छत्तीसगढ़

सावधान! जमीन या मकान खरीदने से पहले प्रोजेक्ट-बिल्डर की कुंडली खंगालें

Admin2
17 Nov 2020 5:47 AM GMT
सावधान! जमीन या मकान खरीदने से पहले प्रोजेक्ट-बिल्डर की कुंडली खंगालें
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रेरा से जानकारी जरूर ले लें और फर्जीवाड़ा से बचें

ज़ाकिर घुरसेना

हाउसिंग बोर्ड-आरडीए से भी लोग परेशान

प्राइवेट बिल्डर तो फर्जीवाड़ा कर ही रहे थे अब हाउसिंग बोर्ड और आरडीए भी बहती गंगा में हाथ धोने उतारू है लोगो को वादे के मुताबिक समय पर मकान बनाकर नहीं दे पा रहे है जबकि लोगो ने समय पर रकम दिया है। सरकारी प्रोजेक्ट में संबंधित एजेंसी अपने पंजीयन फार्म और ब्रोशर में कई तरह की लोक-लुभावन सुविधाएं देने का उल्लेख करती हैं साथ प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए समय नियत भी करते हैं बावजूद फ्लैट मकानों में कहे अनुसार चीजें इस्तेमाल नहीं की जाती है निर्माण के दौरान डिजाइन भी बदल देते हैं ऊपर से पजीशन देने में अनावश्यक विलंब करते हैं। इससे लोगों पर हाउस रेंट और खरीदे गए मकान के लोन की किस्तें जमा करने की दोहरी मार पड़ती है। अधिकारियों के भ्रष्टाचार और ठेकेदारों को फंड जारी करने में देरी का खामियाजा ग्राहकों को भूगतना पड़ता है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में एक समय अवैध बिल्डरों की बाढ़ सी आ गई थी। जनता की गाढ़ी कमाई व्यर्थ न जाये इसके लिए वर्ष 2018 जनवरी में रेरा का गठन किया गया था पहले चेयरमैन के रूप में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव तेजतर्रार ईमानदार अफसर विवेक ढांढ को इसकी जिम्मेदारी दी गई। पूर्ववर्ती भाजपा शासन काल में सारे बिल्डर भाजपा नेताओ के इर्दगिर्द चक्कर लगाते देखे जाते थे लेकिन सरकार बदलने पर उन्होंने कांग्रेस सरकार के साथ भी ताल से ताल मिला कर कदमताल कर रहे हैं। लेकिन रेरा बनने के बाद इन बिल्डरों का सपना तो पहले से चूर हो गया था कारण कि सरकार को जनता की गाढ़ी कमाई को फर्जी लोगों से बचाना था। जब कभी जमीन या मकान खरीदने की सोचें रेरा दफ्तर जाकर जिनसे आप जमीन या मकान का सौदा कर रहे हों उस बिल्डर की कुंडली जरूर देख लें। क्योकि यह भी देखा गया है की जहाँ जहाँ हाउसिंग बोर्ड या आरडीए का प्रोजेक्ट चल रहा होता है वहां पर ये आजू बाजू की जमीं खरीद कर हाऊसिंग बोर्ड और आरडीए के अधिकारीयों से सांठगांठ कर अपने प्रोजेक्ट को फायदा पहुंचाते हैं। ऐसे कई बिल्डर्स की भी पहचान हो चुकी है जिहोने सरकारी जमीन के आसपास जमीन खरीद कर सरकारी जमीन पर कब्जा कर लोगों को बेच दिए हैं। अभी हाल में ही कोटा क्षेत्र में भी इस प्रकार का मामला सामने आया था।

सरकारी जमीनों पर कब्जा

सरकारी जमीन को बिल्डर अपना बताकर बेच दिया लोगों ने रजिस्ट्री भी करवा लिया अभी जाकर फर्जीवाढे का पता चला, सवाल ये उठता है की जमीन सरकारी थी तो रजिस्ट्री कैसे हो गई. सरकार ने तो फरमान जारी कर दिया कि जो सरकारी जमीन है उसकी रजिस्ट्री निरस्त होगी, अब सवाल फिर उठता है की जिन लोगो ने बिल्डर्स से जमीन खरीदी उस बिल्डर को गिरफ्तार कर पीडितों का पैसा वापस दिलाये वर्ना उन लोगो को नाहक परशान होना पड़ेगा। ऐसे एक नहीं कई मामलें हैं जिसमे बिल्डरों की शतप्रतिशत गलती है और भुगत आम जनता रही है। भाजपा शासन काल में खम्हारडीह का मामला लोगो को याद ही है बड़े ही जोर-शोर से उछला था लेकिन ऐसा क्या जादू चला सब खामोश हो गए। इसी प्रकार आज से 5 -7 साल पहले तुलसी बाराडेरा में थोक सब्जी बाजार बनाया गया था लेकिन दूरी की वजह से व्यापारी वहां जाने से कतराने लगे साथ ही शहर के नदीक देवपुरी के पास प्राइवेट सब्जी बाजार को मान्यता दे दी गई इसमें भी भाजपा के एक पूर्व मंत्री द्वारा मोटी रकम लेनदेन की भी जानकारी है। अब मजबूरी में शासन को तुलसी बाराडेरा स्थित थोक सब्जी बाजार के दुकानों में शासकीय दफ्तरोंं को शिफ्ट करना पड़ा क्योकि वहां की दुकाने खँडहर में तब्दील हो रही थी। प्राय: यह देखा गया है कि अधिकतर कालोनियों में बिल्डरों द्वारा जो ब्रोशर दिखाकर जमीन या मकान का सौदा किया जाता है वोह ब्रोशर में बताये गए मापदंडो को पूरा नहीं करते कहीं पर गार्डन को तोड़कर पार्किंग बना दिया जाता है कहीं पर पार्किंग के लिए छोड़ी गई जगह पर दुकान निकालकर बेच दिया जाता है। इस तरीके से बिल्डरों द्वारा अधिकारीयों से मिलीभगत कर जनता के जेब में डाका डालने का काम करते हैं।

अवैध प्लाटिंग का खेल पूरे छत्तीसगढ़ में

अवैध प्लाटिंग का खेल सिर्फ रायपुर में नहीं है बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में है अधिकारी और बिल्डर मिलकर छत्तीसगढ़ को चारागाह समझ चर रहे हैं और सरकार को बदनाम कर रहे हैं। सरकार को बदनाम करने की यह सोची समझी साजिश नजर आती है सरकार को संज्ञान में लेकर इसकी जाँच करवानी चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो। पुरे छत्तीसगढ़ में इन बिल्डरों ने अपना जाल फैला रखा है। लोग जिंदगी भर की कमाई से खुद का घर होने का सपना देख जमीन या मकान खरीद लेते हैं फिर बाद में पछताते रहते हैं। बिल्डरों की पहुंच इतनी होती है की प्लाट या मकान अवैध होने के बावजूद ये इसकी रजिस्ट्री तक करवा देते है। इस प्रकार की शिकायत पिछले दिनों कलेक्टर से की गई थी। कलेक्टर ने गंभीरता दिखाते हुए तत्काल इसकी जाँच के आदेश दे दिए थे। मामला बोरिया खुर्द रायपुर का था। ऐसे कई मामले हैं जिसकी जाँच भी नहीं हुई है जो पीडि़तो के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।

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