छत्तीसगढ़

सीजीएमएससी के अफसर और आयुष के संचालक सरकार से बड़े...!

Nilmani Pal
19 Sep 2024 5:47 AM GMT
सीजीएमएससी के अफसर और आयुष के संचालक सरकार से बड़े...!
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कैबिनेट के आदेश को ठेंगा, निजी कंपनियों से हर्बल उत्पादों की खरीदी, अधिकारियों की भाजपा सरकार को बदनाम करने की साजिश तो नहीं?...............

सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है

निजी कंपनियों से कमीशन खोरी कर लाखों-करोड़ों कमा रहे अफसर

रायपुर (जसेरि)। छत्तीसगढ़ सरकार को अपने काले कारनामों से सुर्खियों में रखने वाला सीजीएमएससी स्वास्थ्य विभाग पर ऐसा काला धब्बा हो जो कभी मिटता ही नहीं है। जिसके काले कारनामे की जांच की मांग सरकार से सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने की है। मामला तत्कालीन भाजपा सरकार का है जिसनें 2012 को केबिनेट में प्रस्ताव पारित किया गया था कि प्रदेश में लघुवनोपज व्दारा आयुर्वेदिक दवाओ्ं हर्बल उत्पादों एवं लघु वनोपज से प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को बिना टेंडर निविदा किए निर्धािरत दर पर न लेकर सीजीएमएससी और आयुष के अफसर निजी आयुर्वेदिक कंपनियों से दवा क्रय कर रहे जिन पर कायवाई की मांग की है।

कैबिनेट के प्रस्ताव और मुख्य सचिव के निर्देशों की अवहेलना : सीजीएमएससी में तानाशाही के पर्याय बन चुके अफसरों के आगे नियम कायदे बौने हो गए है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है यहां खरीदी जारी रही दवाई है जो लघुवनोपज की जगह जेब भरने वाली निजी कंपिनयां है। संचालक आयुष एवं प्रबंध संचालक छग मोडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन रायपुर के व्दारा मुख्य सचिव छग शासन के आदेशों की अवहेलना करने एवं दिए गए आदेश कि दवाई राज्य लघु वनोपज संघ मर्यादित और आयुर्वेदिक दवा के लिए हर्बल उत्पाद खरीदना है वो भी बिना टेंडर के खरीदी आदेश का बेजा फायदा उठाकर अफसर धड़ाधड़ निजी कंपनियों से खरीदकर करोड़ों अरबों के वारे न्यारे कर रहे है।

सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार को जांच के लिखे पत्र में कहा है कि वन समितियां जिनका संचालन वन ग्रामों में रहने वाले अिकतर आदिवासी समाज के लोगों के व्दारा छग के वनो में होने वाले कच्ची औषधियों एवं अम्य सामग्रियों का संदारण कर वन विभाग के अंतर्गत संचालित प्रोसेसिंग यूनिट के माध्यम से आयुर्वेदिक औषधियों को तैयार किया जाता है। परंतु बाजार से और भी अनेक नामी आयुर्वदिक कंपनियां होने के कारण छग हर्बल्स के उत्पाद नहीं बिक पाते जिससे वन समितियों को लाभ प्राप्त नहीं हो पाता है।जिसके कारण वन समितियां काम नहीं कर पाती है।

निजी कंपनियों से धड़ाधड़ खरीदी : सरकार के व्दारा देखा औऱ समझा गया और यह पाया कि छग के जंगलों से वन समितियों के माध्यम से संग्रहित कच्ची वन औषधि एवं अन्य सामग्रियां बहुत अच्छे किस्म की होती है। जिसे सरकार के व्दारा मदद करने पर उन समितियों का अच्छा व्यापार एवं उन्हें लाभ प्राप्त हो सकता है। इसके लिए सारी जानकारी एवं समीक्षा करने के उपरांत मुख्य सचिव के व्दारा आदेश दिया गया कि शासकीय विभागों का उपक्रमों व्दारा छग हर्बल्स के उत्पादों को क्रय करने शासन के समस्त विभागों , कलेक्टरों को आदेश दिया था। इश प्रकार इन उत्पादों को क्रय करने के लिए किसी भी प्रकार के निविदा की आवश्यकता नहीं होगी अथवा उसके व्दारा दिए गए मूल्य के आधार पर सीधे क्रय कर सकेंगे। लेकिन यहां पूरी तरह उल्टा हो रहा है।

निर्माता कंपनियों के विरूद्ध अपराध दर्ज : छग राज्य लघु वनोपज संघ मर्यादित व्दारा आयुर्वेदिक दवाओं, हर्बल्स, उत्पादों एवं लघु वनोपज से प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को निर्धारित दर पर सीधे क्रय किए जाने तथा इश के िलए पृतक से निविदा बुलाए जाने की आवश्कता नहीं होने के संबंध में छग भंडार क्रय नियम 2002के निय़म 08 में संशोधन किया जाकर प्रावधान किया ज चुकी है। आर्थिक अपराध अन्वेषण रायपुर में जिन आयुर्वेदिक दवाई निर्माता कंपनियों के विरूद्ध अपराध दर्ज है। उन्हें ही वर्तमान में दवाइयों का क्रय आदेश दिया जा रहा है।

अधिकारी-कर्मचारी की मिलीभगत : आयुष संचालनालय एवं छग मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन रायपुर के अधिकारी एवं कर्मचारी मिलीभगत कर कमीशनखोरी करने के लिए मुख्य सचिव के आदेश के विरूद्ध जाकर छग राज्य लघु वनोपज संघ मर्यादित व्दारा आयुर्वेदिक दवा हर्बल उत्पादों को छग राज्य लघु वनोपज से न लेकर निजी आयुर्वेदिक कंपनियों से लिया जदा रहा है। इस पर संचालनालय आयुष एवं छग मोडिकल सर्विसेस कोर्पोरेशन रायपुर के कर्मचारी एवं अधिकारियों के विरूद्ध मुक्य सिचव के आदेश की अवहेलना पर कार्यवाही करना चाहिए । मंत्री परिषद के अनुमोदित आदेश का पालन करने का निर्देश देवें।

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