Government से मुहर लगवाकर सरकारी धर्मात्मा बनने की दौड़ में सटोरिए सबसे आगे
सरकार की आंखों में धूल झोंकने के लिए प्री-प्लानिंग धर्म के रास्ते को चुना
सरकार और पुलिस की नजरों में विश्वसनीय बनने के लिए रचा जा रहा प्रपंच
सटोरियों की नजर में सरकारी जमीन पर कब्जा कराना कथा का मुख्य कारण
रायपुर Raipur। लगता कथा वाचक पंडित जी ने सच ही कहा है कि कलयुग Kaliyug में शिव युग आ गया है। सारे काले कारनामे करने वालों की धर्म के प्रति ऐसी श्रद्धा उमड़ी है कि प्रदेश में हर महीने दो-चार कथा का आयोजन कर काली कमाई को सफेद कर रहे हैं। सरकार और पुलिस से अपने धंधे के साथ माथे पर धर्मात्मा होने की मुहर लगाने की होड़ मची हुई है। बड़े -बड़े सटोरियों की दौड़ चल रही है कि कौन सबसे पहले कथा करवा कर सबसे बड़ा धर्मात्मा बनता है। छत्तीसगढ़ मां कौशल्या की नगरी और भगवान राम के ननिहाल में धर्म तो पहले से ही जीवन का हिस्सा रहा है फिर उस पर अब आडम्बर क्यों?
सटोरियों की चाल
chhattisgarh news सटोरियों की नजर में सरकारी जमीन पर कब्जा की कथा का मुख्य कारण है। जमीन- रेत सट्टा में काली कमाई करने वाले गिरोह ने कमाई का एक औ्र नया जरिया ढूंढ लिया है। पांच-दिन सात दिन का कथा कराने के लिए कलेक्टर के पास आवेदन लगाते है कि कहां पर आयोजन हो सकता है। सरकारी जमीन को कथा के लिए चिन्हाकिंत कर उस भूमि पर सरकारी हिस्सा और पंचायती हिस्सा की पटवारी से जानकारी निकाल कर उस जमीन पर कथा कराने के बाद आयोजक कब्जा कर लेता है और कुछ दिनों बाद उस पर घेराबंदी कर प्लांटिग करने लगता है। क्योंकि जब से महादेव सट्टा चालू हुआ है तब से कारोबारी और छुटभैया राजनेता महादेव सट्टा में अनाप-शनाप धन कमाया और उस धन को जमीन पर इनवेस्ट कर बड़े बड़े कालोनी निर्माण कर खटाखट करोड़ों रुपए की कमाई की । अब ये तथा कथित सटोरिए शहर सहित प्रदेश के धर्मात्मा बन गए है। ताकि सरकार और पुलिस को उनके असली काम का पता ही नहीं चले।
छत्तीसगढ़ में इन दिनों बड़े बड़े प्रवचनकर्ताओं की बाढ़ सी आ गई है। जिसे देखो दो नंबर की कमाई को एक नंबर करने और राजनेताओं सहित पुलिस से नजदीकी बढऩे ऐसे आयोजनों का सहारा लेने लग गए हैं। मजे की बात है की प्रवचनकर्ता खुद इनके बैकग्राउंड को जाने बगैर इनकी चिकनी चुपड़ी बातों में आकर उनके बुलावे पर आ जाते हैं। उनको हर हाल में आयोजनकर्ताओं के बारे में मालूम करके ही निमंत्रण स्वीकार करना चाहिए। पिछले दिनों एक सप्ताह तक अमलेश्वर में हुए सत्संग के बारे में बताया जाता है की आयोजक खुद भूमाफिया और सट्टे के बड़े खाईवाल बताये जाते हैं। जो सट्टे के द्वारा उगाहे गए अथाह दो नंबर के पैसे को एक नंबर करने में साधु संतों का सहारा लिए हैं। सटोरिये तो चाहते ही हैं कि किसी भी प्रकार से उनके दो नंबर का पैसा एक नंबर में आ जाये जिसके लिए वे जनता के साथ तो धोखाधड़ी कर ही रहे हैं संतो को भी बदनाम करने में पीछे नहीं हो रहे हैं।पाप धोने का बढिय़ा साधन भी ऐसे आयोजनों को मानकर चल रहे हैं। गौरतलब है कि दुर्ग जिले में पिछले एक सप्ताह जनता ने प्रवचन का रसास्वादन किया और सूत्र यह भी बता रहे हैं की प्रवचन के दौरान लगभग छह लोगों की मौत लू लगने से हुई है ,जिसका जनता से रिश्ता पुष्टि नहीं करता ये जानना प्रशासन का काम है और कार्रवाई करना भी उनका काम है। गुढिय़ारी सहित अन्य जगहों में जहाँ भी ऐसे आयोजन हुआ है सबके आयोजक भूमाफिया ही रहे हैं। जबकि संतो से अपने प्रवचन में साफ कहा है की किसी भी आदमी का दिल नहीं दुखाना है आपस में परस्पर भाईचारे के साथ रहना है लेकिन आयोजक उनके वाणी के विरुद्ध ही काम करते पाए जाते हैं। संतो को ऐसे आयोजकों के द्वारा कराये जा रहे सत्संग में आना ही नहीं चाहिए। और प्रशासन को भी सटोरियों, भूमाफियाओं तथा नशे के सौदागरों द्वारा कराये जा रहे आयोजनों की अनुमति नहीं देना चाहिए।
नया और अच्छा काम ढूंढा सटोरियों ने
पूर्व में जितने में कथा आयोजक रहे है वो सभी सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले बिल्डर है या फिर सट्टा खिलाने वाले है जिनका सीधा संबंध सौरभ से रहा है। सट्टे की कमाई में अंकुश लगते ही सटोरियों की मंडली ने एक तरकीब निकाल लिया कि किसी कथा वाचक की कथा आयोजित कर दिया जाए। प्रदश में इस समय सटोरियों में प्रतिस्पर्धा चल रही है कौन बड़े से बड़े पंडि़त का कथा करवा सकता है।
सीएम और नेताओं को ऐसे जगहों पर जाने के पहले जानकारी लेना चाहिए
सारे सटोरियों ने प्लानिंग के तहत सरकार और पुलिस को चमका देने के नया खेल शुरू कर दिया है कथा कराओ पुलिस और नेताओं का संरक्षण पाओ। कल के सटोरिये, जमीन दलाल आज बड़े धार्मिक आयोजन कर पुलिस और नेताओं के नजदीकी हासिल करना चाहते है। यहां देखा गया है कि लोग जमकर सट्टा, गांजा, भांग, और अन्य आपराधिक कार्य में लिप्त रहते हैं और घड़ा भर जाने के बाद वे पुलिस से नजदीकी बढऩ़े प्रवचन का सहारा लेने लग गए हैं।
सीएम और नेताओं देना चाहिए ताकि कार्यक्रम के आयोजक की कुंडली जानने के बाद विचार करना चाहिए कि कार्यक्रम में शामिल होना है या नहीं।
भूमाफिया, सटोरिया और नशे के सौदागर सीएम और अन्य नेताओं के साथ फोटो खिंचवाकर प्रशासन से नजदीकी हासिल करना चाहते हैं ताकि उनका गैरकानूनी काम अबाध गति से और बेरोकटोक चलता रहे। ऐसे लोग सरकार को बदनाम करने में भी पिछे नहीं रहते।
इसके पहले भी रायपुर में आयोजित एमपी के एक बड़े संत की कथा के आयोजक सटोरिए और भू-माफिया ही थे
कथा की तथाकथा जाम में फंसे लोग आयोजकों को कोसते रहे
अमलेश्वर में कथा के दौरान रायपुरा की ओर जाने वाले लोगों एक सप्ताह तक काफी परेशानियों का सानृमना करना पड़ा था. साथ ही भरी दोपहरी में लू से कई लोगों के जान जाने की खबर है। अंतिम दिन की संख्या अन्य दिनों से अधिक होने से पंड़ाल भी छोटे पड़ गए। साढ़े दस बजे कथा समाप्त होन के बाद श्रद्धालुओं पर जाम का कहर टूट पड़ा। लोग कथा सुनने के बाद अपने घर वापसी के लिए 3 घंटे तक जाम में फंसे रहे । महादेव घाट के पुल पर वाहनों की भीड़ से दोनों तरफ जाम लगा रहा। अमलेश्वर थाने तक जाम लगा रहा, वहीं रायपुरा तक जाम लगा रहा है। लोगों को भारी भीड़ और सूर्य देव के प्रचंड प्रकोप के शिकार होते रहे, जाम में फंसे लोग पानी के लिए तरसते रहे। खबर है कि लोग पानी के लिए इधर-उधर भटकते रहे। पानी नहीं मिलने के कारण कई बुजुर्ग बेहोश हो गए उन्हें जैसे तैसे महादेव घाट पुल से रायपुरा तक लाया गया। एबुलेंस तक की व्यवस्था नहीं थी, उपर से महादेव घाट
जाने वाले मार्ग को वन-वे कर दिए जाने से कोई भी वाहन जाने नहीं दिया गया। कथा सुनने आए लोगों ने इस अव्यवस्था के लिए आयोजकों को कोसते -कोसते आगे खिसकते रहे। कोई भी मददगार नहीं मिला जो असहाय और पीडि़त लोगों की मदद कर सके। उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया। लोगों ने इसकी शिकायत वहां पुलिस वालों से भी की जाम से कई लोग बेहोश हो रहे है कोई तत्कालीक सुविधा उपलब्ध कराए ताकि उनको अस्पताल पहुंचाया जा सके। लेकिन किसी ने भी नहीं सुनी बड़े पोस्टरों में फोटो के साथ जो मोबाइल नंबर लिखे थे उस पर सहायता की कोशिक की गई लेकिन कोई जवाब ही नहीं मिला। बड़े फोटो वाले पोस्टरों के धर्मात्माओं को लोग जब तक उस जाम से निकल नहीं गए तब तक कोसते रहे। अपनी वाहवाही के लिए लोगों की जिंदगी से खिलावाड़ करनेे वालों आयोजकों को प्रशासन कभी भी कथा कराने का परमिशन नहीं देना चाहिए । जो अपनी नेता गिरी के चक्कर में लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते है ऐसे कथा कथित धर्मात्मा बनने का दिखावा करने वालों को तो कभी भी कथा की अनुमति नहीं देनी चाहिए।