रायपुर (जसेरि)। ये हैं रायपुर में रहनेवाली दामिनी सेन और उनके भाई हरिशंकर. राखी के पर्व की पूजा की थाल सज कर रखी है इनके सामने. दीया जलाने से लेकर राखी बांधने तक के सारे विधान दामिनी खुद अपने अनोखे अंदाज से करती हैं. आइए इनके इस पर्व में हम भी शामिल हों. पढ़ाई-लिखाई के साथ अपने सारे काम दामिनी पैरों से ही करती हैं. माचिस की तीली जलाना और उस जलती तीली को हवा से बचाना और दीये की बाती तक उसकी लौ ले जाना, हैं तो बेहद सामान्य काम. पर अगर यह काम पैरों से करना पड़े तो? जाहिर है यह साधना कठिन है।
हरिशंकर और दामिनी के बीच और भाई-बहनों की ही तरह प्यार और तकरार चलती रहती है. कभी-कभी एक दूसरे पर गुस्सा भी होते हैं ये दोनों. लेकिन ये तकरार कुछ ही देर में दुलार में बदल जाता है. राखी जैसे पावन मौके पर आरती उतारने तक का विधान खुद से पूरा करती हैं दामिनी. भाई के भाल पर टीका लगाना हो या बांधनी हो कलाई पर राखी. आरती उतारने का काम भी यह खुद करती हैं. आरती की थाल अपने दोनों पांवों से पकड़ पूरे विधान के साथ जब ये अपने भाई की आरती उतारती हैं तो देख कर मन प्रफुल्लित हो जाता है।
भाई हरिशंकर के मुताबिक, उन्हें खुशी होती है कि दामिनी अपने हाथों से नहीं, बल्कि पैरों से राखी बांधती है. हांलाकि उसे इस बात का भी दुख है कि बहन के हाथ नहीं हैं. लेकिन दामिनी के कदम को ही हरिशंकर अपने लिए शुभ मानते हैं. आप देख सकते हैं भाई-बहन के चेहर पर अगाध स्नेह और संतोष. दामिनी और हरिशंकर को रक्षाबंधन का ये त्यौहार ये अहसास कराता है कि वे दोनों हमेशा एक-दूसरे के सुख-दुख में साथ खड़े हैं और रहेंगे. हम भी कामना करेंगे कि यह आत्मनिर्भर होते हुए भी एक-दूसरे का सहारा बनें।