राजधानी में राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने वाले बस मालिकों की दबंगई
सारे शहर के कोलोनियों और लिंक रोड बाईपास के आसपास बसों की अवैध पार्किंग को लेकर प्रशासन मौन
रायपुर। राजधानी रायपुर स्मार्ट सिटी बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए खून के आंसू बहा रही है। अधिकारियों ने स्मार्ट सिटी के नाम पर सैकड़ों सडक़ तो बना दिए पर लोग बाग उसमें चलने से बेदखल है, कारण ये है कि जितनी भी रिंगरोड, लिंक रोड बने है उसमें स्वयंभू बस मालिकों की जागीरी बरकरार है। बस मालिक अपने डिपो में अपनी बसों को खड़े करने के बजाय राजधानी के टाटीबंध से लेकर वीवीआईपी रोड, कमलबिहार, भाठागांव के रिहायशी कोलोनी, इंद्रावती कालोनी के लिंक रोड, सड्डूमोवा के आसपास बसों का जमावाड़ा रोज देका जा सकता है। जो सडक़ें राजधानीवासियों की सुविधा के लिए बनाई गई है उसका फायदा चुनावी चंदा देने वाले तथाकथित बस मालिकों का कब्जा है। निगम चाहकर भी उनपर कार्रवाई नहीं कर पा रही है या यूं कहे कि उनके हाथ बंदे है या फिर वो अपने हाथ चंद रुपयों में बंधवा लिए है। इंद्रावती कालोनी लिंक रोड से शंकर नगर तक खाली जगह पर बसों की पार्किंग होने से आने-जाने वालों को परेसानी का सामना करना पड़ता, वहीदेवेंद्र नगर में तो बीच सडक़ पर महाराष्ट्र डिपो की बस खड़ी रहती है। दिस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। शायद निगम वालों ने यहां बस खड़ी करने की अनुमति दी हो लेकिन रोज बस अलग-अलग जगहों पर रात में र्पोिकंग होती है। शहर के सकड़ों पर कौन पार्किंग करवा रहा है यह किसी को नहीं मालूम है, पर सडक़ों में लगातार बसों पार्किंग के रूप में इस्तेमाल करते देख सकते है।
नए बस स्टैड में पार्किंग वालों की अवैध वसूली
: निगम के अधिकारियों को अवैध वसूली की जानकारी होने के बाद भी इस पर रोक नहीं लग पा रही है। राजधानी का नया बस स्टैंड, भाठागांव अवैध वसूली का अड्डा बना हुआ है और नगर निगम के अफसर लिखित शिकायत का इंतजार कर रहे हैं। वही बस स्टैंड में किसी परिचित को लेने जाओ या छोडऩे जाओ, चाहे एक मिनट रुको या 2 घंटे, पार्किंग वाले नियमों को ताक पर रखकर लोगों से पूरे दिन के हिसाब से पार्किंग शु्ल्क वसूल रहे हैं।
विरोध करने पर गुंडागर्दी
यदि कोई सडक़ में बड़ी अवैध पार्किंग वाली बस के संबंध में शिकायत करने पर बस मालिक के गुंडे विरोध करने वालों को धमकी चमकी देते है और गुंडागर्दी पर उतर आते हैं।
शिकायत सुनने वाला कोई नहीं
अंतर्राज्यीय बस स्टैंड में तो दूसरे शहरों बस आते हैं। जो कुछ समय बाद सवारी लेकर चले जाते है। उनसे भी बसस्टैंड वाले गिरोह शुल्क लेते है। निगम को जो तय शुल्क है उसे तो देना ही पड़ता है, ऊपर से वहां गिरोह वालों को नजराना भी देना पड़ता है। ऐसी घटनाएं नया बस स्टौंड में होते रहती है। दूसरे राज्यों के बस वाले अवैध शिकायत भी नहीं कर पाते। न ही बस स्टैंड में शिकायत के लिए कोई हेल्पलाइन नंबर लगा है। इसलिए बसों की समस्या जिम्मेदारों तक नहीं पहुंच पाती है और न इन पर कुछ कार्रवाई हो पाती है।
रहवासियों की शिकायत पर निगम के अधिकारियों का रूख उपेक्षापूर्ण