह

स्टेशन परिसर अपराधियों के लिए भी आरामगाह बना हुआ है। क्राइम करने के बाद छुपने के लिए सबसे सुरक्षित जगह अपराधियों के लिए रेलवे स्टेशन ही मिलता है। एक दौर में स्टेशन में चोरी-पाकिटमारी की घटनाएं आम थी लेकिन थी रेल पुलिस की सख्ती के बाद इन वारदातों में कमी आई है। लेकिन इन दिनों स्टेशन की सुरक्षा व्यव्स्था काफी लचर दिखाई दे रही है। प्लेटफार्म में प्रवेश कर घुमने-फिरने वालों पर सख्ती नहीं हो रही है। यात्रियों को छोडऩे आने वाले परिजन भी बिना प्लेटफार्म टिकट के घंटो प्लेटफार्म में रुके रहते हैं। भिक्षावृति करने वाले भी स्टेशन परिसर के बाहर और प्लेटफार्म में बहुतायत में विचरण करते रहते हैं।

वाहन पार्किंग बना नशेडिय़ों-गुंडों बदमाशों का अड्डा

रेलवे स्टेशन में वाहन पार्किंग स्थल वाहनों की पार्किंग के बजाय गुंडों-बदमाशों और नशेडिय़ों के पार्किंग का भी ठिकाना बना हुआ है। जिसके कारण वाहन पार्किंग स्थल में वाहन रखने वालों बेवजह ही गुंडे-बदमाशों और नशेडिय़ों से बातचीत नहीं करने के बाद भी ये गुंडे-बदमाश और नशेड़ी वाहन मालिकों को गाड़ी इधर नहीं उधर, उधर नहीं इधर रखो कहकर गाड़ी को जबरदस्ती खींज कर दूसरी जगह रखने लगते है। गाड़ी वाला उससे निवेदन करते रहता है कि भैया मैं आधे घंटे में सवारी को लेकर चला जाऊंगा, उस समय गाड़ी निकालने में परेशानी होगी, लेकिन पार्किंग में काम करने वाले और उसके संचालन करने वाले यात्रियों की सुनते ही नहीं। कही तलगी से गाड़ी मालिक ने कह दिया मैं पार्किंग में नहीं रखना चाहता गाड़ी निकाल रहा हूं तो 10 रुपए लेकर ही गाड़ी चोड़ते है या फिर हु-हुज्जत करने लगते है। कई बार तो गाड़ी जानबूझ कर ऐसी जगह फंसा दिया जाता है कि वहां से गाड़ी निकालना बहुत मुश्किल हो जाता है। पार्किंग वालों से कहो तो कहते है, सामने वाली गाड़ी निकल जाए फिर आपकी गाड़ी निकाल देंगे। इस चक्कर में विवाद की स्थिति निर्मित होती है और वहां मौजूद आपराधिक तत्व गाड़ी मालिकों से मारपीट में उतर जाते है।

जनरल टिकट बंद, टीटीई कर रहे वसूली

रेलवे स्टेसन के काुंटर में एक्सप्रेस ट्रेनों में जनरल डिब्बे के लिए सामान्य टिकट नहीं दिया जा रहा है। जबकि वहीं पर खड़े टीटीई टिकट और पेनाल्टी मिलाकर तुरंत रसीद काट देता है। रायपुर से बिलासपुर के लिए काउंटर से जनरल टिकट लेने पर केवल 100 रुपए खर्च करना होगा, लेकिन टीटीई टिकट व पेनाल्टी मिलाकर 340 रुपए ले रहे है। इस अव्यवस्था और प्रशासनिक उदासीनता से रेलवे की कमाई तीन गुना से ज्यादा बढ़ गई। यही कारण है कि रेलवे बोर्ड के निर्देश के बाद भी जनरल टिकट के लिए 1 जुलाई तक का इंतजार करना होगा। तब तक लोगों की जेबें कटती रहेंगी। यात्रियों का कहना है कि ट्रेनों में मास्क नहीं पहनने पर 200 रुपए जुर्माना लगाया जा रहा है। रेलवे बोर्ड ने महीनेभर पहले कोरोना के दौरान बंद 14 हजार ट्रेनों को शुरू करने का ऐलान किया था। जनरल डिब्बों के लिए कोरोना के पहले जैसे टिकट देने की बात कही गई थी। इसमें भी रेलवे ने तकनीकी पेंच फंसा दिया और इसका लाभ जुलाई से देने का निर्णय लिया है। कोरोना के केस कम होने के बाद भी रेलवे लोगों को जरूरी सुविधाएं नहीं दे पा रहा है।

जुलाई से एक्सप्रेस में एमएसटी से यात्रा होगी

एक्सप्रेस ट्रेनों में मासिक सीजनल टिकट वालों को बैठने की अनुमति नहीं है। वे केवल पैसेंजर या लोकल ट्रेनों में यात्रा कर सकते हैं। एक्सप्रेस ट्रेनों में सफर की अनुमति नहीं देने से बिलासपुर, दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव व डोंगरगढ़, तिल्दा के यात्री परेशान हो रहे हैं। इस पर रेलवे का तर्क है कि कोरोना के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाएगा। जबकि प्रदेश में कोरोना का संक्रमण दर 0.29 प्रतिशत पर आ गया है। ऐसे संक्रमण की आशंका भी काफी कम हो गई है। कोई एमएसटी धारक यदि एक्सप्रेस ट्रेन में सफर करते हुए पकड़ाया तो उनसे पेनाल्टी वसूली जा रही है। अफसरों का कहना है कि जुलाई में संभव है कि एमएसटी धारकों को एक्सप्रेस ट्रेनों में सफर करने की अनुमति मिले।

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