- सट्टा-गली मोहल्ले से ठीहा बदलकर पहुंचा कालेज केम्पस
- सटोरिये डान रवि और उसकी गैंग की गुर्गे राजधानी के हर गली-मोहल्लों में अपना सट्टा, जुआ, गांजा और नशीली पदार्थ बेचने का जाल बेखौफ होकर फैलाता जा रहा है। राज्य के गृहमंत्री तथा डीजी छत्तीसगढ़ पुलिस के संज्ञान में आने के पश्चात भी रवि डान की गैंग का खात्मा पुलिस नहीं करती है। यह एक आश्चर्यजनक सत्य है। इस राज्य के राजधानी के प्रमुख छत्तीसगढ़ कालेज के सामने वाली सड़क को अभी तक दो थानों के क्षेत्र के विवाद में फंसाया गया है। इसकी आड़ लेकर दोनों क्षेत्र के पुलिस यह कहते थकते नहीं कि यह हमारा क्षेत्र नहीं
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। प्रदेशभर में हाईटेक सट्टे का कारोबार चल रहा है जिसका खुलासा करते हुए दुर्ग पुलिस ने कॉलेज के 3 छात्रों को गिरफ्तार किया है। मामले में जानकारी देते हुए बताया कि मुखबिर से सूचना मिली थी, कि स्मृति नगर क्षेत्र के साकेत नगर में एक किराए का कमरा लेकर क्रिकेट सट्टा खिलाया जा रहा है। क्रिकेट सटोरियों पर दुर्ग पुलिस ने कार्यवाही करते हुए इस मामले में कॉलेज के 3 छात्रों को पकड़ा है। रोजाना पुलिस बड़े खाईवालों के अलावा उनके गुर्गों को ही गिरफ्तार कर अपनी पीठ थपथपा लेते है। वही छत्तीसगढ़ पुलिस बाहरी बुकियों को गिरफ्तार कर रही है लेकिन शहर भर में सालों से जमे स्थाई सटोरियों को गिरफ्तार नहीं कर रही है। राजधानी की हर गली में हाईटेक सट्टा कारोबार चलने लगा है पहले भी रायपुर में पुलिस ने एक होटल में दबिश देकर हाईटेक सट्टे का खुलासा किया था।
हाईटेक सट्टे का हुआ खुलासा : दुर्ग पुलिस ने सटोरियों पर कार्रवाई करते हुये हाईटेक तरीके से चल रहे क्रिकेट सटटे का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने तीन युवकों के पास से साढ़े आठ लाख से ज्यादा की सट्टा-पट्टी भी बरामद की है। पकड़े गये तीनों युवक रूंगटा कॉलेज के छात्र बताए जा रहे है। दरअसल 1 अगस्त को दुर्ग पुलिस को सूचना मिली थी कि, स्मृति नगर क्षेत्र के एक मकान में हाईटेक तरीके से क्रिकेट सट्टा खिलाया जा रहा है। मुखबिर से मिली सूचना के बाद एसपी प्रशांत अग्रवाल के निर्देश पर एडिशनल एसपी संजय ध्रुव के नेतत्व में पुलिस की टीम ने स्मिृति नगर मकान में छापामार कार्रवाई करते हुये तीन युवकों को पकड़ा गया। तीनों युवकों के कब्जे से लैपटाप, दो रजिस्टर, चार नग मोबाइल, जिओ वाईफाई सहित पेटीएम एप पर किये गये लाखो के लेनदेन की जानकारी मिली है।
स्थाई सटोरियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं : रायपुर में पुलिस रोजाना सट्टेबाजों के एजेंटों और उनके गुर्गों को गिरफ्तार कर रही है बावजूद सट्टे का कारोबार चल रहा है क्योंकि सट्टे के बड़े खाईवालों के गुर्गे उनका कारोबार चलाते है, पुलिस मुखबिरों की सूचना के आधार पर ही कार्रवाई करती है और बड़े-बड़े होटलों में दबिश देकर बुकियों को गिरफ्तार कर रही है लेकिन पुलिस शहर के अंदर सालों से जमे हुए स्थाई सट्टेबाजों को गिरफ्तार नहीं करती।
तकनीक के चलते सट्टा हुआ हाईटेक
तकनीक ने मैदान के अंदर ही नहीं बल्कि मैदान के बाहर होने वाले खेल को भी बदल दिया है। अलग-अलग मोबाइल ऐप्स ने सटोरियों को एक ऐसी जगह उपलब्ध करा दी है, जहां ना उन्हें अपनी पहचान जाहिर होने का डर है और ना पुलिस का खौफ। परंपरागत सट्टे के सिंगल शॉट, जोड़ी या फिर मटका अब तमाम वेबसाइट और ऐप पर खुलेआम खेला जा रहा है। ऐसे में जड़ तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। तकनीक के दौर में अब सट्टेबाज और सट्टे का कारोबार भी हाई-टेक हो गया है। अब मोबाइल ऐप के जरिेए सट्टे का कारोबार चल रहा है। इसके अलावा ई-वॉलेट के जरिए पैसे का लेन-देन हो रहा है।
आरोपियों ने पूछताछ में किया खुलासा
आरोपियों ने पुलिस पूछताछ किया जिसमें सबने बताया कि, टेलीग्राम एप के माध्यम से 14 हजार लोगों को जोड़कर उन्हें क्रिकेट सट्टे के लिए आईडी मुहैया कराई जाती थी। ये पूरा खेल एक किराए के मकान में ऑनलाइन ही चलाया जा रहा था। साथ ही पैसों के लेनदेन भी पेटीएम सहित अन्य ऑनलाइन एप के माध्यम से किये जा रहे थे। पकड़े गये युवकों में अश्विनी कुमार पांडे 24 वर्ष सिवान बिहार, तेजस पांडे 23 वर्ष साकेत नगर कोरबा, अतुल पटेल ग्राम काशीडीह जांजगीर चांपा का रहने वाला है। गिरफ्तार तीनों युवक दुर्ग के रूंगटा कॉलेज के स्टूडेंट भी है।
हाईटेक हुआ सट्टा, होटलों पर बुकियों की नजऱ
क्रिकेट सट्टेबाजी का अब नया ट्रेंड शुरू हो गया है। पहले जहां क्रिकेट सट्टा फोन पर व जाकर किया जाता था। वहीं अब सट्टे का कारोबार चलती कार में बड़े होटलों में ऑनलाइन एप के माध्यम से होने लग गया है। हाईटेक जमाने में सट्टे के तौर तरीकों में भी नई तकनीक का ईजाद हुआ है। कागज और पेन की जगह अब सट्टा लगाने के लिए मोबाइल का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है। अभी तक तो इसके लती लोग दोपहर से देर शाम तक पर्चियों पर नंबर लिखकर मय रुपयों के एजेंटों के माध्यम से सट्टेवालों के पास पहुंचाते थे। सुबह सट्टेवाला एवं एजेंट ड्रा नंबर का प्रसार सब्जियों व फलों के भाव के रूप में क्षेत्र में करते थे। लकी विजेता एजेंटों पर्चियों में से अपना नंबर खोज कर पेमेंट लेते थे। पर्ची की आड़ में कभी-कभी लोग पुलिस का शिकार जाते थे लेकिन अब ये तरीका पुराना हो गया है। पुलिस की सख्ती के चलते सट्टेबाजों ने अब बाजारों में पर्चियां लेकर घूमते हुए नहीं बल्कि घरों मे, चलती कार में, होटलों में ही बैठकर मोबाइल से नंबर लिखने का काम शुरू कर दिया है। हाईटेक्नीक के चलते बिना सबूत इस धंधे को बंद करना अब पुलिस के लिये चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।