छत्तीसगढ़

रेमेडिसविर इंजेक्शन की कालाबाजारी: छत्तीसगढ़ में आरोपियों के खिलाफ जिलेवार धाराएं अलग-अलग, ऐसा क्यों?

Admin2
29 April 2021 7:30 AM GMT
रेमेडिसविर इंजेक्शन की कालाबाजारी: छत्तीसगढ़ में आरोपियों के खिलाफ जिलेवार धाराएं अलग-अलग, ऐसा क्यों?
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ये सब साजिश के तहत हो रही है, सरकार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है.

रायपुर। भारत कोविड महामारी से जूझ रहा है...राष्ट्रीय संकट की इस घड़ी में हर आदमी सरकार और सिस्टम से मदद की आस लगाए बैठा है..किसी को ऑक्सीजन, किसी को रेमेडिसविर इंजेक्शन तो किसी को अस्पताल पहुंचने के लिए एंबुलेंस चाहिए. केंद्र और राज्य सरकारें अपने स्तर पर हरसंभव कोशिशें कर रही हैं. लेकिन इस बुरे दौर में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मानवता दिखाने के बजाय मुनाफाखोरी में लगे हुए हैं.

देश के अलग-अलग हिस्सों में मुनाफाखोरी करने वाले कुछ लोग ऑक्सीजन, ऑक्सीजन सिलेंडर, एंबुलेंस और रेमेडिसविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करके महंगे दामों पर इन्हें बेच रहे हैं और अपनों की जान बचाने के लिए बेबस परिजन..मुंह मांगी कीमत पर इन्हें खरीदने को मजबूर हैं. इसके अलावा देश के कई शहरों में ऑक्सीजन, बेड्स और रेमेडिसविर इंजेक्शन की किल्लत के बीच इनकी ब्लैक मार्केटिंग की खबरें लगातार सामने आ रही है. पीड़ित लोग इसकी शिकायत सरकार के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी कर रहे हैं.

ब्लैक मार्केटिंग का सच - शासन और जनता के मुद्दों पर सर्वे कराने वाले एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म के सर्वे में सामने आए आंकड़ों के मुताबिक, अस्पतालों में ICU बेड के लिए 55% मरीजों को किसी जुगाड़ या संपर्क की जरूरत पड़ी. वहीं, रेमडेसिविर जैसे कोविड मैनेजमेंट ड्रग्स के लिए 28% लोगों ने जुगाड़ या संपर्क का इस्तेमाल किया. नेशनल ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के मुताबिक, रेमडेसिविर उन कोविड मैनेजमेंट ड्रग्स में से एक है, जिन्हें अस्पातल में भर्ती कोविड मरीजों के लिए मंजूरी दे दी गई है. ब्रांड के हिसाब से 1,000 से 5,000 तक का बिकने वाला यह एंटीवायरल इंजेक्शन वर्तमान में ब्लैक मार्केट में 30 से 40 हजार में बिक रहा है.

छत्तीसगढ़ में आरोपियों के खिलाफ जिलेवार धाराएं अलग-अलग -

रेमेडिसविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में रायपुर पुलिस का बयान - इन सभी मामलो में ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत ड्रग विभाग कार्रवाई करता है, क्योंकि ये पुलिसिया कानून के अंतर्गत नहीं आता. इसलिए धारा 151 जो कि पुलिस की धारा है जिसमे पुलिस निशानदेही के तौर पर किसी को भी आपराधिक पूछताछ के लिए गिरफ्तार कर सकती है. इस धारा 151 लगाई जाती है.

रेमेडिसविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में महासमुंद पुलिस ने धारा 102 के तहत आरोपी के खिलाफ की कार्रवाई'

बिलासपुर जिले के सिविल लाइन थाना क्षेत्र अंतर्गत रेमडेसिविर की कालाबाज़ारी करते पुलिस ने एक स्टूडेंट को गिरफ्तार किया है। मामले की जानकारी देते हुए सिविल लाइन थाना प्रभारी सुरेंद्र ने बताया कि आरोपी का नाम हिमांशु है जो कि लोकल बिलासपुर का ही रहने वाला है। आरोपी को सिविल लाइन से ही गिरफ्तार किया गया है, इस मामले में ड्रग विभाग द्वारा कार्रवाई किये जा रहे है। चुकी ये पुलिसिया कानून के अंतर्गत नही आता इस लिए ड्रग विभाग द्वारा ड्रग एन्ड कॉस्मेटिक एक्टस की धारा 18 (सी) लगाया गया है। आरोपी हिमांशु एक पढ़ने लिखने वाला युवक है। जिससे पूछताछ की गई तो उसने बताया कि उसको भी ये इंजेक्शन किसी दूसरे व्यक्ति ने दिया है। जिसे वो ब्लैक में बेच रहा था। पुलिस को अब उस दूसरे व्यक्ति की तलाश है जो जिले में इस तरह की कालाबाज़ारी को अंजाम दे रहे है।

छत्तीसगढ़ का ये 4 जिला जिसमे इंजेक्शन की हो रही कालाबाज़ारी

छत्तीसगढ़ राज्य में कोरोना का कहर जारी है जिससे बचने का एक मात्र सहारा रेमडेसिविर इंजेक्शन है जिसकी अब हर जगह कालाबाज़ारी की जा रही है। छत्तीसगढ़ में सबसे पहले राजधानी रायपुर फिर अम्बिकापुर फिर महासमुंद और अब छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में इंजेक्शन की कालाबाज़ारी करते युवक गिरफ्तार किया गया। ये 4 ऐसे जिले है छत्तीसगढ़ के जहा अब तक 20 कालाबाज़ारी करने वाले गिरफ्तार किए जा चुके है।

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