छत्तीसगढ़

जनसूचना अधिकारी की दबंगई, चहेतों को बचाने लिया नियम कानून का आड़

Nilmani Pal
20 May 2022 4:26 AM GMT
जनसूचना अधिकारी की दबंगई, चहेतों को बचाने लिया नियम कानून का आड़
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  1. मंत्रियों और बड़े अधिकारियों की जी -हुजुरी कर 22 साल से डटे हुए है मालदार विभाग में
  2. सर्विस रिकार्ड में कूटरचना कर दस साल की सर्विस आगे बढ़ा ली, जिसकी जांच आज तक नहीं हुई
  3. जब पीडब्लूडी अंबिकापुर सेम केस में आदेश दे रहा है कि दस्तावेज दिखाया जाय तो अभनपुर में क्यों नहीं
  4. अधिकारियों की मिलीभगत का अंदेशा
  5. 22 वर्षो से छत्तीसगढ़ को चारागाह समझने वाले अधिकारियों की पीडब्लूडी में भरमार

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर । लोक निर्माण विभाग के जन सूचना अधिकारी द्वारा जानकारी देने में आनाकानी की जा रही है। जबकि उसी प्रकार के मामले में लोक निर्माण विभाग अंबिकापुर मंडल ने जन सूचना अधिकारी को जानकारी देने का स्पष्ट आदेश दिया है। छ.ग शासन लोक निर्माण विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की लंबी फेहरिस्त है। जो वर्षो से एक ही जगह नियुक्त होकर पदोन्नति भी पा रहे हैं। नतीजन ऊंचे पदो पर पदोन्नत हुये अधिकारियों के वैधानिक डिग्री, डिप्लोमा एवं जाति प्रमाण पत्र वैध न होकर, एवं गैर तकनीकी पाठ्यक्रम सर्वे प्रशिक्षण के प्रमाण पत्र के सहारे अपने सेवा काल में असीमित बेनामी संपत्ती के दम पर सत्ता पक्षों का बंदोबस्त कर्मी बनकर लोक निर्माण विभाग को अंदर से कमजोर बना दिये है। जो सभी शुरू से एक ही स्थान पर पदस्थापना दिनांक से सेवानिवृत्त होने के दिनांक तक जमे है। नवगठित छ,ग, राज्य में मु_ी भर भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा राज्य आबंटन के समय म.प्र. राज्य को नकारते हुए, लगातार 22 वर्षों से छ.ग. राज्य को चारागाह बना लिये है।

पूर्ववर्ती केन्द्र सरकार द्वारा सूचना का अधिकार 2005 अधिनियम को पूरे देश में लागू होने से केंद्रीय एवं राज्य सरकारो के भ्रष्ट अधिकारियों की भ्रष्ट मानसिकता का रवैया उजागर हुआ है। इस संदर्भ से जुड़ी घटना के अनुसार बिलासपुर निवासी छ.ग. मंथन के संपादक कोमल कुमार द्वारा 11 नवंबर 2021 को सूचना का अधिकार 2005 अधिनियम के तहत जन सूचना अधिकारी (कार्यपालन अभियंता लो.नि.वि. संभाग क्रमांक 3 नवा रायपुर ) के माध्यम से लो.नि.वि, अभनपुर के एस.डी.ओ. आर.एस. चौरसिया का शैक्षणिक योग्यता एवं शासन से अनुमति लेकर अर्जित की गई जमीन, मकान एवं वाहन की सत्यापित प्रतिलिपि के साथ जानकारी मांगा गया था। जिसके तहत जनसूचना अधिकारी द्वारा एक माह तक कोई भी स्पष्ट जानकारी न देकर इस प्रकरण को अपने नीजि स्वार्थ के चलते दबाने का प्रयास प्रारंभ कर दिये थे। तदोपरांत प्रथम अपीलीय अधिकारी (अधीक्षण अभियंता लो.नि.वि. मण्डल क्रमांक 01 रायपुर ) को शिकायत के उपरांत, जनसूचना अधिकारी द्वारा एस.डी.ओ. चौरसिया द्वारा में व्यक्तिगत जानकारी होने के कारण सार्वजनिक न करने हेतु लिखा गया है। इसकी जानकारी आवेदक कोमल कुमार को पत्र द्वारा दिनांक 05/01/2022 को दिया गया है। इस जवाब से असंतुष्ट होकर आवेदक श्री कोमल कुमार द्वारा प्रथम अपीलीय अधिकारी को शिकायत किया गया था। जिसके परिणामस्वरूप अपीलीय अधिकारी द्वारा 14 जनवरी 2022 एवं 05 फरवरी 2022 की सुनवाई को अपरिहार्य कारणो से स्थागित की गई थी। अपीलीय अधिकारी द्वारा पुन: 14 फरवरी 2022 को पुन: सुनवाई हुई थी। जबकि इसी प्रकार के केस में लोक निर्माण विभाग अंबिकापुर मंडल के अपीलीय अधिकारी के पत्र क्रमांक 1807 /आरटीआई /22 -23 मनेन्द्रगढ़/ दिनक 26 अप्रैल 2022 के अनुसार आवेदक को शैक्षणिक योग्यता की जानकारी देने हेतु निर्देशित किया गया था। लेकिन अभनपुर लोकनिर्माण विभाग के एसडीओ चौरसिया की शैक्षणिक योग्यता की जानकारी को निजी बताते हुए मना किया जा रहा है। एक ही विभाग में अलग अलग नियम कैसे लागू होगा। इससे जाहिर होता है कि जानबूझकर जन सूचना अधिकारी द्वारा जानकारी देने में हीलाहवाला किया जा रहा है। हालांकि आवेदक ने जनसूचना अधिकारी की मनमानी की जानकारी राज्य सूचना आयोग को भी निवेदन पत्र दवरा दिया गे है अनाम उचित कार्रवाई की मांग की है।

आवेदक कोमल कुमार ने बताया कि चाही गई जानकारी को निजी जानकारी बता कर बैरंग लौटा दिया जाता है और छद्म पारदर्शिता के साथ आवेदक को भरोसा दिलाया जाता है कि आपके आवेदन पर न्यायोचित कार्यवाही होगी किंतु इनके द्वारा लिये गये निर्णय सिर्फ पक्षपाती एवं छलावा के सिवाय और कुछ नही रहता है। किस वजह से आवेदक को एस.डी.ओ. चौरसिया का शैक्षणिक योग्यता एवं शासन से अनुमति लेकर अर्जित किये गये जमीन, मकान एवं वाहन की सत्यापित प्रतिलिपि के साथ जानकारी नही दिया जा रहा है समझ से परे है जबकि शासन एक स्पष्ट आदेश है कि सुचना के अधिकार के तहत आवेदक को जानकारी दिया जाये। लेकिन जनसूचना अधिकारी द्वारा आवेदक को राज्य सूचना आयोग के कार्यालय का पता देकर भगा दिया जाता है। इस तरह लो.नि.वि. के अपीलीय अधिकारी का अफसरशाही का बोल बाला कायम है और शासन के आदेश को ठेंगा दिखाकर मनमानीकिया जा रहा है।

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