छत्तीसगढ़

कमाई के लिए नियम दरकिनार, ताक पर सुरक्षा

Nilmani Pal
26 July 2022 5:31 AM GMT
कमाई के लिए नियम दरकिनार, ताक पर सुरक्षा
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शहर के भीतर मुख्य चौराहों पर यूनिपोल

नियम-मापदंडों की अवहेलना कर शहर में लगाया जा रहे होर्डिंग्स

विज्ञापन एजेंसियों और अधिकारियों के बीच सांठगांठ, नहीं तो जानलेवा कारनामा कैसे?

जान-माल की सुरक्षा की अनदेखी, दुर्घटनाओं की आशंका

विज्ञापन एजेंसियों की मनमानी और अधिकारियों की अनदेखी पर मानवाधिकार आयोग, समाजसेवी संगठन और राजनीतिक दल खामोश

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। शहर में नियमों के विपरीत सड़कों पर 20 यूनिपोल लगा दिए गए हैं। उन पर विज्ञापन लगाने के एवज में विज्ञापन एजेंसियों ने मनमाने तरीके से काम किया है। नियमानुसार फुटपाथ और सड़क से तीन मीटर की दूरी और बिजली लाइन से दूरी पर ही यूनिपोल लगाने का प्रविधान है, लेकिन इसके ठीक विपरीत आंबेडकर अस्पताल चौक, शास्त्री चौक, एसआरपी चौक, कलेक्ट्रेट चौक, देवेंद्रनगर चौक पर यूनिपोल लगाए गए हैं। इसके साथ ही अधिकतर यूनिपोल सड़क किनारे, बिजली ट्रांसफार्मर के पास भी लगा दिए गए हैं। इससे जहां निगम को लाखों का राजस्व का नुकसान हो रहा है, वहीं हादसे का भी खतरा मंडरा रहा है। शहर में कई स्थानों पर नियमों के विपरीत होर्डिंग की साइज बढ़ाकर विभिन्ना बड़ी कंपनियों के विज्ञापन के बैनर, पोस्टर लगाने के एवज में विज्ञापन एजेंसियां हर माह लाखों रुपये किराया वसूल कर निगम के खजाने को चोट पहुंचा रही हैं। विज्ञापन एजेंसियों की इस मनमानी की शिकायत के बाद भी निगम के अधिकारी और जनप्रतिनिधि चुप्पी साधकर बैठे हुए हैं। सड़क डिवाइडर, बिजली खंभों पर अवैध तरीके से लगे होर्डिंग, पोस्टर जहां खूबसूरती बिगाड़ रहे हैं, वहीं अधिकारियों की मिलीभगत से नियमों के विपरीत स्थापित दैत्याकार यूनिपोल हर माह निगम प्रशासन को लाखों की चपत लगा रहे हैं।

अवैध होर्डिंग की भरमार

शहर में ऐसा कोई चौक-चौराहा नहीं, जहां अवैध होर्डिंग्स की भरमार न हो। सड़क किनारे, डिवाइडर और बिजली खंभों पर लगाए गए अवैध होर्डिंग, बैनर, पोस्टर और यूनिपोल लगातार हादसों का कारण बन रहे हैं। सड़कों पर सिर्फ निजी कंपनियों का ही नहीं, बल्कि राजनीतिक पार्टियों का भी अवैध तरीके से खूब प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। हद तो इस बात की है कि नगर निगम की तरफ से बनाए गए शौचालय को भी नहीं छोड़ा गया है। उन पर भी होर्डिंग टांग दिए गए हैं। बावजूद इसके निगम प्रशासन अवैध यूनिपोल, होर्डिंग को लेकर उदासीन है।

70 फीसदी में लगाना है विज्ञापन, 100 फीसदी में लगा रहे

नगर निगम अपनी आय बढ़ाने के लिए फोर और सिक्स लेन सड़कों पर विज्ञापन अधिकार बेचे हैं। शहर में सात चौराहों और सड़कों पर विशालकालय गेंट्री बनाकर विज्ञापन इत्यादि के लिए निजी एजेंसियों को अधिकृत किया गया। उन्हें 70 फीसदी हिस्से में अपने उत्पादों का प्रचार-प्रसार करना था और शेष 30 फीसदी हिस्से को मार्ग संकेतक या फिर शासकीय योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए छोडऩा। यहां एजेंसियों ने पूरी की पूरी गेंट्री यानी शत-प्रतिशत क्षेत्र में विज्ञापन लगा दिया। कम जगह खरीदकर ज्यादा में विज्ञापन लगाने से निगम को राजस्व की क्षति भी हो रही है। लोगों को उचित संकेतक नहीं मिल रहे हैं।

न पेनाल्टी, न कार्रवाई

शहर में करीब पांच साल पहले अलग-अलग जगहों पर विज्ञापन गेंट्री लगाई गई थी। प्रमुख सड़कों और चौक-चौराहों पर होने के बावजूद गेंट्री में नियम की अनदेखी की गई। निगम के अफसरों ने अब तक विज्ञापन एजेंसियों के खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं की और न ही पेनाल्टी इत्यादि ही लगाई है। इंदौर-भोपाल में संकेतकों के लिए अनिवार्य रूप से जगह छोड़ी गई है और वहां विज्ञापन एजेंसियां किसी तरह का निजी प्रचार नहीं कर रही हैं। इंदौर में 50-50 है। भोपाल में 60-40 का रेशियो है। रायपुर में 70-30 का अनुपात है लेकिन उसे भी पूरी तरह पालन नहीं किया जा रहा।

कभी भी हो सकता है हादसा

शहर में कई जगह लगाए गए यूनिपोल, होर्डिंग जानलेवा भी हो सकते हैं। यहां कभी भी हादसा हो सकता है। बीच सड़क पर होर्डिंग लगा दिए गए हैं। कभी भी यात्री उससे घायल भी सकते हैं। इन होर्डिंग को लेकर नगर निगम में शिकायतें की जा जाती हैं, मगर संज्ञान नहीं लिया जाता। जानकारों ने बताया कि नियमानुसार चौराहे से 220 मीटर की दूरी तक यूनिपोल नहीं लगाए जा सकते, मगर शहर के मुख्य चौराहों शास्त्री चौक, रेरा आफिस से लगे स्थान, आंबेडकर अस्पताल चौक, देवेंद्रनगर चौक, रेलवे स्टेशन रोड, एसआरपी चौक गांधी उद्यान, एनआइटी के सामने, तेलीबांधा तालाब मरीन ड्राइव के सामने आदि स्थानों पर साइज बढ़ाकर एड एजेंसियां यूनिपोल स्थापित कर नियमों की अनदेखी कर रही हैं। जहां नहीं लग पाए, वहां भी लगाए जा रहे हैं। सनद रहे डेढ़ साल पहले कलेक्ट्रेट गार्डन में लगाए गए एक यूनिपोल टूट कर गिर गया था, हालाकि यूनिपोल के गार्डन के अंदर गिरने से बड़ा हादसा टल गया था लेकिन दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी रहती है।

नियमों के हिसाब से कहां-कहां नहीं लग सकते विज्ञापन

  1. किसी भी हालत में राष्ट्रीय पार्क और जल निकायों पर विज्ञापन नहीं लग सकते हैं.
  2. ऐतिहासिक स्मारकों, शमशान घाट, कब्रिस्तान और खंडहर में विज्ञापन निषेध है.
  3. मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारा जैसे सभी धार्मिक स्थानों पर विज्ञापन नहीं लग सकते हैं.
  4. सामाजिक और धर्मार्थ गतिविधियों का समर्थन करने वाले होर्डिंगों को छोड़कर बड़े होर्डिंग नहीं लगाए जा सकते हैं.
  5. शहर की प्रमुख सड़कों, जहां ज्यादा ट्रैफिक होता है, वहां होर्डिंग नहीं लग सकते हैं.
  6. informal advertising रोड के किनारे नहीं लगाए जा सकते हैं.
  7. सूचनापरक विज्ञापन के पोस्टर और बोर्ड 24 घंटे से ज्यादा समय के लिए नहीं लगाए जा सकते हैं.
  8. किसी भी हालत में अवासीय इलाके में विज्ञापन स्रद्ग1द्बष्द्ग के लिए अनुमति नहीं.
  9. पेड़ या झाड़ी में नामपट का इस्तेमाल नहीं होगा.
  10. कोई भी संदेश, पोस्टर और मुद्रित उपकरण सहायक स्तम्भ, खंभा और पोस्ट पर नहीं लग सकते.
  11. कोई विज्ञापन डिवाइस ऐसी जगह नहीं लगना चाहिए जो पैदल चलने वाले को बाधा पहुंचाए. '

राजधानी के रहवासियों का कहना है कि कड़ाई से यूनीपोल की मानिटरिंग हो तथा होर्डिंग्स मानक स्तर पर ही हो। कलेक्टोरेट गार्डन में होर्डिंग से आंधी-तूफान से एक यूनी पोल गिर चुका, मगर बड़ी दुर्घटना टल गई। राजधानी में ऐसे कई स्पाट है जो दुर्घटनाकारित बन सकते हैं।

- मो. फिरोज, पर्यावरण प्रेमी

यूनीपोल मानक के अनुसार ही लगाए जा रहे हैं। टेंडर के अनुरूप ही काम हो रहा है और जिन एजेंसियों की होर्डिंग्स माप-दंड के अनुरुप नहीं है और सड़क के बीच है उसे छोटा करने कहा गया है। समय-समय पर इसकी मानिटरिंग भी की जा रही है।

-मयंक चतुर्वेदी, कमिश्नर नगर निगम रायपुर

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