छत्तीसगढ़

राशन में डंडी, चने की कालाबाजारी

Nilmani Pal
3 Aug 2022 6:02 AM GMT
राशन में डंडी, चने की कालाबाजारी
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  1. राशन दुकानों में हितग्राहियों से लूट, सरकारी योजनाओं में बंदरबांट
  2. सरकारी राशन दुकान में अनाज माफिया का कब्जा, खुलेआम तस्करी को दे रहे अंजाम
  3. उपभोक्ताओं के राशन में डाका डालने वाले दुकानदार बन गए धन्नासेठ
  4. सरकारी राशन का कालाबाजारी में विभाग नहीं लगा पाया अंकुश
  5. गरीबी रेखा और सामान्य वाले कार्ड में मिलने वाले राशन में धोखाधड़ी
  6. सरकारी राशन दुकानों में अनाज का नाप तौल भगवान भरोसे
  7. राशन दुकानों की तराजू का न नापतौल विभाग कर रहा न ही खाद्य विभाग

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। सरकारी की खाद्य वितरण प्रणाली के अंतर्गत राशन वितरण करने वाले खुलेआम नियम कायदे की धज्जियां उड़ा रहे है। मानक का तो रासन दुकान में कोई माई-बाप नहीं है। अतिगरीबी रेखा कार्ड और गरीबी रेखा वाले नीले कार्ड में मिलने वाले राशन में खुलेआम डंडी मार का खेल चल रहा है। उपभोक्ता यदि राशन कम देमने पर आपत्ति दर्ज कराता है तो उसके साथ दुकानदार और उसके गुर्गे हाथापाई में उतर जाते है।सरकारी पीडीएस राशन दुकान पर राशन माफिया का पूरी तरह कब्जा है। सरकार किसी भी पार्टी की हो राशन माफिया छुटभैया नेताओं के कंधे में बैठ राजनीतिक रसूख और पहुंच बनाने में सफल रहे है। सरकारी राशन का बंदरबांट के मामले में सैकड़ों कार्रवाई से यह उजागर हो चुका है कि सरकारी राशन बाजार में धड़ल्ले से बिक रहा है। इस पर कोई भी सरकार राशन दुकानों के अनाज की कालाबाजारी नहीं रोक पाया है।

अनामक तराजू का इस्तेमाल

प्रदेश के सरकारी राशन दुकानों में डंडीमार अमानक तराजू का उपयोग खुलेआम होता है। उपभोक्ता तो मिलने वाले 45 किलो चावल में 42 किलो ही उपभोक्ता के हाथ लगता है। तराजू में भले ही कांटा 45 किलो बचाए लेेकिन उसे इश तरह से सेटिंग किया जाता है है कि उपभोक्ताओं के आंकों के सामने 45 किलो ही राशन बताता है और उसे बाहर दुकानों में तौल कराई जाती है तो 42 किलो ही वजन सामने आता है। इस तरह एक दुकान में एक हजार या 12 सौ उपभोक्ताओंं से हर कार्ड पीछे दो से तीन किलो की धांधली आम बात हो गई है।

मिलावटी राशन की सबसे ज्यादा शिकायत

राशन दुकानों में मिलने वाले राशन में सबसे ज्यादा शिकायत कंकडय़ुक्त सामग्री की है। जिसमें राशन दुकानदार जैसे ही दुकान में राशन पहुंचता है अंदर गोदाम को बंद कर मिलावट कर दूसरे दिन राशन की सप्लाई करता है। जब खाद्य निगम से राशन दुकान में पहुंचता है वैसे है ही उपभोक्ताओं को वितरण करना चाहिए । ऐसा न कर दुकानदार सामग्री मिलान के नाम पर दूसरे दिन खाद्य सामग्री का वितरण करता है। इस एक दिन के अंतराल में सारी बोरियों को खोलकर उसमें मिलावट कर दूसरे दिन राशन बांटा जाता है।

मिट्टी तेल-दाल में भी लूट

राशन दुकानदारों की दादागिरी का सबूत इसी बात से मिलता है कि 15 से 30 तारीख के बीच मिट्टी-तेल, दाल, नमक का वितरण किया जाना है, लेकिन उपभोक्ता रोजी-मजूरी छोड़कर राशन दुकानों में दाल, मिट्टी तेल के लिए चक्कर काटते रहते है। राशन मिले या न मिले उभोक्ताओं को तसल्ली के लिए एक पैकेट नमक देकर चलता कर दिया जाता है। सरकारी दाल और मिट्टी तेल खुले बाजार में धड़ल्ले से बेच कर उपभोक्ताओं को यह कह कर भगा दिया जाता है कि फलां तारीख को मिट्टी तेल और दाल बांट दिया गया अब नहीं मिलेगा। इस तरह खुलेआम सरकारी मिट्टी तेल और दाल को सरकारी राशन दुकान से गायब कर दिया जाता है। एक लीटर मिट्टी तेल और एक किलो दाल के लिए लोगों को सुबह से शाम तक राशन दुकानों में नंबर लगाना पड़ता है। मिट्टी तेल में तो आंखों के सामने एक लीटर की जगह 800ग्राम मिट्टी तेल देकर चलता कर दिया जाता है। वहींम दाल की पैकेट में भी हेराफेरी कर दी जाती है। शातिर दुकानदार बटरा दाल के पैके ट में इस तरह से डेमेज करता है कि उसमें से 100-200 ग्राम दाल वही दुकान में बिखर जाता है। उभोक्ताओं को दादागिरी के साथ उसे खपा दिया जाता है। यदि उपभोक्ता न नुकुर करें तो उसे बाद में आना कह कर टरका दिया जाता है या फिर उसे दाल और मिट्टी तेल दिया ही नहीं जाता है। सरकारी दाल और मिट्टी तेल खपाने का एक रैकेट काम कर रहा है। जो सरकारी माल को बड़ी चतुराई से रफा-दफा कर देता है।

सरकारी मानिटरिंग समिति की मिली भगत

सरकारी अनाज दुकानों की मानिटरिंग समिति के पदाधिकारी और अधिकारी मानिटरिंग के नाम पर सिर्फ मिलीभगत कर वसूली कर रहे है। खाद्य विभाग में हजारों की संख्या में राशन दुकानों की अनियमितताएं की शिकायत होने के बाद भी आज तक खाद्य विभाग और मानिटरिंग समिति के सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े राजनीतिक पदाधिकारी की समिति सिर्फ खानापूर्ति कर रही है शिकायतों का अंबार खाद्य विभाग में लगा हुआ है। जिसमें राशन दुकानों के अनाज और तेल दाल नमक की कालाबाजारी की शिकायतें लंबित है जिस पर कार्रवाई तो दूर कोई उस शिकायत तो पढ़ता तक नहीं है। राशन दुकान सत्तारूढ़ पार्टी के राजनीतिक रसूख वालों का ऐसा चारागाह बना हुआ है जो उपभोक्ताओं के हक में डाका डालने का लाइसेंस बन गया है।

हर दुकान में 5 सौ उपभोक्ता कार्ड पर लगी याचिका

राशन दुकानदारों की चोरी पर अंकुश लगाने की दिशा में सरकार ने राशन दुकानों की संख्या बढ़ाने की योजना बनाई है जिसमें हर दुकानदार को 500कार्ड आवंटित किया जाएगा जिससे उपभोक्ताओं को सुगमता से राशन मिल सकेगा। इस पर राशन दुकानदारों के संगठन ने कोर्ट में यह दलील देकर याचिका लगाई है कि इससे हमारा कमीशन न्यूनतम 4-5 हजार महीना हो जाएगा। इस लिए इस निर्णय पर सरकार पुनर्विचार करें। सरकार की मंशा के खिलाफ यह राशन माफियातंत्र का सरकार पर दबाव है। राजधानी के 70 वार्डों के सरकारी राशन दुकानों में वर्तमान में औसतन 1000 से 1200 कार्ड धारक जुड़े हुए है। जिसमें सामान्य कार्ड नगण्य है।

राशन दुकानों से नहीं बांट रहे चना

राशनकार्ड धारकों को चावल, शक्कर के साथ चना देने की भी है। इसका आबंटन भी सरकार संबंधित क्षेत्रों में कर रही है किंतु राशन दुकान संचालकों के द्वारा चना का वितरण ही नहीं किया जा रहा है, वहीं उपभोक्ताओं को दिए जा रहे चावल की तौलाई में डंडी मारने का खेल भी जारी है। खाद्य विभाग मानिटरिंग के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है।

नगर एवं क्षेत्र के सार्वजनिक वितरण प्रणाली राशन दुकानों में खाद्य विभाग के निर्देश के बाद भी अंत्योदय एवं प्राथमिकता वाले राशन कार्डधारियों को निर्धारित मात्रा में चावल नहीं देने की शिकायतें तो मिल ही रही हैं। नि:शुल्क चना वितरण के तहत दिया जाने वाला एक किलो चना बांटा ही नहीं जा रहा है। कई इलाकों से लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि पैकेट को बोरे में डंप कर चने की ब्लैकमार्केटिंग की जा रही है। कई लोगों ने इस बंदरबाट का वीडियो और फोटो भी खींच ली है। संबंधितों से शिकायत भी भेजी गई है। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

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