नेताओं के संरक्षण से चेंबर को बनाया जा रहा राजनीतिक अखाड़ा, व्यापार राजनीति के नाम पर हर बार थोपा जाता है प्रत्याशी
प्रदेशभर में सदस्य, फिर भी रायपुर के ही व्यापारी नेताओं का चेंबर में कब्जा
अमर पारवानी का प्रदेश भर में विरोध
श्रीचंद्र सुंदरानी ने संभाली चेंबर की कमान
पार्टीगुटबाजी से व्यापारीगण नाराज
पिछले तीन सालों में व्यापारियों के हितों में नहीं आया कोई बड़ा फैसला
छोटे समूह के व्यापारियों को वोट नहीं देने के अधिकार को लेकर नाराजगी
कैलाश यादव
रायपुर। चुनाव को लेकर चेंबर और कैट आमने-सामने आ गए है। चेंबर और कैट नेताओं ने अपनी तैयारियों के साथ बयानबाजी शुरू कर दी है। चेंबर के चेयरपर्सन योगेश अग्रवाल ने एक स्थानीय न्यूज चेनल में साफ कहा कि कैट को चेंबर चुनाव लडऩे का कोई अधिकार नहीं है। वहीं कैट के उपाध्यक्ष विक्रम सिंहदेव ने कहा कि चेंबर के बाइलाज में कहीं ऐसा नहीं लिखा कि अन्य व्यापारिक संगठन चेंबर चुनाव नहीं लड़ सकते। इसलिए कैट ने पूरे विचार विमर्श के साथ प्रत्याशियों के चयन की तैयारी शुरू कर दी है, जल्द ही नामों की घोषणा कर दी जाएगी। हमें चुनाव लडऩे से कोई नहीं रोक सकता।
इन बयानों से नजर आ रहा है कि चेंबर से अलग होकर नया संगठन बनाने वालों और चेंबर से जुड़े उद्योग समूह के सदस्यों के बीच चुनाव को लेकर घमासान मचा हुआ है। एक वर्ग जो अलग समूह बनाकर तीन साल से रायपुर में व्यापारियों की राजनीति कर रहा है, वहीं चेंबर से जुड़े लोगों को चुनाव में उस अलग हुए समूह की दखलांदाजी रास नहीं आ रहा है। दोनों ही समूह के व्यापारी नेता सत्ता पक्ष और विपक्ष से भी जुड़े होने के कारण अब चेंबर चुनाव दिलचस्प हो गया है। कौन होगा व्यापारियों का नया नेता, यह तो समय बताएगा। लेकिन जो ताजा स्थिति है वह पूरी तरह राजनीतिक लब्बोलुआब से भरा दिखाई दे रहा है। राजधानी में व्यापारी नेताओं की राजनीति से पूरे प्रदेश में राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। छत्तीसगढ़ चेंम्बर ऑफ कॉमर्स के चुनाव को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष से जुड़े नेताओं की जुगलबंदी ने व्यापार में पिछले 8 माह से कोरोनाकाल से हुए नुकसान को भूल कर बड़े उद्योग समूह व्यापारियों के संगठनों में घमासान मचा हुआ है।
योगेश अग्रवाल ने तय समय पर चुनाव कराने का किया स्वागत
चेंम्बर ऑफ कॉमर्स के चेयरमैन योगेश अग्रवाल ने चेम्बर का चुनाव तय समय कराने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि चेंबर अध्यक्ष जीतेन्द्र बलोटा ने बिना किसी राजनीति और दबाव के सभी पदाधिकारियों से चर्चा के बाद ये फैसला लिया है। साथ ही इस चुनाव में जिला स्तर पर सदस्यों को वोटिंग की सुविधा दिए जाने की सराहना की। योगेश अग्रवाल ने कहा कि पिछले 60 सालों में ये पहली बार है, जब चेंबर के सदस्यों को जिलों में ही मतदान करने का अवसर मिलेगा। चुनाव के लिए गुटीय संघर्ष सामने आने को लेकर उन्होंने कहा कि एकता पैनल पूरी तैयार और मजबूती के साथ अपने नेता श्रीचंद सुंदरानी के मार्गदर्शन में चुनाव लड़ेगा। जहां तक इस चुनाव में कैट के पदाधिकारियों के भी चुनाव लडऩे की बात है। तो उनको यह तो अधिकार ही नहीं है। इन लोगों में चेम्बर छोड़कर एक समानांतर संस्था खड़ी की है. और पिछले 3 सालों से चेंम्बर के खिलाफ अभियान छेड़े हुए है। वे अब किस मुँह से चेंबर चुनाव में हिस्सा लेने की बात कह रहे है।
एक गुट ने अलग होकर बनाया नया संगठन
चेंबर चुनाव में कैट की दखलांदाजी को लेकर व्यापारियों में बेचैनी बढ़ा दी है। चेंबर में पिछले कई सालों से चल रहे आंतरिक राजनीति से पीडि़त होकर व्यापारियों ने अलग संगठन बनाकर चुनाव में मात देने जो संगठन खड़ा किया वह अब चुनाव में भागीदारी चाहता है जिस पर चेंबर के पदाधिकारियों व्दारा सवाल उठाए जा रहे है, जब इसी संगठन में चुनाव लडऩा था तो क्यों अलग संगठन खड़ा किया। ऐसे में कैट के चुनाव में चेंबर भी दखलांदाजी कर सकता है।
हर बार राजधानी से ही अध्यक्ष क्यों?
खबर आ रही है कि कैट का चुनाव में हिस्सा लेने के पीछे व्यापारियों का सत्ता पक्ष और विपक्ष की राजनीति से घनिष्ट संबंध होने के कारण पिछले 60 साल से रायपुर से ही अध्यक्ष बनते रहे है। चेंबर के प्रदेश भर के सदस्यों में अलग-अलग विचारधारा से जुड़े होने के कारण अब कुछ नया और परिवर्तन की मांग बलवती हो रही है। इसलिए चेंबर से जुड़े अन्य जिलों के व्यापारियों का कहना है कि उन्हें भी चेंबर में अध्यक्ष बनने का मौका मिले। इस कारण चेंबर चुनावी हवा को कैट ने तूफानी बनाने के लिए पवनचक्की चला दी है। जिसके कारण चेंबर और कैट ने सीधे तौर पर चुनाव की ताल ठोंक दी है। चुनाव में राजनीतिक दल भी दांवपेंच आजमा रहे हैं। ऐसी भी खबर है कि कांग्रेस राजनांदगांव से जीशान बहादुर अली का नाम अध्यक्ष पद के लिए आगे कर सकती है।
थोपने वाले नेताओं को नए सदस्य नहीं
कर रहे पसंद
राजधानी के व्यापारियों का चेंबर में कब्जा को लेकर अन्य जिलों के युवा सदस्य अब मुखर होकर सामने आ गए है। उनका एक ही कहना है कि यह राजनीतिक मंच नहीं है और न ही इसे राजनीतिक मंच बनाया जाए। व्यापारियों के हितों के बजाय अपने वर्चस्व और राजनीतिक पहुंच बढ़ाने की गरज से चेंबर का उपयोग न हो। इसलिए प्रदेश के जिलों के सदस्यों को ससम्मान सर्वानुमति से अध्यक्ष के लिए नामांकित चेंबर को राजनीतिक अखाड़ा होने से बचाया जाए। निष्पक्ष और निर्भीक चुनाव कराए जिससे पूरे प्रदेश के साथ देश में चेंबर का नाम रोखन हो। हर बार राजधानी से चेंबर चुनाव में अध्यक्ष सहित पूरे पेनल का नाम थोप दिया जाता है। हर सदस्य पर दबाव बनाया जाता है। इस तरह दबाव की राजनीति से चेंबर को बाहर रखना जरूरी है। नहीं तो यह राजनीतिक मंच बन जाएगा। यह संगठन अलग-अलग राजनेताओं से जुड़कर व्यापारियों की हितों के बजाय स्वहित करने में जुट गया है। इसे रोकने का एकमात्र उपाय यहीं है कि इसे सिर्फ व्यापारियों के लिए आरक्षित रखा जाए। जो व्यापारियों की परेशानी समझे न कि नेतागिरी के चक्कर में चेंबर को राजनीतिक अखाड़ा बना दें।