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गरियाबंद। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले को टीबी बीमारी से मुक्त करने का अभियान चलाया जा रहा है। सीएमएचओ डॉ. उरांव के अनुसार टी.बी. की बिमारी एक गंभीर बीमारी है, इसका उपचार बलगम जांच के प्रमाणीकरण के पश्चात प्रारंभ किया जाता है। टी.बी. के बीमारी के प्रमाणीकरण के उपरांत टी.बी. के उपचार के लिये दवाई का किट प्रतिदिन खाने के लिये मरीज को ट्रीटमेंट सपोर्टर मितानिन के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है। जिससे मरीज की बीमारी शत प्रतिशत ठीक हो जाती है। टी.बी. की बीमारी की जांच के लिए गरियाबंद जिले में कुल 22 प्रयोगशाला स्थापित किये गये है। जहां पर अत्याधुनिक तरीके से माइक्रोस्कोप, सीबीनॉट, टुनॉट मशीन की ओर से टीबी के कीटाणु की खोज किया जाता है। टीबी की बिमारी की जांच के लिये जिले में विशेष जांच खोज अभियान का क्रियान्वयन के दौरान अब तक कुल 4699 सैंपल प्राप्त हुये, जिसमें शत प्रतिशत सभी का जांच कर लिया गया है, जिसमें 73 नये टीबी के मरीज खोजे गये हैं। जिनका ईलाज प्रारंभ करके उन्हें सुरक्षित करने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है।
जिला गरियाबंद में सभी खण्ड चिकित्सा अधिकारी और एसटीएस व एसटीएलएस तथा जिला टीबी युनिट के भुपेश साहु, अमृत भोसले, भरत सिंह ठाकुर, धीरज शर्मा, ललित देवांगन, टीकेश साहु, सौरभ गुप्ता के विशेष सहयोग से टीबी के बीमारी को जिले से दूर किया जा रहा है। डॉ. कंवर ने बताया कि टीबी मुक्त भारत की दिशा में वर्तमान में गरियाबंद जिला कांस्य पदक के लिए नामांकित हुआ है। जिसके सत्यापन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन व आईसीएमआर के मार्गदर्शन में 20 वालेंटियरों के 10 दल के माध्यम से चिन्हांकित गांवों में सर्वे कार्य किया जाएगा व विश्व स्वास्थ्य संगठन, सेन्ट्रल टीबी डिवीजन, आईसीएमआर व राज्य क्षय कार्यलयीन दल की ओर से जिले के टीबी कार्यक्रम संबंधी विगत 05 वर्षो के रिकार्ड का सत्यापन कार्य किया जाएगा। उक्त सर्वे जनवरी 2023 माह में प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है। मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. के.सी. उरांव के निर्देशन में जिला क्षय अधिकारी डॉ. ए. के. हुमने की ओर से निरंतर प्रचार प्रसार, प्रशिक्षण, निरंतर दवाईयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के विशेष प्रयास से वर्ष 2022 में पंजीकृत सभी 778 टीबी मरीजों को दवाईयाँ नि:शुल्क प्रदान किया जा रहा है। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत पोषण आहार हेतु मरीजों के खाते में प्रतिमाह 500 रुपए दिया जाता है। इस प्रकार जिले में स्वास्थ्य अमला की ओर से राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है।
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