कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पहले चुनाव ने व्यापारी नेताओं को गुदगुदाया
जूतम पैजार की आशंका, वोट के साथ बरसेंगे..., देखने मिलेगा व्यापारी और जमीनी नेताओं के हथकंडों का खेल
ज़ाकिर घुरसेना
रायपुर। छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के पद को प्राय: प्राय: व्यापार करने वाले ही प्रतिनिधि अभी तक संभालते आये है, भले ही वे किसी भी राजनीतिक दल से संपर्क रखते हों लेकिन पहली बार छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स चुनाव में सीधे तौर पर नेतागिरी का रंग चढ़कर जूतम पैजार होने की संभावना है।
15 वर्ष के पश्चात कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई है, और कांग्रेस की सत्ता रहते चेंबर का यह पहला चुनाव कांग्रेस पार्टी के व्यापारी नेतागणों को गुदगुदाने लगा है और कांग्रेस पार्टी के कुछ प्रमुख व्यापारी नेता चेंबर चुनाव में जोरआजमाइश करने को आतुर है। ऐसे में दोनों प्रमुख पार्टियों का चेंबर चुनाव में जोरआजमाइश कर कब्जाने की नीयत साफ हो चली है। आगामी दो माह तक छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स की चुनाव की सरगर्मियां पूरे छत्तीसगढ़ में चर्चा का विषय बनने वाली है पहली बार व्यापारीगण चुनाव में सिर्फ मतदाता बनकर हिस्सा लेते दिखेंगे। क्योंकि व्यापार करना और व्यापार की समस्याओं से दो-चार होना और इन सभी समस्याओं के लिए उच्च स्तर पर आवाज़ उठाना यही एक रास्ता व्यापारी गणों के लिए था। लेकिन छत्तीसगढ़ की दलदल की नेतागिरी ने व्यापारी संस्था छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स को प्राय:-प्राय: नेतागिरी की जूठन की भेंट चढ़ा दिया। अमर पारवानी गुट जो कैट के प्रमुख कर्ता-धर्ता बने थे, अब इनके ग्रुप की महत्वाकांक्षा यहां तक बढ़ गई है कि छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स को भी अपना हित साधते हुए एन केन प्रकारेण अपने अधीन कर लें। कैट की शुरुआत बने संघर्ष के दौर में धीरे-धीरे दो हज़ार सदस्य बनाये गए और किसी सदस्य से 5,100 किसी सदस्य से 11,000 सदस्यता राशि ली गई। कमोबेश छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के जो व्यापारीगण सदस्य नहीं बन पाए थे या नाराज़ थे या चेंबर की नेतागिरी से परेशान थे, वे सब व्यापारीगण मिलकर पारवानी के नेतृत्व में कैट संस्था को स्थापित करने में बड़ी मेहनत व मशक्कत करनी पड़ी थी। अंजाम ये हुआ कि आज कैट के खाते में छत्तीसगढ़ के व्यापारी सदस्यों का लगभग 50 लाख से 1 करोड़ के करीब कैट के खाते में फंड पड़ा है। अभी तक कैट के कोई भी ऐसा कार्यक्रम व्यापारियों के हित का या व्यापारियों के लिए नीति निर्धारण जैसा कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया। औपचारिकता के तौर पर एक कैट के सदस्य के घर पर ही आवासीय क्षेत्र में कैट की ऑफिस महंगे किराये पर लेकर डाल दिया गया है। वहां पर सिर्फ पदाधिकारी लोग अपनी छुट्टियां बिताने और टाइमपास करने के लिए क्लब के रूप में उपयोग करते रहते है। इन सभी बातों का लब्बोलुआब ये है कि छत्तीसगढ़ की व्यापारियों कि दिल की बात करने के लिए क्या एक संगठन पर्याप्त नहीं था। छत्तीसगढ़ के व्यापारियों को व्यापार करने के लिए जो जद्दोजहद करनी पड़ रही है। छोटे उद्योग और फैक्ट्री वालों को तरह-तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है और रोज दो चार नए कानूनों से उलझना पड़ रहा है। प्राय: देखा जा रहा है कि कोई भी व्यापारी पदाधिकारी बनते ही अपने स्वार्थवश अपने ही संस्थान का भला करने और अपना भला करने में दिन रात एक कर देते है। साथ ही स्वयंभू व्यापारी नेता बनने के लिए लाखों करोड़ों रूपया ख़र्च करने में गुरेज नहीं करते। एक समय का एक दौर था, जब छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स का गरिमामय चुनाव गंभीरता से व्यापारीगण मिलकर लड़ते थे। और व्यापारी एकता देखते बनती थी। 80 से 90 की दशक का दौर आम जनता और व्यापारियों को प्राय:-प्राय: याद ही है। उस दौर में एक दूसरे का मान-सम्मान में कमी नहीं करते थे। और चुनाव समाप्त होने के पश्चात एक अभिनंदन मिलन समारोह आयोजित होता था। अब आने वाले दिनों में इन बातों का कोई परवाह नहीं करेगा ऐसा आग़ाज़ वर्तमान चुनाव शुरू होने से पहले हो गया है। कई ऐसे व्यापारी जो नेता बनने के लिए आतुर है जो कभी भी पला बदलने में कोताही नहीं बरतते और व्यापारी हित की बात को समझते ही नहीं। ऐसे कई सदस्यगण अपने नेतागिरी का भविष्य चेंबर के चुनाव में देख रहे है भले ही उक्त सदस्यों ने छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स को कभी देखा ही नहीं होगा या समझा ही नहीं होगा या कभी सदस्य ही नहीं रहा होगा और सीधा अपनी जाति समीकरण को देखते हुए जी तोड़ मेहनत कर और पैसा खर्चा कर छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स की गरिमा को बिगाडऩे के लिए आतुर हो रहे है। अब ये देखना है कि ऊंट किस करवट बैठता है।
अगर ऐसी हालात रही तो चेंबर के चुनाव में तीन गुट चुनाव लड़ेंगे।
अमर पारवानी 6 साल पहले छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स की सीढ़ी नहीं चढ़े थे, श्रीचंद सुंदरानी ने चेंबर का रास्ता दिखाया।
श्रीचंद सुंदरानी 6 साल लगातार चेंबर की नेतागिरी कर अपने प्रतिनिधि के तौर पर इस एक मोहरे को बिठाने के पक्ष में
गंभीरता से चुनाव लडऩे वाले छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के चुनाव 2020 में गंभीरता नहीं दिखा रहे।
कोरोना काल के संकट में व्यापारियों के हित की बात या उनके हक़ की लड़ाई लडऩे के लिए अभी तक वर्तमान और पहले के पदाधिकारी इस विषय पर कोई भी सार्थक धरना प्रदर्शन या आयोजन केंद्र सरकार के खिलाफ नहीं किया
व्यापारियों की सबसे गंभीर समस्या लोन का ब्याज तथा व्यापार में आई गिरावट और धंधे में मंदी के दौर में इस पर ध्यान देने के लिए युवा और तेज़ व्यापारी है, गंभीरता से चुनाव लडऩे के लिए अधिकांश दलों ने मन बनाया।
चेंबर के चुनाव का सबसे यादगार उदाहरण वरिष्ठतम व्यापारी नेता पुरन लाल अग्रवाल और श्रीचंद सुंदरानी आर-पार का चुनाव लड़े थे और श्रीचंद सुंदरानी चुनाव जीतने के बाद उनके घर जाकर उनको स-सम्मान गले लगाकर अनुरोध किया कि हम सब मिलकर कार्य करेंगे। यह व्यापारी एकता का अमूल्य धरोहर था।
पहली बार छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के चुनाव में जमकर खुल्लम खुल्ला पैसे खर्च किया जा रहा है, पद प्रतिष्ठा की लड़ाई बनाकर संबंधों को पैसों से तौला जा रहा है।