नए पेनल के स्वयं-भू नेताओं द्वारा पूरे छग में ताबड़तोड़ दौरा के पीछे छिपी हुई मंशा क्या है?
नए पेनल में अधिकांश आरएसएस कैडर के प्रमुख सदस्य गणों का जमावड़ा
क्या कैट की मंशा है कि छग चेंबर आफ कामर्स में उसका कब्जा हो
नए पेनल के स्वयं-भू नेता द्वारा भाजपा के कद्दावर नेता के घर जाकर दो से तीन घंटे बैठने का तात्पर्य क्या है?
प्रमुख व्यापारिक संगठनों के आरएसएस और कांग्रेस विचारधारा की मानसिकता वाले व्यापारी चेंबर के चुनाव में सक्रिय नजर आ रहे है।
व्यापारी एकता पेनल में दावेदारी पेश करने आज अंतिम दिन
ज़ाकिर घुरसेना
रायपुर। चेंबर चुनाव की तिथि अभी घोषित हुई नहीं है, पर पदाधिकारी बनने की खुमारी अभी से व्यापारी नेताओं में चढ़ गई है। लगातार दौरे पर दौरे कर रहे हैं। चूंकि कोरोनाकाल के चलते इस बार चुनाव हर जिले में होगा, इसलिए व्यापारी नेता शहर दर शहर तफरीह में निकल गए हंै। इसी कड़ी में पिछले दिनों चुनाव समिति के शिवराज भंसाली और अन्य सदस्य मनेंद्रगढ़-बिलासपुर का दौरा कर मतदान स्थल का निरीक्षण किए। वर्तमान में व्यापारी एकता पेनल और जय व्यापार पेनल का ही नाम सामने आ रहा है। उन सबके बीच एक नए पेनल का भी आगाज होने का अंदेशा है। इस बाबत व्यापारी एकता पेनल के सभी प्रत्याशी लगातार बैठक भी कर रहे है। जिनमें प्रमुख रूप से योगेश अग्रवाल, विनय बजाज, राधाकिशन सुंदरानी, ललित जैसिंघ और आशीष जैन प्रमुख है। बहरहाल व्यापारी नेता पैंतरे पर पैंतरे बदल रहे हैं। अमर पारवानी ने हाल ही में अपने पैंतरे बदलते हुए भाजपा के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल के रामसागरपारा स्थित निवास में लंबे समय तक बैठकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का प्रयास किया और अपने साथियों को स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की। ऐसा माना जाता है कि रामसागरपारा स्थित बृजमोहन का दरवाजा अब तक के हुए चेंबर के हर चुनाव में सफलता की पहली सीढ़ी मानी जाती रही है। राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल जो कि बृजमोहन अग्रवाल के छोटे भ्राता हैं, चेंबर में लगातार 25 साल की उल्लेखनीय सेवा को हर समाज व व्यापारी वर्ग में ईमानदारी पूर्वक बांटते आ रहे हंै। अपनी कार्यकुशलता और उपस्थिति के कारण वे चेंबर में सक्रिय भूमिका भी निभाते आ रहे हैं। ऐसे माहौल में अमर पारवनी के व्दारा स्वयं-भू पेनल बनाकर और चुनाव के समर में कूदना उनके लिए घातक साबित हो रहा था तथा गफलत में आकर चुनाव लडऩे का मन बनाकर नया पेनल बना दिया। अब जब झूठ के सारे पर्दे उठ गए तब पारवानी ने बगैर परवाह किए और बिना देरी किए रामसागरपारा जाकर बृजमोहन अग्रवाल के घर बैठना ही उचित समझा। ऐसे में चेंबर के बहुत सारे व्यापारीगण जो अलग-अलग वर्गों और जाति से आते हंै, जो इस चेंबर चुनाव में आश्चर्यजनक ढंग से अपनी इच्छा जताकर चेंबर के पदाधिकारी बनने की मंशा रख रहे थे, उन लोगों ने एक ही समाज का बार-बार लगातार चेंबर में काबिज होने को व्यापारियों के लिए घातक बताया। व्यापारीगण यह भी बताने से पीछे नहीं हट रहे हैं कि चेंबर को सरकार के अनुसार ही कार्य करना चाहिए और व्यापारियों के हित में त्वरित और तत्काल कार्रवाई करने हेतु शासन और चेंबर का एक साथ होना अतिआवश्यक है, जिसका भी ख्याल रखा जाना चाहिए , बनते बिगड़ते समीकरण को क्या रंग और रूप दिया जा सकता है इसका अनुमान किसी को नहीं है।
2020 का चुनाव होगा हाईप्रोफाइल
बहरहाल चेंबर के चुनाव को गंभीरता से समझने वाले व्यापारी नेतागण 2020 के चुनाव को हाईप्रोफाइल मान कर चल रहे हैं, जिसमें धनबल बाहुबल छलकपट गफलत और धोखा बहुत बड़े पैमाने पर देखने को मिलेगा ऐसा उनका मानना है। मेडिकल काम्प्लेक्स के कुछ दुकानदार जो नाम नहीं छापने की शर्त पर जनता से रिश्ता के संवाददाता को बताया कि कैट के व्दारा छग चेंबर आफ कामर्स के चुनाव में छल कपट धनबल की ताकत पर काजिब होने की मंशा को व्यापारीगण सफल नहीं होने देंगे एवं ऐसे किसी शख्स को पदाधिकारी नहीं बनाएंगे। और कहा तो यह भी जा रहा है कि कैट के पदाधिकारी चेंबर चुनाव में सफल नहीं होते है तो वापस कैट चले जाएंगे, तो हम इन्हें क्यों सपोर्ट करें।
आरएसएस विंग की छाप
उल्लेखनीय है कि कैट राष्ट्रीय स्तर पर नितिन गडकरी के व्दारा आरएसएस विंग के प्रमुख व्यापारी गणों के नेतृत्व में गठन किया गया था, इसलिए कांग्रेस शासित प्रदेश होने के कारण कैट में काम करने वाले किसी भी पदाधिकारी को छग चेंबर आफ कामर्स के चुनाव में सफलता मिलने के लिए काफी मेहनत और मशक्कत करनी पड़ेगी अत: स्थिति को देखने हुए उनके लिए सफलता का प्रतिशत शून्य भी हो सकता है।