छत्तीसगढ़

राजस्थान सरकार की महत्वपूर्ण खनन परियोजना के खिलाफ अभियान चलाने वालों की संयुक्त याचिका को CG हाई कोर्ट ने की खारिज

Nilmani Pal
2 Oct 2022 11:34 AM GMT
राजस्थान सरकार की महत्वपूर्ण खनन परियोजना के खिलाफ अभियान चलाने वालों की संयुक्त याचिका को CG हाई कोर्ट ने की खारिज
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रायपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने राजस्थान सरकार की महत्वपूर्ण खनन परियोजना के खिलाफ अभियान चलाने वालों की एक संयुक्त याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने याचिका को खारिज करने के कई कारणों का हवाला दिया और मुख्य रूप से कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि केंद्रीय पर्यावरण और वन, ट्राइबल अफेयर्स मंत्रालयों ने नॉन-फॉरेस्ट्री उपयोग से जुड़े प्रस्ताव के संबंध में 1136 हेक्टेयर वन भूमि के शेष क्षेत्र में, फेज- II का खनन कार्य शुरू करने के लिए स्वीकृति दी है। इसके अलावा उच्च न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एक स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) विचाराधीन है और इसकी सुनवाई 13 अक्टूबर 2022 के लिए तय की गई है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी बिलासपुर हाई कोर्ट ने मई में राजस्थान सरकार द्वारा अपने निगम के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ पांच याचिकाओं को खारिज कर दिया था। जिन्हे विभिन्न सेंट्रल और स्टेट अथॉरिटीज से सभी जरुरी अनुमतियाँ प्राप्त थीं। इस मामले की क्रोनोलॉजी का हवाला देते हुए, बिलासपुर हाई कोर्ट ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने मार्च 2012 में परसा ईस्ट केते बासन ब्लॉक के लिए वन भूमि के डायवर्जन को मंजूरी दी थी, जिसका कुछ ग्रामीण समूहों द्वारा विरोध किया गया था। लेकिन फरवरी 2022 में, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने आरआरवीयूएनएल के पक्ष में नॉन-फॉरेस्ट्री उपयोग से जुड़े प्रस्ताव के संबंध में, शेष 1136 हेक्टेयर वन भूमि में फेज- II का खनन कार्य शुरू करने की मंजूरी दी थी।

1 अक्टूबर को जारी आदेश और मई में पारित आदेश में, अदालत ने यह भी कहा कि परसा के लिए भी नियमों का विधिवत पालन किया गया था। पेसा एक्ट के लागू होने पर, याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि केंद्र और राज्य सरकारें किसी भी उद्देश्य के लिए भूमि अधिग्रहण की अनुमति नहीं दे सकती हैं। इस पर अदालत ने कहा कि व्यापक जनहित और विशेष परिस्थितियों के मामले में केंद्र सरकार ऐसा करने की हकदार है।


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