छत्तीसगढ़

जेनेरिक मेडिकल स्टोर में भी बेच रहे ब्रांडेड दवा...

Nilmani Pal
2 Nov 2022 5:43 AM GMT
जेनेरिक मेडिकल स्टोर में भी बेच रहे ब्रांडेड दवा...
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सस्ती दवाइयों के नाम पर मरीजों के दे रहे नया फार्मूला

मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के निर्देशों का नहीं पो रहा पालन

जेनेरिक और ब्रांडेड दवा को लेकर दुकानों में घमासान जारी

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गरीबों को सस्ती दवाई मिले ये सोच कर ज्यादा से ज्यादा जेनेरिक मेडिकल स्टोर खोलने का आदेश दिए थे लेकिन जेनेरिक मेडिकल वाले जेनेरिक दवाओं के अलावा दूसरी दवाई भी रखना चालू कर दिए हैं। दुकान तो कहने को जेनेरिक मेडिकल स्टोर्स है लेकिन वहां जेनेरिक दवाइयां मिलती ही नहीं। मसलन किसी शुगर के मरीज को एक टेबलेट शुगर की चाहिए तो जेनेरिक मेडिकल वाले दो टेबलेट फार्मूला के हिसाब से लेने बोलते हैं। शासन की मंशा रही है कि जेनेरिक दवाओं के जरिये प्रदेश की जनता को कम रेट में दवाइयां उपलब्ध हो, लेकिन जेनेरिक दवाई के स्टोर में दूसरे प्रोडक्ट भी रख रहे है । जबकि वे सिर्फ जेनेरिक दवाओं के अलावा दूसरी प्रोडक्ट नहीं रख सकते। मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री आए दिन जेनेरिक दवाएं लिखने के निर्देश दे रहे हैं और इधर अस्पतालों में ब्रांडेड दवा की दुकान को लेकर घमासान जारी है। जेनेरिक मेडिकल स्टोर्स में नाम के लिए दुकान खोल लिए हैं बल्कि वे जनरल स्टोर्स की तरह सामान बेचा रहे और मुनाफा कमा रहे हैं। उन्हें दुकान शासन ने गरीबों को सस्ती दवाई उपलब्ध करने के लिए दिया है जबकि वे मोती कमाई के चक्कर में अन्य सामान भी बेचने लगे हैं जो एक प्रकार से गैरकानूनी है। शासन को तत्काल इसकी जांच करना चाहिए और जो लोग सरकार को बदनाम करने की नियत से ऐसा कर रहे है उनकी दुकाने निरस्त कर देनी चाहिए।

मेकाहारा में रोजाना सैकड़ों मरीजों कि ओपीडी होती है। यहां आने वाले मरीजों को बेस और अन्य सरकारी अस्पताल की तरह नि:शुल्क दवाएं नहीं मिलतीं। उन्हें मजबूरी में अस्पताल के भीतर बने मेडिकल स्टोर से ज्यादा कीमत पर दवा खरीदनी पड़ती है। अस्पताल के भीतर ही बने छोटे से जेनेरिक मेडिकल स्टोर से मरीज जेनेरिक दवा (सस्ती/नॉन ब्रांडेड) खरीदना भी चाहें तो भी उन्हें मिल नहीं पातीं। इसकी वजह जेनेरिक वाले के यहां डॉक्टरों द्वारा लिखी हू-ब-हू दवा उपलब्ध नहीं होती। उधर, अस्पताल प्रशासन ने सभी डॉक्टरों को लिखित आदेश जारी किए हैं कि वे केवल जेनेरिक दवा ही लिखें। बाकायदा पर्ची में एसटीएच प्रशासन की तरफ से मोहर लगी होती है, जिस पर लिखा होता है कि जेनेरिक दवा ही लिखें। ऐसे में जहां सरकार को मेकाहारा में जेनेरिक दवा का बड़ा स्टोर खुलवाना चाहिए।

क्या है जेनेरिक दवाइयां

चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार दवाइयां दो प्रकार की होती हैं जेनेरिक व एथिकल ब्रांडेड। दवा बनाने वाली सभी कंपनियां दोनों प्रकार की दवा बनाती हैं। दोनों की गुणवत्ता समान होती है। इन्हें बनाने के तरीके में भी कोई फर्क नहीं है। जेनेरिक दवाइयों की मार्केटिंग और ब्रांडिंग पर कंपनियां पैसे खर्च नहीं करती हैं। इन्हें कंपनियां अपनी लागत मूल्य के बाद मामूली मुनाफा लेकर आगे बिक्री कर देती हैं। इसके इतर एथिकल ब्रांडेड दवाओं के लिए कंपनियां जमकर मार्केटिंग करती हैं।

प्रदेश में जेनेरिक दवाओं का स्टोर

किसे मिले और वहां किस तरह की दवाएं उपलब्ध होंगी, यह पॉलिसी मैटर है। वैसे मेकाहारा और अन्य सरकारी अस्पतालों में जिस तरह से भर्ती मरीजों को नि:शुल्क दवा मिलती है, वैसे ही ओपीडी के मरीजों को सभी प्रमुख दवा भीतर से नि:शुल्क मिलतीं तो मरीजों को काफी राहत मिलती। क्योंकि देखा ये जा रहा है कि अधिकतर डाक्टर जेनेरिक दवाई लिख ही नहीं रहे हैं। जबकि उन्हें शासन का स्पष्ट आदेश है की अधिक से अधिक जेनेरिक दवाई ही लिखना है। ताकि गांव और शहर के गरीब मरीजों को सस्ती दवाई मिल सके।

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