सीमेंट की सप्लाई नहीं, हो रही कालाबाजारी
प्रति बोरी दाम में 100 रुपए तक बढ़ोत्तरी
ट्रांसपोर्टरों ने माल बढ़ाने रोकी सप्लाई
वितरकों से सांठगांठ कर छुटभैय्ये नेता कमा रहे मुनाफा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रायपुर। प्रदेश में सीमेंट की कालाबाजारी और महंगे दाम से निर्माण कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। सप्लाई ठप होने से सीमेंट की कीमतों में प्रति बोरी 100 से 150 रुपए तक बढ़ोतरी हो गई है वहीं शार्टेज होने से इसकी कालाबाजारी भी बड़े पैमाने पर हो रही है। सीमेंट के साथ ही रेत-गिट्टी के दाम भी आसमान छू रहे हैं जिसके कारण कई रियल कंपनियों ने निर्माण कार्य रोक दिया है वहीं कई सरकारी प्रोजेक्ट पर भी इसका असर पड़ रहा है। दरअसल ट्रांसपोर्टर माल भाड़ा बढ़ाए जाने की मांग को लेकर सीमेंट की ट्रांसपोर्टिंग नहीं कर रहे हैं, इससे राजधानी के सभी बड़े सीमेंट गोदाम खाली हो गए हैं, डिस्ट्रीव्यूटर्स और वितरक निर्माण कंपनियों और ठेकेदारों को सीमेंट उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। शार्टेज का छुटभैय्ये नेता फायदा उठा रहे हैं और वितरकों से सांठगांठ कर मुनाफा कमाने में लगे हैं। सीमेंट सहित रेत-गिट्टी महंगे होने से आम लोग भी परेशान हैं। गौरतलब है कि ट्रांसपोर्ट के कार्य में कई बड़े नेता लगे हुए और कई ट्रांसपोर्टस इनकी साझेदारी भी है। ऐसे नेताओं के आगे-पीछे घुमने वाले छुटभैय्ये नेता इस स्थिति का जमकर फायदा उठा रहे हैं।
राजधानी में बीते दो हफ्तों से रेत, सीमेंट और मकान बनाने के सामान शहर भर के थोक विक्रेताओं को नहीं मिल पा रहा है। सूत्रों के मुताबिक भाड़ा बढ़ाने की मांग को लेकर चल रही ट्रक के ट्रांसपोटरों ने पिछले दो हफ्तोंं से हड़ताल पर बैठ गए है। राजधानी में सीमेंट की भारी कमी हो गई है। ट्रकवालों ने सीमेंट फैक्ट्रियों से लोडिंग-अनलोडिंग बंद करा दी है। इस वजह से डीलर्स के पास सीमेंट का स्टॉक या तो खत्म हो गया, या थोड़ा बचा है। इसका नतीजा कालाबाजारी के रूप में सामने आ रहा है और रायपुर में 240 रुपए की सीमेंट बोरी 300 रुपए या ज्यादा में बिक रही है। जिनके पास पुराना स्टॉक है, वे मुंहमांगी कीमत मांग रहे हैं। इसका असर आम लोगों से लेकर कंस्ट्रक्शन और रियल स्टेट सेक्टर पर भी पड़ा है।
कई बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनियां हुई बंद
बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनियों ने काम बंद हो गया है। शहर में कई सरकारी और निजी निर्माण कार्य बंद हैं। सरकारी ठेकेदार भी विभाग को बता रहे हैं कि सीमेंट की सप्लाई नहीं होने से काम रोकना पड़ा है। ट्रक एसोसिएशन की बड़ी मांग यही है कि सीमेंट कंपनियां ट्रक भाड़े में 40 फीसदी की बढ़ोत्तरी करें, क्योंकि मौजूदा भाड़ा 9 साल पहले तय किया गया था। ऐसे में पुराने भाड़े में ट्रक नहीं चलाया जा सकता है। एक तरफ सीमेंट की शार्टेज हो रही है, तो दूसरी ओर माल नहीं उठने यानी सप्लाई चेन टूटने के कारण सीमेंट संयंत्रों ने उत्पादन घटा दिया है और मशीनें बंद हो रही हैं। उत्पादन कम होने की वजह से आने वाले दिनों में असर और प्रतिकूल हो सकता है।
बलौदाबाजार सीमेंट का हब, यहीं से होती सप्लाई
बलौदाबाजार की पहचान देश के उन जिलों में है जहां सबसे ज्यादा सीमेंट की सप्लाई की जाती है। इस जिले के हिरमी-रावन गांव में ही नौ बड़े सीमेंट प्लांट हैं। यहा का बना सीमेंट देश के लगभग सभी राज्यों में भेजा जाता है। हर प्लांट में दो-दो यूनिट है, जिसमें 10 हजार टन सीमेंट का प्रोडक्शन और सप्लाई किया जाता है। इसमें केवल अल्ट्राटेक सीमेंट के पास ही खुद का रेलवे ट्रैक है। इसलिए वो दूसरे राज्यों में इस रेल पटरी से सीमेंट भेज सकता है, लेकिन बाकी सीमेंट फैक्ट्रियों से सप्लाई ट्रकों से ही होती है। इस वजह से प्रदेश व रायपुर समेत सभी जिलों में सीमेंट की सप्लाई ठप हो गई है। इधर दूसरी ओर कुछ ट्रक वालों ने सीमेंट की सप्लाई की तो उन्हें एसोसिएशन के विरोध का सामना भी करना पड़ा है।
ट्रांसपोर्टर माल भाड़ा बढ़ाने की मांग कर रहे
माला भाड़ा में वृद्घि की मांग को लेकर ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल का फायदा कुछ सीमेंट बेचने के कारोबार से जुड़े लोग उठा रहे हैं। कंपनियों से सीमेंट की सप्लाई बंद है और जिनके पास स्टाक है वे 240, 250 रुपये प्रति बोरी की सीमेंट को 320 से 370 रुपये तक बेच रहे हैं। इधर माल भाड़ा में वृद्घि की मांग को लेकर सीमेंट कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों के बीच खींचतान चल रहा है। सीमेंट ट्रांसपोर्टरों ने सीमेंट कंपनियों के समक्ष मालभाड़ा चार फीसद तक बढ़ाए जाने की मांग रखी थी। इस मांग को लेकर ट्रांसपोर्टर पिछले 14 दिनों से हड़ताल पर है। इस दौरान मालभाड़ा वृद्घि के संबंध में सीमेंट कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों के बीच बलौदाबाजार प्रशासन की मध्यस्थता में कई दौर की वार्ता हुई लेकिन बात नहीं बन पाई है।