छत्तीसगढ़
राजनांदगांव में गाजर घास जागरूकता सप्ताह का किया गया शुभारंभ
Shantanu Roy
17 Aug 2023 2:21 PM GMT
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छग
राजनांदगांव। पंडित शिव कुमार शास्त्री कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र राजनांदगांव से अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय राजनांदगांव के मार्गदर्शन में 18 वां गाजर घास जागरूकता सप्ताह का शुभारंभ किया गया। 18 वां गाजर घास जागरूकता सप्ताह 16 अगस्त से 22 अगस्त 2023 चलाया जाएगा। इस अवसर पर महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. जया लक्ष्मी गांगुली द्वारा गाजर घास एवं उनके समन्वित प्रबंधन के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि गाजर घास एक घातक खरपतवार है। पानी मिलने पर गाजर घास वर्ष भर फल-फूल सकती है परंतु वर्षा ऋतु में इसका अधिक अंकुरण होने पर यह एक भीषण खरपतवार का रूप ले लेती है। यह मुख्यत: खाली स्थानों, अनुपयोगी भूमियों, औद्योगिक क्षेत्रों, बगीचों, पार्कों, स्कूलों, रहवासी क्षेत्रों, सड़कों तथा रेलवे लाइन के किनारों आदि पर बहुतायत में पायी जाती है। पिछले कुछ वर्षोंं से इसका प्रकोप सभी प्रकार की खाद्यान्न फसलों, सब्जियों एवं उद्यानों में भी बढ़ता जा रहा है। इसके कारण फसलों की उत्पादकता भी प्रभावित हो रही है। गाजर घास का पौधा 3-4 महीनें में अपना जीवन चक्रपूरा कर लेता है तथा एक वर्ष में इसकी 3-4 पीढिय़ां पूरी हो जाती है। गाजर घास से मनुष्यों में त्वचा संबंधी रोग, अस्थमा, एलर्जी आदि जैसी बीमारियां हो जाती है। पशुओं के लिए भी यह खरपतवार अत्यधिक विषाक्त होता है। गाजर घास के तेजी से फैलने के कारण अन्य उपयोगी वनस्पतियां खत्म होने लगती है। जैव विविधता के लिए गाजर घास एक बहुत बड़ा खतरा बनते जा रहा है।
विद्यार्थियों को इसके बारे में जागरूक करने हेतु गाजर घास का भारत में इतिहास, फैलाव, जीवन चक्र, मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर प्रभाव को बताते हुए कृषिगत, यांत्रिकी एवं जैविक विधि से गाजर घास का प्रबंधन करने की बात कहीं। प्रबंधन के अंतर्गत जैविक नियंत्रण अंतर्गत जाइगोग्राम बाइकोलोराटा कीट के जीवन-चक्र तथा उसके संवर्धन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। जिसमें जुलाई-अगस्त माह में पार्थेनियम संक्रमित क्षेत्रों में जैव-नियंत्रक जाइगोग्रामा बाइकोलोराटा को छोडऩा चाहिए। यह कीट अपनी संख्या बढ़ाते हुए एक स्थान की गाजर घास खत्म करते हुए पास वाले क्षेत्रों की गाजर घास पर आकर्षित होकर स्वत: ही जाकर अधिक तेजी से नष्ट करने लग जाते हैं। एक बड़े क्षेत्र में कई जगह निर्धारित कर अलग-अलग बीटल छोड़ेगें तो उनका प्रसार तेजी से होगा और गाजर घास अधिक तेजी से नष्ट होगी। विदित हो कि जाइगोग्रामा बाइकोलोराटा कीट का संवर्धन महाविद्यालय के जैव-नियंत्रक प्रयोग शाला में किया जा रहा है। इस अवसर पर गाजर घास एवं उनके प्रबंधन के संबंध में प्रश्नोत्तरी के माध्यम से विद्यार्थियों के जिज्ञासाओं का भी सामधान किया गया। गाजर घास जागरूकता सप्ताह के प्रथम दिन पर चतुर्थ वर्ष के विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विनम्रता जैन द्वारा किया गया। इस अवसर पर कृषि महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. आरएन गांगुली, कार्यक्रम समन्वयक डॉ. ललित कुमार रामटेके, सहायक प्राध्यापक डॉ. एमके चंद्राकर, डॉ. पूजा साहू, डॉ. डिकेश्वर निषाद, डॉ. प्रेरणा परिहार, डॉ. प्रदीप पटेल, डॉ. रोमिला, डॉ. मिनाक्षी मेश्राम उपस्थित थे।
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Shantanu Roy
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