रायपुर। राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ जी महाराज ने कहा कि अगर हमारा फैसला है कि मैं हर हाल में खुश रहूँगा तो दुनिया की कोई ताकत हमें नाखुश नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि आनंद हमारा स्वभाव है इसलिए खाने को मिल जाए तो खाने का आनंद लें और न मिले तो उपवास का आनंद लें, चलें तो यात्रा आनंद लें और बैठें तो आनंद की यात्रा करें। शादी हो जाए तो संसार का आनंद लें और न हो तो शील का आनंद लें। व्यक्ति को हर परिस्थिति का आनंद लेने की कला सीख लेनी चाहिए। जो अपने आपको किसी भी हालत में प्रभावित होने नहीं देता वह सदा खुश रहता है।
संत प्रवर बुधवार को श्री श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ द्वारा विवेकानंद नगर स्थित जैन मंदिर के विशाल प्रांगण में आयोजित तीन दिवसीय प्रवचन माला के समापन पर श्रद्धालु भाई बहनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि घर-परिवार के लोग तो जैसे हैं वैसे ही रहेंगे, इसलिए उनके सुधारने की भूल न करें। पूरी दुनिया को सुधारने का ठेका न तो भगवान का है न हमारा, पर अगर हमने खुद को सुधार लिया तो सदा खुश रहने में सफल हो जाएंगे।
खुश रहने का पहला मंत्र देते हुए संतश्री ने कहा कि दुनिया में जो मिला है, जैसा मिला है, उसका स्वागत करना सीखें। अगर बेटा कहना माने तो ठीक और न कहना मानें तो सोचें कि रोज-रोज कहने की झंझट समाप्त हो गई। हमें कहीं सम्मान मिलने वाला, पर उसके बदले अपमान मिल जाए तो उसे सहजता से स्वीकार कर लें। भगवान ने हमें हमारे भाग्य से ज्यादा दिया है इसलिए रोना रोने की बजाय हर हाल में संतुष्ट रहें और जो मिला है उसके लिए भगवान को शुक राना अदा करें। उन्होंने कहा कि भगवान से दो लोग माँगते हैं जो मंदिर के बाहर मांगते है वे गरीब भिखारी हैं, पर जो मंदिर के अंदर मांगते हैं वे अमीर भिखारी हैं। इसलिए व्यक्ति अमीर बने, पर असंतुष्ट अमीर नहीं, नहीं तो हम सदा भिखारी बनें रहेंगे।
इस अवसर पर मुनि शांतिप्रिय सागर जी ने कहा कि हमेशा मुस्कुराते हुए जिएँ। मुस्कुराता हुआ चेहरा दुनिया का सबसे खूबसूरत चेहरा होता है। काला व्यक्ति भी जब मुस्कुराता है तो बहुत सुंदर लगता है, और गौरा अगर मुँह लटकाकर बैठ जाए तो बहुत भद्दा दिखने लग जाता है। इसलिए हर दिन की शुरूआत मुस्कुराते हुए करें। हमारे जेब में भले ही न हो मोबाइल पर चेहरे पर सदा रहे स्माइल। उदाहरण से सीख देते हुए संतप्रवर ने कहा कि जब हम फोटोग्राफर के सामने पांच सैकंड मुस्कुराते हैं तो हमारा फोटो सुंदर आता है और हम अगर हर पल मुस्कुराएंगे तो सोचो हमारी जिंदगी कितनी सुंदर बन जाएगी।
कार्यक्रम के दौरान साध्वी श्री मनोरंजना श्रीजी महाराज साहब ने भी श्रद्धालु भाई बहनों को धर्म का परिणाम आनंद बताते हुए धर्म लाभ प्रदान किया।
धर्मसभा के आरंभ में दीप प्रज्ज्वलन
अशोक पगारिया, निलेश बोथरा, तिलोकचंद बरड़िया, मोहनलाल भंसाली व अशोक पटवा के हाथों किया गया। स्वागत गीत की मधुर प्रस्तुति दी जागृति बहु मंडल ने दी। वहीं समस्त श्रद्धालुओं को ज्ञानपुष्प वितरण के लाभार्थी परिवार रहे सूरज देवी गुलाबचंद मुणोत।
दीक्षार्थी मुस्कान व मनीषा का हुआ बहुमान
इस प्रसंग पर राष्ट्रसंतों की पावन निश्रा में मुमुक्षु (दीक्षार्थी) मुस्कान बाघमार व सांकरा-नगरी वासी मुमुक्षु मनीषाजी का श्रीजैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ एवं चातुर्मास समिति स्थानीय जैन समाज विवेकानंद नगर द्वारा अभिनंदन पत्र भेंट कर बहुमान किया गया। इन दोनों ही मुमुक्षुओं की दीक्षा 28 नवंबर को रायपुर में होगी। मुमुक्षु मनीषाजी, श्रीमती कीर्ति व मिथिलेशजी की सुपुत्री हैं। वहीं मुमुक्षु मुस्कान बाघमार, श्रीमती अलका व संतोष बाघमार की सुपुत्री हैं।
शाश्वत नवपदजी की ओली की आराधना 1 अक्टूबर से
श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं श्रीदिव्य चातुर्मास समिति के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रसंत श्रीललितप्रभ सागरजी एवं डॉ. मुनिश्री शांतिप्रिय सागरजी के पावन सानिध्य में महामंगलकारी शाश्वत श्रीनवपद ओली की आराधना 1 अक्टूबर से 9 अक्टूबर तक एमजी रोड स्थित श्रीजिनकुशल सूरी दादाबाड़ी में होगी। राष्ट्रसंत 1 से 10 अक्टूबर तक दादाबाड़ी में विराजित रहेंगे, प्रतिदिन प्रवचन प्रात: 9 से 10.15 बजे तक, प्रतिदिन नवपद की ओली की क्रिया विधि प्रात: 10.30 से 11.30 बजे तक, आयंबिल प्रात: 11.45 बजे से की जाएगी। तपस्वियों का पारणा 10 अक्टूबर को प्रात: 8 बजे से कराया जाएगा। नवपदजी की ओली की आराधना व अनुष्ठान के लाभार्थी हैं- श्रीमती संपतबाई मोतीलाल संतोषचंद रंजना देवी दुग्गड़ परिवार धमतरी-रायपुर।